नई दिल्ली: म्यांमार में आए विनाशकारी भूकंप में लगातार मृतकों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। ताजा जानकारी के अनुसार, दक्षिण-पूर्व एशियाई देश में आए भूकंप के बाद मृतकों का आंकड़ा बढ़कर 1644 तक पहुंच गया है। वहीं 2000 से अधिक घायल बताए जा रहे हैं। इसके साथ ही म्यांमार में रेस्क्यू ऑपरेशन बड़े पैमाने पर जारी है। बता दें कि, 28 फरवरी को म्यांमार लगातार छह भूकंप के झटकों से थर्रा गया था और ये सिलसिला आज भी बरकरार रहा है। कल से लेकर आज तक म्यांमार में कुल 16 बार भूकंप के झटके लगे हैं।
यूरेशियन और इंडो-ऑस्ट्रेलियाई प्लेटों के बीच टकराव के कारण, म्यांमार में भूकंपीय खतरा उच्च स्तर पर है। अंतर्राष्ट्रीय भूकंपीय केंद्र की तरफ से बताए गए भूकंप मापदंडों के अनुसार, 1990 से 2019 तक हर साल म्यांमार और उसके आसपास के इलाकों में 3.0 से अधिक या उसके बराबर परिमाण वाली लगभग 140 घटनाएं हुई हैं। जिससे प्रमाणित होता है कि, म्यांमार मध्यम और बड़ी तीव्रता वाले भूकंपों के खतरों के प्रति संवेदनशील है, जिसमें इसकी लंबी तटरेखा के साथ सुनामी के खतरे भी शामिल हैं।
सागाइंग फॉल्ट सागाइंग, मांडले, बागो और यांगून के लिए भूकंपीय खतरे को बढ़ाता है, जो म्यांमार की आबादी का 46 प्रतिशत हिस्सा है।
संकट के समय म्यांमार के साथ भारत खड़ा
भारत संकट के समय म्यांमार के साथ खड़ा है। 'ऑपरेशन ब्रह्मा' के तहत भारत ने भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्यों के लिए 15 टन सामग्री, 80 सदस्यीय एनडीआरएफ की टीम और एक फील्ड अस्पताल को मदद के लिए भेजा है। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने म्यांमार के जनरल से भी बातचीत की है। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया एक्स पर इसकी जानकारी देते हुए लिखा, म्यांमार के वरिष्ठ जनरल महामहिम मिन आंग ह्लाइंग से बात की। विनाशकारी भूकंप में हुई मौतों पर अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की। एक करीबी दोस्त और पड़ोसी के रूप में भारत इस कठिन समय में म्यांमार के लोगों के साथ एकजुटता से खड़ा है। ऑपरेशन ब्रह्मा के तहत आपदा राहत सामग्री, मानवीय सहायता, खोज और बचाव दल को प्रभावित क्षेत्रों में तेजी से भेजा जा रहा है।
भूकंप के कारण म्यांमार में चौतरफा संकट
म्यांमार भूकंप से पहले गृहयुद्ध, मानवीय संकट, भुखमरी और स्वास्थ्य सुविधाओं में कमी से जूझ रहा था। म्यांमार को बड़े पैमाने पर मानवीय सहायता के साथ-साथ दवाओं और खाद्य सामग्री की जरूरत थी। वहीं भूकंप के बाद म्यांमार में स्थिति बद से बदतर हो गई है। वहीं देश में संचार व्यवस्था और आवाजाही पर सख्त नियंत्रण होने के कारण राहत और बचाव कार्य में कठिनाइयां भी आ रही हैं।