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भुवनेश्वर: पश्चिम बंगाल की सीएम और पूर्व रेल मंत्री ममता बनर्जी मंगलवार (6 जून) को कटक के अस्पताल में ओडिशा रेल हादसे के घायलों में मिलने पहुंची हैं। इस भीषण रेल दुर्घटना में अब तक 278 लोगों की जान जा चुकी है और सैकड़ों लोग घायल हैं। जिनका इलाज चल रहा है। घायलों से मिलने पहुंचीं ममता बनर्जी ने कहा कि अभी विवाद करने का समय नहीं है। हम चाहते हैं कि जल्द से जल्द सच सामने आना चाहिए।

भुवनेश्वर एयरपोर्ट पर उतरने के बाद ममता बनर्जी यहां से हेलीकॉप्टर के जरिए कटक रवाना हुईं। कटक में वह श्रीरामचंद्र भंज मेडिकल अस्पताल में भर्ती पश्चिम बंगाल के घायल यात्रियों से मुलाकात की और उन्हें किस प्रकार इलाज मिल रहा है इसका जायजा लिया।

उन्होंने आगे कहा कि ओडिशा और पश्चिम बंगाल सरकार मिलकर काम कर रही हैं। वे नि:शुल्क इलाज करा रही हैं। मैंने 100 एम्बुलेंस और 40 अफसरों को यहां भेजा है। पश्चिम बंगाल के 103 शवों की पहचान कर ली गई है और 97 लोगों का इलाज चल रहा है। 31 अभी लापता हैं। जिनका हाथ पैर कटा है हम उनको नौकरी देंगे।

नई दिल्‍ली (जनादेश ब्यूरो): ओडिशा का बालासोर ट्रेन हादसा आखिर क्‍यों हुआ? इस हादसे की वजह क्‍या थी? इन सवालों के जवाब अभी तक नहीं मिल पाए हैं। इस ट्रेन हादसे में अभी तक 278 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हो चुकी है। इस बीच सीबीआई ने हादसे की जांच भी शुरू कर दी है। सीबीआई की 10 सदस्यीय टीम ने बालासोर ट्रेन दुर्घटना स्थल का सोमवार को दौरा किया और अपनी जांच शुरू की। रेलवे के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। खुर्दा रोड मंडल के डीआरएम आर रॉय ने कहा कि उनकी जानकारी के अनुसार, सीबीआई जांच शुरू हो गई है, लेकिन विस्तृत विवरण अभी उपलब्ध नहीं है।

रेलवे बोर्ड ने रविवार को हादसे की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। यह मामला भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 337ए 338ए 304ए ;लापरवाही से मौतद्ध और 34 (सामान्य मंशा) और धारा 153 (रेलवे यात्रियों के जीवन को खतरे में डालने वाली गैरकानूनी और लापरवाही भरी कार्रवाई) और रेलवे अधिनियम 154 और 175 (जीवन को खतरे में डालना) के तहत दर्ज किया गया था।

बारगढ़ः ओडिशा के बारगढ़ में मालगाड़ी पटरी से उतर गई है। बताया जा रहा है कि मालगाड़ी में चूना पत्थर लदा था और इसके 5 डिब्बे बारगढ़ में पटरी से उतर गए। ये हादसा एक प्राइवेट लाइन पर हुआ है, जिसका रख.रखाव रेलवे नहीं करता है। हादसे में किसी को कोई नुकसान होने की जानकारी नहीं है। पुलिस ने मौके पर पहुंच गई है। बता दें कि ओडिशा के बालासोर जिले में शुक्रवार रात ट्रेन दुर्घटना में 275 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। देश के सबसे भीषण रेल हादसों में से एक इस दुर्घटना में 1100 से ज्यादा यात्री घायल हुए हैं।

रेलवे नहीं करता इसका रख-रखाव

बताया जा रहा है कि डूंगरी चूना पत्थर खदानों और एसीसी बारगढ़ के सीमेंट प्लांट के बीच एक निजी नैरो गेज रेल लाइन है। यहां लाइन, वैगन, लोको सभी निजी हैं। यह ट्रैक किसी भी तरह से भारतीय रेलवे प्रणाली से जुड़ा नहीं है। उस रेलवे लाइन पर आज तड़के पटरी से उतरने की घटना हुई है। बता दें कि रविवार रात को करीब 10.40 पर विशाखापत्तनम बंदरगाह से राउरकेला इस्पात संयंत्र तक कोयले से लदी एक मालगाड़ी पटरियों से गुजरी।

भुवनेश्वर/नई दिल्‍ली: कोरोमंडल एक्सप्रेस में सवार राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के एक जवान शायद पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने शुरुआती बचाव प्रयासों में शामिल होने से पहले ओडिशा के बालासोर में हुए ट्रेन हादसे के बारे में आपातकालीन सेवाओं को सतर्क किया था। एनडीआरएफ के जवान वेंकटेश एनके छुट्टी पर थे और पश्चिम बंगाल के हावड़ा से तमिलनाडु की यात्रा कर रहे थे। अधिकारियों ने कहा कि वह बाल-बाल बच गए क्योंकि जिस डिब्बे 'बी-7' में वह सवार थे, वह पटरी से उतर गया था। लेकिन आगे के डिब्बों से नहीं टकराया।

कोलकाता में एनडीआरएफ की दूसरी बटालियन के साथ तैनात 39 वर्षीय जवान ने सबसे पहले बटालियन में अपने वरिष्ठ निरीक्षक को फोन करके दुर्घटना की जानकारी दी। उसके बाद उन्होंने व्हाट्सएप पर घटनास्थल की "लाइव लोकेशन" एनडीआरएफ नियंत्रण कक्ष को भेजी और इसका इस्तेमाल पहले बचाव दल ने मौके पर पहुंचने के लिए किया। आपको बता दें कि ओडिशा में शुक्रवार की शाम सात बजे शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस व बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस के पटरी से उतरने और मालगाड़ी से टकराने से यह दर्दनाक हादसा हुआ।

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