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पटना (जनादेश ब्यूरो): बिहार में शक्ति परीक्षण से पहले सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड जेडीयू की एक अनौपचारिक बैठक में पार्टी के पांच विधायक नदारत रहे। हालांकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार थोड़ी देर के लिए इस बैठक में पहुंचे थे। इसके बाद सियासी गलियारे में चर्चाओं का बाज़ार गरम हो गया है।

दूसरी तरफ, सोमवार 12 फरवरी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को विधानसभा में अपनी नई ‘एनडीए‘ सरकार का विश्वास मत हासिल करना है।

मंत्री श्रवण कुमार कुमार द्वारा शनिवार को जदयू विधायकों को दिए गए दिवा भोज की राजनीतिक गलियारे में खूब चर्चा रही। चर्चा इस बात की होती रही कि जदयू के पांच विधायक इस एकजुटता भोज में नहीं दिखे। कहा गया कि पूर्व से तय अपने कार्यक्रम के कारण वे लोग नहीं आए। यह जानकारी भोज के आयोजक को दे दी थी। रविवार को मंत्री विजय चौधरी के आवास पर होने वाली विधायक दल की बैठक में इनकी मौजूदगी रहेगी। जदयू विधायक डॉ. संजीव, शालिनी मिश्रा, सुदर्शन, दिलीप राय व बीमा भारती की श्रवण कुमार के आवास पर आयोजित भाेज में गैरमौजूदगी रही।

पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद)-कांग्रेस सहित विभिन्न दलों के ‘महागठबंधन’ को छोड़कर पिछले महीने भाजपा नीत राजग में वापसी करने के बाद बृहस्पतिवार को कहा कि मौजूदा गठबंधन ‘स्थायी’ है और यह ‘सैदव’ बना रहेगा।

जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के अध्यक्ष कुमार दिल्ली से लौटने के बाद पटना में संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने दिल्ली प्रवास के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा सहित विभिन्न नेताओं से मुलाकात की।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं उस गठबंधन में वापस आ गया हूं, जहां का मैं हूं, और जिससे मैं कुछ समय के लिए दूर था। अब मैं हमेशा के लिए यहीं रहने वाला हूं। हमारे संबंध स्थायी रहेंगे।’’ उनके पाला बदलने को आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा का संयुक्त रूप से मुकाबला करने के लिए विपक्ष द्वारा गठित ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के लिए झटका माना जा रहा है जिसके निर्माण में स्वयं उन्होंने मदद की थी।

वह 1996 से भाजपा के सहयोगी रहे हैं। तब वह दिवंगत जॉर्ज फर्नांडीस की अध्यक्षता वाली समता पार्टी के साथ थे। भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से उन्होंने पहली बार नाता 2013 में तब तोड़ा था जब गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को भाजपा ने राष्ट्रीय राजनीति में लाने का फैसला किया था।

कुमार की 2017 में दोबारा राजग में वापसी हुई जो पांच साल तक चली और उन्होंने 2022 में भाजपा पर उनकी पार्टी जदयू को कमजोर करने की कोशिश का आरोप लगाकर नाता तोड़ लिया।

राज्य के सबसे लंबे समय मुख्यमंत्री का रिकॉर्ड कायम करने वाले कुमार बिहार को विशेष श्रेणी का दर्जा देने और विशेष आर्थिक पैकेज जैसी केंद्रीय मदद की मांग कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री से जब पूछा गया कि क्या उन्हें अपनी दिल्ली यात्रा के दौरान इन विषयों पर कोई आश्वासन मिला है, तो उन्होंने सीधा जवाब नहीं दिया, लेकिन कहा, ‘‘मैं 2005 से ही बिहार की प्रगति के लिए काम कर रहा हूं। चिंता का कोई कारण नहीं है। सभी मुद्दों पर चर्चा हुई है।

कुमार से जब पूछा गया कि क्या उनकी सरकार द्वारा 12 फरवरी को विधानसभा में पेश किए जाने वाले विश्वास मत को लेकर चिंता है क्योंकि विधानसभा अध्यक्ष और राजद विधायक अवध बिहारी चौधरी ने राजग विधायकों द्वारा अविश्वास प्रस्ताव पेश किए जाने के बावजूद इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है।

उन्होंने सभी आशंकाओं को खारिज करते हुए कहा, ‘‘चिंता की कोई बात नहीं है। हर चीज पर चर्चा हुई है, मेरी पार्टी के भीतर और हमारे गठबंधन सहयोगियों के साथ भी।’’

उनके प्रमुख सहयोगी एवं जदयू के महासचिव संजय कुमार झा ने चुटकी लेते हुए कहा, ‘‘आखिरकार यह एक संख्या का खेल है’’। पूर्व मंत्री झा भी कुमार के साथ दिल्ली दौरे पर गए थे।

बिहार की 243 सदस्यीय विधानसभा में राजग के कुल 128 विधायक हैं जो बहुमत के जादुई आंकड़े से छह अधिक हैं। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तान अवाम मोर्चा के चार और एक निर्दलीय विधायक शामिल है।

 

नई दिल्लीः बिहार में नई सरकार के गठन के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहली बार सात फरवरी को दिल्ली आ रहे हैं। इस दौरान उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाक़ात की संभावना है। अन्य बातों के अलावा इन नेताओं की मुलाक़ात में सीट बंटवारे को लेकर भी बातचीत होने की संभावना है। इस बीच चिराग पासवान की पार्टी लोजपा रामविलास ने बिहार की 11 लोकसभा सीटों के लिए प्रभारियों का एलान किया है।

चिराग पासवान ने जिन सीटों के लिए प्रभारियों का एलान किया गया है, उनमें हाजीपुर, जमुई, खगड़िया, समस्तीपुर, वैशाली, बेगूसराय, नवादा, जहानाबाद, वाल्मीकिनगर, सीतामढ़ी और गोपालगंज शामिल है। इसका कारण पूछने पर पार्टी सूत्रों का कहना है कि ये सीटें उसकी प्राथमिकताओं में शामिल हैं और इनमें जो भी सीटें दी जाएंगी, उस पर वो लड़ने के लिए तैयार हैं।

पटना: बिहार में पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की टेंशन बढ़ा दी है? ये सवाल राजनीतिक हलकों में सुर्खियों में छाया हुआ है। दरअसल, जीतन राम मांझी की नाराजगी की खबर है। बेटे को अच्छा मंत्रालय नहीं मिलने से वो नाराज बताए जा रहे हैं। मांझी ने कहा कि उन्हें भी यही विभाग दिया था। बिहार में 12 फरवरी को फ्लोर टेस्ट होना है। क्या मांझी खेला कर सकते हैं? ये सवाल भी गूंज रहा है। अगर मांझी कोई बड़ा फैसला ले लेते हैं, तो ये एनडीए के गणित पर कितना असर डालेगा, ये समझना जरूरी है।

तेजस्वी यादव का दावा बिहार में 'खेला' होगा

बिहार विधानसभा में 243 सीटें हैं. बहुमत का आंकड़ा 122 है। एनडीए सरकार ने 128 का दावा पेश किया है। अगर जीतन राम मांझी के चार विधायक न भी हो तो एनडीए का आंकड़ा 124 रहेगा। फ्लोर टेस्ट में नीतीश सरकार के पास होने पर पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने सवाल उठाया। उन्होंने दावा किया कि 'खेला' होगा।

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