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इंफाल: मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने रविवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। मैतेई-कुकी समुदायों के बीच करीब दो साल के लंबे संघर्ष के दौरान विपक्ष लगातार उनके इस्तीफे की मांग कर रहा था। हालांकि बीरेन सिंह राज्य में शांति बहाल करने की बात करते रहे, लेकिन दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद उन्होंने राज्यपाल को इस्तीफे सौंप दिया।

मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने एन बीरेन सिंह का इस्तीफा मंजूर कर लिया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के इस्तीफे के साथ ही शुरू होने वाला मणिपुर विधानसभा का बजट सत्र भी रद्द कर दिया गया है। बता दें कि इसी बजट सत्र में एन बीरेन सिंह सरकार के खिलाफ कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई थी।

एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद अब मणिपुर का नया सीएम कौन होगा? इसको लेकर जब राज्य बीजेपी की चीफ शारदा देवी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अभी ये तय नहीं है। उन्होंने कहा कि बीरेन सिंह 2017 से लगातार मणिपुर के विकास के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, उनका इस्तीफा राज्य की अखंडता की रक्षा के लिए उनकी गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

अगर विधानसभा में फ्लोर टेस्ट होता तो बीरेन सरकार पर संकट आ सकता था। एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाला से बताया कि मई 2023 में हिंसा भड़कने के बाद बीजेपी के ही 12 विधायक सीएम के इस्तीफे पर जोर दे रहे थे। इसके अलावा कॉनराड संगमा की नेशनल पीपुल्स पार्टी ने भी बीजेपी से समर्थन वापस ले लिया था। ऐसी संभावना थी कि फ्लोर टेस्ट में पार्टी व्हिप का उल्लंघन होगा। इस संभावना को टालने के लिए सीएम सिंह ने केंद्रीय नेतृत्व से बात कर पद छोड़ दिया।

एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पीएम मोदी और बीजेपी पर जमकर निशाना साधा। राहुल गांधी ने कहा कि सार्वजनिक दबाव, सुप्रीम कोर्ट की जांच और कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव ने सीएम बीरेन सिंह को इस्तीफे के लिए मजबूर कर दिया है। उन्होंने कहा कि करीब दो साल तक बीजेपी के सीएम बीरेन सिंह ने मणिपुर में विभाजन भड़काया और पीएम मोदी ने उन्हें मणिपुर में हिंसा, जानमाल के नुकसान और भारत के विचार के विनाश के बावजूद बने इस पद पर बना रहने दिया।

कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस 10 फरवरी को मणिपुर विधानसभा में मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिपरिषद के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए पूरी तरह तैयार थी। मुख्यमंत्री को ये लग गया था कि माहौल बन रहा है और बहुमत उनके पास नहीं हैं। उन्हें लग गया था कि अविश्वास प्रस्ताव पारित होगा और उन्हें इस्तीफा देना पड़ेगा, इसलिए उन्होंने आज ही इस्तीफा दे दिया। जयराम ने कहा कि एन बीरेन सिंह तो एक कठपुतली थे. गृह मंत्री अपनी जिम्मेदारी क्यों नहीं समझते, इस्तीफा तो उन्हें देना चाहिए. प्रधानमंत्री 20 महीने से मणिपुर क्यों नहीं गए हैं?

मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच मई, 2023 से ही संघर्ष चल रहा है। मैतेई समुदाय की आबादी 53 फीसदी है, लेकिन वो सिर्फ 10 फीसदी हिस्से में रहते हैं। इस समुदाय की आबादी इंफाल और उसके आस-पास के इलाकों में रहती है। मैतेई लोग लंबे समय से खुद को एसटी कैटगरी में शामिल किए जाने की मांग कर रहे थे। अगर उन्हें एसटी में शामिल किया जाता, तो मैतेई लोग पहाड़ी इलाकों में जमीन खरीद सकते थे, जहां आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं। इस मांग का कुकी समुदाय लंबे समय से विरोध कर रहा था। मणिपुर में मैतेई प्रमुख जातीय समूह है और कुकी सबसे बड़ी जनजातियों में से एक है।

मैतेई और कुकी के बीच संघर्ष शुरू क्यों हुआ? दरअसल 7 नवंबर, 2022 को मणिपुर सरकार ने एक आदेश पारित किया, जिसमें प्रस्तावित चुराचंदपुर-खौपुम संरक्षित वन से गांवों को बाहर रखा गया था। उसके बाद फरवरी, 2023 में चुराचंदपुर, कांगपोकपी और टेंग्नौपाल जिलों में वनवासियों को अतिक्रमणकारी घोषित करते हुए बेदखली अभियान शुरू हुआ। इसके बाद मार्च, 2023 में मणिपुर सरकार ने तीन कुकी उग्रवादी समूहों के साथ ऑपरेशन के निलंबन समझौते से हटने का फैसला किया। इस बीच मणिपुर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को "मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) सूची में शामिल करने के अनुरोध पर विचार करने" का निर्देश दिया। इसके बाद 3 मई, 2023 को अखिल आदिवासी छात्र संघ मणिपुर (एटीएसयूएम) द्वारा मैतेई लोगों की एसटी दर्जे की मांग का विरोध करते "आदिवासी एकजुटता मार्च" निकाला गया, जहां हिंसा की शुरुआत हुई।

मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच भड़की जातीय हिंसा में कम से कम 250 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि हजारों की संख्या में लोग विस्थापित हुए हैं। हिंसा के दौरान आगजनी, बर्बरता, दंगा, हत्या और सामूहिक बलात्कार की घटनाएं भी देखी गईं।

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