वाराणसी: छेड़छाड़ के विरोध धरना दे रही छात्राओं पर लाठीचार्ज करने के बाद निशाने पर आए बीएचयू के वीसी गिरीश चंद्र त्रिपाठी के रवैये और कार्यशैली को लेकर कई सवाल खड़े गए हैं। इन्हीं सवालों के बीच एक अंगुली ये उठी है कि उन्होंने दो दिन पहले एग्जिक्यूटिव काउंसिल की बैठक में जिस मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉक्टर की नियुक्ति को परमानेंट कराने के लिए जी तोड़ प्रयास किया उस व्यक्ति को तो अफ्रीकी युवती के यौन शोषण मामले में फिजी की अदालत दोषी करार दे चुकी है।
ये मामला सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर खबर बन चुका है। एक अंग्रेजी अखबार में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक वीसी एग्जीक्यूटिव काउंसिल के सदस्यों की इस बात को सुनने को तैयार नहीं थे कि उपाध्याय का कोई विरोध करे। उपाध्याय पर यौन शोषण का आरोप लगाने वाली महिला ने 2013 में जज के सामने अपने बयान में कहा था, 'उसने (उपाध्याय) मेरा हाथ पकड़ा और मुझे अपने घर चलने पर जोर दिया, जब हम उसके रूम में पहुंचे, तो उसने मुझे अपने रूम में सोने को कहा।
उसने ये सब हिंदी में कहा, उसने मेरे कंधे पर हाथ रखा और मेरे गालों पर दोबारा किस किया।' उल्लेखनीय है कि ये घटना घटना 25 अगस्त, 2012 की है, जब उपाध्याय फिजी नेशनल यूनिवर्सिटी के वाइस-चांसलर के सलाहकार थे। नासिनू मजिस्ट्रेट्स कोर्ट ने उपाध्याय को यौन शोषण मामले में दोषी ठहराया था। उपाध्याय के वकील ने 2014 में फिजी के हाईकोर्ट में अपील की थी। लेकिन कोर्ट ने सजा के आदेश को बरकरार रखा था।
निजी अंगों को हाथ लगाया
इस केस में मजिस्ट्रेट्स कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था, अभियुक्त उपाध्याय ने पहले तो पीडि़ता के कंधे पर हाथ रखा, फिर अभियुक्त ने उसे अपना घर दिखाने की बात कही, जब वो वॉक कर रहे थे तब अभियुक्त ने पीडि़ता को बताया कि वो उसके साथ उसके घर में सो सकती है। इसके बाद अभियुक्त ने गलत तरीके से छुआ और उसके निजी अंगों को हाथ लगाया। पहली बार किसी महिला से मिलने पर उसके निजी अंगों को हाथ लगाना साफ तौर पर अभियुक्त के गलत इरादों को दर्शाता है।
उधर, इस बारे में उपाध्याय का कहना है कि कहा कि यूनिवर्सिटी (क्च॥) ने मेरे मामले में कानूनी सलाह ली थी और ये फैसला किया था कि विदेशी कोर्ट के फैसले की हमारे देश में कोई अहमियत नहीं है,इसलिए मेरा इंटरव्यू हुआ और चयन समिति ने मुझे चुना। फिजी में मैं स्टडी लीव पर था। मुझे झूठे तरीके से फंसाया गया।