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प्रयागराज: 90 के दशक में बॉलीवुड में राज करने वाली अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को किन्नर अखाड़े से निकाल दिया गया है। अभिनेत्री को दिया गया महामंडलेश्वर का पद भी वापस ले लिया गया है। इसके पीछे की वजह अभिनेत्री का सिनेमा से पुराना नाता और उनका कथित आपराधिक अतीत बताया गया है। इंटरनेट पर वायरल एक दस्तावेज के अनुसार, अखाड़े के प्रमुख ऋषि अजय दास ने लिखा, "किन्नर अखाड़े के संस्थापक होने के नाते मैं आज आपको सूचित करता हूं कि मैं किन्नर अखाड़े के 2015-16 के उज्जैन कुंभ में मेरे द्वारा नियुक्त आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को आचार्य महामंडलेश्वर किन्नर अखाड़े के पद से मुक्त करता हूं।"

उन्होंने पत्र में आगे लिखा, "जल्द ही उन्हें लिखित रूप से अवगत करा दिया जाएगा, क्योंकि धार्मिक प्रचार-प्रसार एवं धार्मिक अनुष्ठानों के साथ-साथ किन्नर समुदाय के उत्थान आदि के लिए जिस पद के लिए उनकी नियुक्ति की गई थी, उससे वे सदैव भटकते रही हैं। मेरी सहमति के बिना 2019 के प्रयागराज कुंभ में जूना अखाड़े के साथ लिखित अनुबंध किया, जो न केवल अनैतिक है बल्कि एक प्रकार का धोखा भी है।"

जूना अखाड़ा और किन्नर अखाड़े के बीच संस्थापक की सहमति और हस्ताक्षर के बिना हुआ अनुबंध वैध नहीं है। अनुबंध में जूना अखाड़े ने किन्नर अखाड़े को संबोधित किया है, जिसका मतलब है कि उन्होंने किन्नर अखाड़े को 14 अखाड़ों के रूप में स्वीकार किया है। तो इसका मतलब यह है कि सनातन धर्म में 13 नहीं बल्कि 14 अखाड़े मान्य हैं, यह अनुबंध से स्वयं सिद्ध होता है। उन्होंने आरोप लगाया कि अभिनेत्री को महामंडलेश्वर नियुक्त करने वाली आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने न केवल असंवैधानिक कार्य किया, बल्कि सनातन धर्म और देश हित को भी नजरअंदाज किया।

ऋषि अजय दास ने ममता के कथित आपराधिक अतीत को देशद्रोह का कृत्य बताते हुए लिखा कि उन्होंने देशद्रोह किया है और वह किसी भी धार्मिक या अखाड़ा परंपरा का पालन किए बिना ग्लैमर से जुड़ी हुई हैं। उन्होंने आगे कहा, "जूना अखाड़े के साथ किन्नर अखाड़े के नाम पर अवैध अनुबंध करके किन्नर अखाड़े के सभी प्रतीकों को नुकसान पहुंचाया गया है। ये लोग न तो जूना अखाड़े के सिद्धांतों का पालन कर रहे हैं और न ही किन्नर अखाड़े के सिद्धांतों का।" उन्होंने कहा, "इस तरह वे सनातन धर्म प्रेमियों और समाज को धोखा दे रहे हैं। इसलिए आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से जनहित और धर्महित में यह सारी जानकारी देना मेरे लिए जरूरी था।"

 

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