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रायपुर: छत्तीसगढ़ में सीएम के नाम की घोषणा के साथ ही उप मुख्यमंत्री के नाम का भी एलान कर दिया गया है। राज्य में दो डिप्टी सीएम होंगे। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव और विजय शर्मा को डिप्टी सीएम बनाया जाएगा। जबकि पूर्व सीएम रमन सिंह विधानसभा के अध्यक्ष बनाए जाएंगे।

पहली बार विधायक निर्वाचित हुए हैं विजय शर्मा

बीजेपी ने सीएम पद के लिए जहां आदिवासी नेता का चुनाव किया है तो वहीं दो डिप्टी सीएम के चुनाव के वक्त ओबीसी वोट बैंक को भी ध्यान में रखा गया है। अरुण साव ओबीसी समाज से आते हैं। विजय शर्मा कबीरधाम जिले के कर्वधा से बीजेपी विधायक हैं। उन्होंने 39,592 वोटों के अंतर से मंत्री मोहम्मद अकबर को हराया है।

विजय शर्मा छत्तीसगढ़ बीजेपी के प्रदेश महासचिव हैं, बीजेपी युवा मोर्चे के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। 50 वर्षीय विजय शर्मा पहली बार विधायक बने हैं। 50 साल के हैं और पहली बार विधायक बने हैं।

रायपुर: बीजेपी ने छत्तीसगढ़ के नए मुख्यमंत्री के रूप में विष्णु देव साय के नाम का एलान कर दिया है। सियासी जानकारों का मानना है कि पार्टी ने यह फैसला राज्य में आदिवासी वोटर्स को ध्यान में रखते हुए किया है। इससे पहले भी आदिवासी वोटर को साधने के लिए बीजेपी ने कई एलान किए थे। ऐसे में कहा जा सकता है कि बीजेपी ने एक सोची-समझी रणनीति के तहत साय को मुख्यमंत्री के रूप में आगे किया है।

छत्तीसगढ़ में आदिवासी वोटर काफी निर्णायक माना जाता है। राज्य की 34 फीसदी आबादी आदिवासी है और 29 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित रहती हैं। माना जाता है कि छत्तीसगढ़ में बिना आदिवासी वोटर के कोई भी पार्टी सरकार नहीं बना सकती है।

इस बार छत्तीसगढ़ चुनाव में जो इन 29 आरक्षित सीटें में से 17 पर बीजेपी ने जीत दर्ज की। पिछली बार इन्हीं सीटों पर पार्टी का सूपड़ा साफ हुआ था। हालांकि, इस बार यह वोट बीजेपी के पाले में आया है, जिसकी एक बड़ी वजह विष्णु देव साय रहे हैं।

नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ नेताओं के साथ हालिया विधानसभा चुनाव के नतीजों को लेकर समीक्षा बैठक की, जिसमें यह फैसला किया गया कि कमियों को दूर कर लोकसभा चुनाव में मजबूती से उतरना है। पार्टी मुख्यालय में इस समीक्षा बैठक में कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, निवर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, प्रदेश प्रभारी एवं महासचिव कुमारी सैलजा, वरिष्ठ नेता टी एस सिंह देव तथा कई अन्य नेता मौजूद थे।

लोकसभा चुनाव में मजबूती से उतरने पर जोर

बैठक के बाद कुमारी सैलजा ने कहा, ‘‘ये बात ज़रूर है कि हम चुनाव हारे, लेकिन साथ में मैं ये भी कहूंगी कि कोई भी सर्वे... चाहे राष्ट्रीय मीडिया का हो या क्षेत्रीय मीडिया का हो... कोई भी एजेंसी हो, हर एक ने ये कहा था कि छत्तीसगढ़ में हम चुनाव जीतने जा रहे हैं और शायद किसी हद तक आप सही साबित भी हुए, क्‍योंकि हमारा वोट प्रतिशत विशेष कम नहीं हुआ। यह कोई छोटी बात नहीं होती।’’

रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में सामान्य (उच्च जाति वर्ग) वर्ग के कांग्रेस के 15 उम्मीदवारों में से 13 को हार का सामना करना पड़ा। जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने ऊंची जातियों के 18 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे और जिनमें से 16 विजयी हुए। चुनाव विशेषज्ञों के अनुसार, छत्तीसगढ़ में जातिगत जनगणना और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को लुभाने की कांग्रेस की कोशिश ने ऊंची जातियों के साथ-साथ अनुसूचित जनजाति श्रेणी के उम्मीदवारों की संभावनाओं को प्रभावित किया है। उन्होंने कहा कि संभवतः अधिकतर मतदाताओं को भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली सरकार की ओबीसी समर्थक राजनीति रास नहीं आई।

सत्तारूढ़ कांग्रेस को छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। राज्य में 2018 में 68 सीट जीतने वाली कांग्रेस 35 सीट पर सिमट गई। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राज्य की 90 सदस्यीय विधानसभा में 54 सीट जीतकर सत्ता में वापसी की है। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (जीजीपी) एक सीट जीतने में कामयाब रही। कांग्रेस ने इस बार आठ ब्रह्मणों समेत उच्च जाति के 15 प्रत्याशियों को टिकट दिया था।

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