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नई दिल्ली: हिंडनबर्ग रिसर्च की हालिया रिपोर्ट में भारतीय शेयर बाजार नियामक सेबी की प्रमुख माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। शनिवार देर रात आई रिपोर्ट में कहा गया कि कथित अडानी धन हेराफेरी घोटाले में इस्तेमाल किए गए अस्पष्ट ऑफशोर फंड में दंपती की हिस्सेदारी थी। हालांकि, इन आरोपों को दंपती पहले ही बेबुनियाद बता चुका है। अब अडानी समूह ने भी बयान जारी किया है। उसका कहना है कि हिंडनबर्ग द्वारा लगाए गए नए आरोप दुर्भावनापूर्ण, शरारती और बहकाने के मकसद से लगाए गए हैं।

अडानी समूह ने कहा, 'हिंडनबर्ग की तरफ से लगाए गए ताजा आरोप दुर्भावनापूर्ण हैं। इसके लिए फर्म गलत इरादों से सार्वजनिक तौर पर मौजूद जानकारी के बहकाने वाले तरीके से चुनकर, तथ्यों और कानूनों की उपेक्षा कर निजी लाभ हासिल करने के लिए पूर्व निर्धारित निष्कर्षों पर पहुंची है।'

अडानी समूह ने आगे कहा, 'हम अडानी समूह के खिलाफ लगाए गए आरोपों को पूरी तरह से खारिज करते हैं। यह आरोप गलत दावों का पुनर्चक्रण है, जिनकी पूरी तरह से जांच की गई और निराधार साबित हुए।'

समूह ने कहा, इस साल जनवरी में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पहले ही इन आरोपों को खारिज कर दिया गया है।'

अडानी समूह ने कहा, 'यह दोहराया जाता है कि हमारी विदेशी होल्डिंग संरचना पूरी तरह से पारदर्शी है। इसमें उल्लिखित बातें हमारी प्रतिष्ठा को धूमिल करने की सोची समझी जानबूझकर की गई कोशिश हैं। हम पारदर्शिता और सभी कानूनी और अनुपालन के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध रहें हैं। भारतीय के कई उल्लंघनों के लिए जांच के दायरे में एक हिंडनबर्ग भारतीय कानूनों के प्रति पूर्ण अवमानना रखने वाली एक हताश इकाई है।'

दंपती की सफाई

माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि हमारे खिलाफ 10 अगस्त 2024 की हिंडनबर्ग रिपोर्ट में कई आरोप लगाए गए हैं। इन आरोपों के संदर्भ में हम यह बताना चाहेंगे कि हम रिपोर्ट में लगाए गए निराधार आरोपों और आक्षेपों का दृढ़ता से खंडन करते हैं। इनमें कोई भी सच्चाई नहीं है।

यह है हिंडनबर्ग की पूरी रिपोर्ट

नई रिपोर्ट जारी करने के बाद हिंडनबर्ग ने कहा था, अडानी समूह पर हमारी मूल रिपोर्ट को लगभग 18 महीने बीत चुके हैं। इस बात के पर्याप्त सबूत पेश किए जा चुके हैं कि भारतीय कारोबारी समूह (अडानी) कॉर्पोरेट इतिहास का सबसे बड़ा घोटाले में संलिप्त रहा है। हालांकि, ठोस सबूतों और 40 से अधिक स्वतंत्र मीडिया जांच के बावजूद सेबी ने अदाणी समूह के खिलाफ कठोर कार्रवाई नहीं की। कार्रवाई के बजाय जून, 2024 में सेबी ने हमें एक स्पष्ट 'कारण बताओ' नोटिस भेजा।

मॉरीशस में अडानी ग्रुप के काले धन नेटवर्क की पूरी जानकारी देने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। गुप्त दस्तावेज के हवाले से हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा था कि अडानी घोटाले में इस्तेमाल की गई अपतटीय (ऑफशोर) संस्थाओं में सेबी चेयरपर्सन और उनके पति की हिस्सेदारी थी। इन संस्थाओं का संचालन कथित तौर पर अडानी समूह के अध्यक्ष गौतम अदाणी के बड़े भाई विनोद अदाणी करते हैं।

माधबी पुरी बुच ने पति को ट्रांसफर किए अपने शेयर

रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि माधबी पुरी बुच ने अपने शेयर पति को ट्रांसफर किए। अप्रैल 2017 से लेकर मार्च 2022 के दौरान माधबी पुरी बुच सेबी की सदस्य होने के साथ चेयरपर्सन थीं। उनका सिंगापुर में अगोरा पार्टनर्स नाम से कंसलटिंग फर्म में 100 फीसदी स्टेक था। 16 मार्च 2022 को सेबी के चेयरपर्सन पर नियुक्ति किए जाने से दो हफ्ते पहले उन्होंने कंपनी में अपने शेयर्स अपने पति के नाम ट्रांसफर कर दिए।

पिछले साल अडानी समूह को लगा था झटका

बता दें कि पिछले साल ही यह कंपनी एक रिपोर्ट के जरिए अडानी समूह को तगड़ा झटका दे चुकी है। जनवरी 2023 में हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह पर निशाना साधते हुए एक रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट ने हड़कंप मचा दिया था, क्योंकि हिंडनबर्ग ने अडानी समूह पर कई गंभीर आरोप लगाए थे। हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट जारी होने के बाद शेयर बाजार में भूचाल आ गया था। निवेशकों के करोड़ों रुपये डूबे थे। अडानी समूह के अधिकांश शेयरों में लगातार गिरावट दर्ज की गई थी। आर्थिक नुकसान का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि रिपोर्ट आने से पहले गौतम अडानी दुनिया के धनकुबेरों में नंबर दो अरबपति थे, लेकिन नकारात्मक खबरों के कारण वे 36वें नंबर पर खिसक गए थे।

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