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नई दिल्ली: संस्कृति मंत्री महेश शर्मा ने कहा है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बारे में गोपनीय फाइलों की दूसरी खेप संभवत: इसी माह सार्वजनिक होगी। शर्मा से जब नेताजी की फाइलों को सार्वजनिक करने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘हम हर माह 25 गोपनीय फाइलें सार्वजनिक करने जा रहे हैं। हम फाइलों के साथ तैयार हैं जो इस माह सार्वजनिक होंगी।’ इससे पहले, सरकार ने कहा था कि राष्ट्रीय अभिलेखागार हर माह नेताजी पर फाइलों की डिजिटल प्रतियां जारी करेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 23 जनवरी को नेताजी की 119वीं सालगिरह पर एक सौ गोपनीय फाइलें सार्वजनिक की थीं। नेताजी पर फाइलों की अगली खेप संभवत: 23 फरवरी को सार्वजनिक हो। एक सूत्र ने बताया, ‘नेताजी पर 25 फाइलों की एक श्रंखला 23 फरवरी को जारी हो सकती है। उम्मीद की जाती है कि इसके बाद हर माह की 23 तारीख को फाइलें जारी की जाएंगी।’

नई दिल्ली: आतंकवाद रोधी अभियानों की अपनी वास्तविक भूमिका की तरफ लौटते हुए एनएसजी ने अपने 600 से अधिक कमांडो को वीवीआईपी सुरक्षा इकाई से हटा लिया है और पहली बार उनका इस्तेमाल पठानकोट हमले के दौरान किया। यह योजना पिछले दो साल से अधिक समय से चल रही है और पठानकोट वायुसेना स्टेशन पर हमले के दौरान इन ब्लैक कैट कमांडो का पहली बार इस्तेमाल किया गया। बल द्वारा नए ब्लू प्रिंट पर किए जा रहे काम के अनुसार 11वें स्पशेल रेंजर्स ग्रुप (एसआरजी) की कुल तीन टीमों में से दो टीमों को वीवीआईपी सुरक्षा ड्यूटी से हटा लिया गया है और उन्हें आतंकवादी रोधी अभियानों का दायित्व सौंपा गया है तथा स्पेशल एक्शन ग्रुप (एसएजी) जैसी प्राथमिक लड़ाकू यूनिटों की सहायता में लगाया गया है। नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (एनएसजी) की कमांडो टीमें पांच प्राथमिक इकाइयों के तहत गठित की गई हैं। इनमें दो एसएजी शामिल हैं जिनमें सेना से अधिकारी और जवान लिए गए हैं तथा तीन एसआरजी टीमें हैं जिनमें अर्धसैनिक बलों से कर्मी लिए गए हैं।

नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार की मां ने कहा है, ‘ कृपया मेरे बेटे को आतंकवादी मत कहिए।’ बिहार के बेगुसराय जिले में पड़ोसी के घर पर टीवी समाचार देखकर वह रो पड़ीं। उसकी मां मीना देवी ने बिहार से फोन पर बताया, ‘हमें जब से पता चला है कि कन्हैया को गिरफ्तार कर लिया गया है, तब से हम लगातार टीवी देख रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि पुलिस उसे बहुत ज्यादा नहीं पीटेगी। उसने कभी भी अपने माता पिता का अपमान नहीं किया, देश की बात तो भूल ही जाइए। कृपया मेरे बेटे को आतंकवादी नहीं बोलिए। वह यह नहीं हो सकता है।’ मीना एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हैं और साढ़े तीन हजार रुपये प्रति माह कमाती हैं। उन्होंने कहा कि वह और उनका बड़ा बेटा मणिकांत ही घर में कमाने वाले हैं क्योंकि उनके 65 वर्षीय पति लकवाग्रस्त होने की वजह से सात वर्षों से बिस्तर पर हैं।

नई दिल्ली: घाटे का सौदा होने के कारण हर रोज ढाई हजार किसान खेती छोड़ रहे हैं। और तो और देश में अभी किसानों की कोई एक परिभाषा भी नहीं है। वित्तीय योजनाओं में, राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो और पुलिस की नजर में किसान की अलग अलग परिभाषाएं हैं। ऐसे में किसान हितों से जुड़े लोग सवाल उठा रहे हैं कि कुछ ही समय बाद पेश होने वाले आम बजट में गांव, खेती और किसान को बचाने के लिए क्या पहल होगी। लेखक एवं सामाजिक कार्यकर्ता किशन पटनायक ने कहा कि खेती और किसान की वर्तमान दशा के बीच यक्ष प्रश्न यह उठ खड़ा हुआ है कि वास्तव में किसान कौन हैं, किसान की क्या परिभाषा हो? ऐसा इसलिए है कि वित्तीय योजनाओं के संदर्भ में किसान की एक परिभाषा है, तो राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो का कोई दूसरा मापदंड है, पुलिस की नजर में किसान की अलग परिभाषा है। इन सबके बीच किसान बदहाल और परेशान हैं। उतार-चढ़ाव के बीच कृषि विकास दर रफ्तार नहीं पकड़ रही है।

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