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इलाहाबाद: उत्तर प्रदेश के चिकित्सा मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने गुरुवार को भरोसा जताया कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला अयोध्या में राम मंदिर के पक्ष में होगा और 2019 से पहले वहां एक भव्य राम मंदिर बनेगा। मुस्लिम समुदाय से भी भाई बहन सामने आकर कहेंगे कि वे राम मंदिर चाहते हैं और यह बदलाव वह देख रहे हैं।

यहां विश्व हिंदू परिषद के कार्यालय परिसर में स्वामी ब्रह्मयोगानंद की पुस्तक संपूर्ण भारत, परम वैभव भारत का विमोचन करने आए चिकित्सा मंत्री ने कहा, मेरे विचार से राम मंदिर पहले से वहां है, हमें एक भव्य राम मंदिर बनाना है। इसलिए राम मंदिर वहां है या नहीं, यह प्रश्न ही नहीं उठता। वह वहां है और रहेगा।

उन्होंने कहा, यदि कोई हमसे हमारे तीन एजेंडा के बारे में पूछे तो एक है तीन तलाक, दूसरा है राम मंदिर और तीसरा है अनुच्छेद 370। हमारे देश में परिस्थितियां कैसे बदल रही हैं यह देखें। जो लोग तीन तलाक को जायज ठहराया करते थे, अब वे लोग सुप्रीम कोर्ट के सामने खड़े होकर कह रहे हैं कि तीन तलाक गलत है और यह खत्म होना चाहिए।

इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है, कि आपराधिक मुकदमा चल रहा हो तो ग्रेच्युटी रोकी जा सकती है। कोर्ट ने ऐसे आदेश पर हस्तक्षेप से इंकार कर दिया। कोर्ट ने पीएसी 42 बटालियन नैनी इलाहाबाद से सेवानिवृत्त प्लाटून कमांडर शिव नारायण सिंह की ग्रेच्युटी रोकने के कमांडेंट के आदेश को सही माना है और याची के खिलाफ चल रहे आपराधिक मामले को जल्द से जल्द निपटाने के निर्देश दिए हैं। यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण टंडन तथा न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी की खंडपीठ ने शिव नारायण सिंह की विशेष अपील को खारिज करते हुए दिया है।

ये है मामला

मालूम हो, कि पीएसी कमांडेंट ने 22 अक्टूबर 2012 के आदेश से प्लाटून कमांडर की ग्रेच्युटी रोक दी। 31 अक्टूबर 2012 को वह सेवानिवृत्त होने वाले थे। विधि विरुद्ध गतिविधियों में लिप्त होने के आरोप में याची पर आपराधिक मुकदमा चल रहा है। याची को मिलने वाली ग्रेच्युटी इसी आधार पर रोक दी गई, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। याची का कहना था, कि आपराधिक मुकदमा विचाराधीन होने मात्र से ग्रेच्युटी नहीं रोकी जा सकती।

वाराणसी: बीएचयू के कुलपति गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने कहा है कि अगर उनको छुट्टी पर जाने को कहा जाएगा तो वह अपने पद से 'त्यागपत्र' दे देंगे। उन्होंने कहा कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने अभी तक उनसे ऐसा करने को नहीं कहा है। मंत्रालय ने इस बीच त्रिपाठी के उत्तराधिकारी के लिए नामों को शॉर्टलिस्ट करने की सामान्य प्रक्रिया शुरू कर दी है। वह बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) परिसर में हाल में हुई हिंसा से निपटने को लेकर विवाद के केंद्र में हैं। उनका कार्यकाल 30 नवंबर को समाप्त हो रहा है।

त्रिपाठी ने कहा, 'अब तक मुझसे इस तरह की कोई भी बात नहीं कही गई है। मैं घटना के दिन से मानव संसाधन विकास मंत्री (प्रकाश जावड़ेकर) से संपर्क में हूं और उनको स्थिति और उठाए गए कदमों से अवगत कराया है। लेकिन अगर मुझे छुट्टी पर जाने को कहा जाता है तो मैं अपने पद से इस्तीफा दे दूंगा।' 

कुलपति ने कहा कि उन्होंने विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाने की दिशा में कई काम किये हैं। उन्होंने कहा, 'बहुत कुछ किया है, कार्यकाल समाप्त होने से दो माह पहले छुट्टी पर जाना अपमानजनक होगा। ऐसे में मैं पद छोड़ना पसंद करूंगा।'

लखनऊ: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अब लखनऊ नगर निगम के वोटर नहीं रहे। नगर निगम जोन-एक के जोनल अधिकारी अशोक कुमार सिंह ने बुधवार को बताया कि वाजपेयी नगर निगम में दिए अपने पते के मकान में कई वर्षों से नहीं रह रहे हैं। इस कारण मतदाता पुनरीक्षण अभियान के तहत उनका नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया गया है। वाजपेयी बाबू बनारसी दास वार्ड के वोटर थे।

वोटर लिस्ट में बासमंडी स्थित मकान नंबर 92/98-1 (मोहन होटल के बगल में तीन मंजिला राजेंद्र स्मृति भवन जो इस वक्त किसान संघ का कार्यालय है) पर अब तक उनका नाम दर्ज था। उनका वोटर क्रमांक 1054 था। उन्होंने आखिरी बार नगर निगम के चुनाव में वर्ष 2000 में वोट डाला था। उन्होंने वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव के बाद कोई वोट नहीं डाला है।

जोनल अफसर अशोक सिंह ने बताया कि पिछले कई वर्षों से पूर्व पीएम राजधानी में निवास नहीं कर रहे हैं। इसलिए उनका नाम मतदाता सूची से हटा दिया गया है। वाजपेयी 1999 से 2004 तक आखिरी बार सांसद रहे थे। इसके बाद हुए लोकसभा चुनाव में उन्होंने राजधानी में अपना वोट डाला था।

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