नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): रक्षा मंत्रालय ने सुरक्षा कारणों के चलते बड़ा कदम उठाते हुए 400 ड्रोनों की खरीद के सौदे को रद्द कर दिया है। ये ड्रोन तीन अलग-अलग कॉन्ट्रैक्ट के जरिए खरीदे जाने थे। इन ड्रोन्स में लगाए जा रहे चीनी पुर्जों से साइबर सुरक्षा का खतरा था, जिस वजह से इन कॉन्ट्रैक्ट्स को रद्द कर दिया गया।
ये कॉन्ट्रैक्ट 230 करोड़ रुपए का था। इसमें 00 मध्यम ऊंचाई वाले ड्रोन, 100 भारी वजन वाले ड्रोन और 100 हल्के वजन वाले लॉजिस्टिक्स ड्रोन थे, जो सभी भारत में बने थे। लेकिन इनमें चीनी पुर्जों लगे हुए थे। इसके इस्तेमाल से साइबर सुरक्षा जोखिम और भारतीय सैन्य अभियानों के लिए खतरा पैदा हो सकता है।
इंडिया टुडे ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि भारतीय सेना को आपूर्ति किए जाने वाले ड्रोन में चीनी पुर्जों का उपयोग कैसे डेटा की संभावित हैकिंग, हेरफेर और मिशन के दौरान सिस्टम विफलताओं के माध्यम से एक बड़ा राष्ट्रीय सुरक्षा जोखिम हो सकता है। चिंतित सेना अब ड्रोन में चीनी पुर्जों के उपयोग को रोकने के लिए एक मजबूत ढांचा तैयार करके नियमों को सख्त कर रही है।
विशेषज्ञों ने लंबे समय से चीनी घटकों वाले 'मेड इन इंडिया' ड्रोन की साइबर-सिक्योरिटी की कमजोरियों के बारे में चेतावनी दी है। सबसे बड़ा खतरा डेटा लीक है जिससे संवेदनशील सैन्य अभियानों की जानकारी तक शामिल है। विशेषज्ञों का कहना है कि चीनी इलेक्ट्रॉनिक्स में खासकर संचार मॉड्यूल कैमरों और नियंत्रण प्रणालियों में एम्बेडेड बैकडोर सुरक्षा सुविधाओं को बायपास करने वाले तंत्र का उपयोग विरोधियों द्वारा खुफिया जानकारी निकालने, मिशन को बाधित करने या यहां तक कि ऑपरेशन के बीच में ड्रोन पर नियंत्रण हासिल करने के लिए किया जा सकता है।
सैन्य खुफिया महानिदेशक ने जारी किए थे निर्देश
सैन्य खुफिया महानिदेशक (डीजीएमआई) ने संवेदनशील और महत्वपूर्ण सुरक्षा उपकरणों में चीनी मूल के पुर्जों के उपयोग के विरुद्ध बार-बार निर्देश जारी किए हैं। निर्देशों में यह अनिवार्य किया गया है कि ऐसे सिस्टम में हार्डवेयर और सॉफ़्टवेयर चीन के नहीं होने चाहिए। गैर-महत्वपूर्ण वस्तुओं के लिए, मूल उपकरण निर्माताओं को चीनी घटकों से बचने और संभावित मैलवेयर खतरों को खत्म करने के लिए कठोर परीक्षण सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया था।