भुवनेश्वर: नई दिल्ली में भारत का नया भव्य संसद भवन बनकर तैयार हो चुका है। 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस नए संसद भवन का उद्घाटन करने वाले हैं। नए संसद भवन के निर्माण के समय से ही इसका पुरजोर विरोध कर रहे विपक्षी दलों ने संसद भवन के उद्घाटन समारोह का भी विरोध कर रहे हैं।अबतक 19 दलों ने 28 मई को होने वाले इस उद्घाटन समारोह के बहिष्कार का फैसला किया है।
इस बीच बीजू जनता दल ने बुधवार को एक बयान जारी कर पुष्टि की कि उसके पार्टी सदस्य 28 मई को नए संसद भवन के उद्घाटन में शामिल होंगे। बीजेडी ने जारी बयान में कहा कि भारत का राष्ट्रपति भारतीय राज्य का प्रमुख होता है, वहीं संसद भारत के 1.4 अरब लोगों का प्रतिनिधित्व करती है। दोनों संस्थान भारतीय लोकतंत्र के प्रतीक हैं और भारत के संविधान से अपना अधिकार प्राप्त करते हैं।
पार्टी द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि इन संवैधानिक संस्थाओं को किसी भी ऐसे मुद्दे से ऊपर होना चाहिए जो उनकी पवित्रता और सम्मान को प्रभावित कर सकता है।
पार्टी ने कहा कि बीजद इस महत्वपूर्ण अवसर पर कार्यक्रम में शामिल होगा।
अबतक 19 दल कर चुके हैं बहिष्कार
बता दें कि कांग्रेस के नेतृत्व में कुल 19 विपक्षी दलों ने बुधवार को 28 मई को नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने की घोषणा की है। पिछले हफ्ते लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भवन के उद्घाटन के लिए आमंत्रित किया था ।
इस आयोजन से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पूरी तरह से दरकिनार करने को गंभीर अपमान करार देते हुए, विपक्षी दलों ने एक संयुक्त बयान में यह भी कहा कि यह हमारे लोकतंत्र पर सीधा हमला है जो एक समान प्रतिक्रिया की मांग करता है।
बयान में यह भी कहा गया है कि सम्मान, प्रधानमंत्री के बजाय राष्ट्रपति का है। विपक्ष के कदम पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि पीएम मोदी द्वारा नई संसद के उद्घाटन को राजनीति से नहीं जोड़ा जाना चाहिए. वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि राष्ट्रपति को आमंत्रित नहीं करना ''देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद का अपमान'' है।