ताज़ा खबरें
न्यायाधीश के रूप कभी राजनीतिक दबाव का सामना नहीं किया: सीजेआई
बंगाल में तोड़ा गया बीजेपी ऑफिस, पुलिस और कार्यकर्ताओं में कहासुनी
राष्ट्रपति के इमरजेंसी के जिक्र पर हुआ हंगामा- बोलीं- मचा था हाहाकार
ऐसे राजनीतिक प्रस्तावों से हमें बचना चाहिए:इमरजेंसी वाले बयान पर राहुल
कश्मीर में मतदान के रिकॉर्ड टूटे,घाटी ने दिया दुश्मनों को जवाब: राष्ट्रपति

पटना (जनादेश ब्यूरो): राज्य की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार ने बिहार में जाति आधारित जनगणना का फैसला किया था। जनगणना का काम बीच में बनी महागठबंधन सरकार के दौरान पूरा हुआ। महागठबंधन सरकार के भी मुखिया मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही थे। महागठबंधन सरकार ने जातीय जनगणना के आंकड़ों को आधार बनाकर राज्य में आरक्षण का प्रतिशत 65 तक पहुंचा दिया था। लोकसभा चुनाव 2024 में महगठबंधन के मुख्य दल राष्ट्रीय जनता दल ने इस आरक्षण का क्रेडिट भी लिया। किसी भी दल ने आरक्षण प्रतिशत बढ़ाने को गलत नहीं बताया था। लेकिन अब, पटना हाई कोर्ट ने आरक्षण प्रतिशत बढ़ाने के राज्य सरकार के फैसले को असंवैधानिक करार दिया है।

कोर्ट का यह फैसला नीतीश सरकार को बड़ा झटका माना जा रहा है। गुरुवार को सुनवाई की दौरान पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार के अनुसूचित जाति, जनजाति, अत्यंत पिछड़े और अन्य पिछड़े वर्ग को 65 आरक्षण देने वाले कानून को रद्द कर दिया है।

पटना हाईकोर्ट ने इसे असंवैधानिक करार दिया है। यानि अब शिक्षण संस्थानों व सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति, जनजाति, अत्यंत पिछड़े और अन्य पिछड़े वर्ग को 65 आरक्षण नहीं मिलेगा। 50 प्रतिशत आरक्षण वाली पुरानी व्यवस्था ही लागू हो जाएगी।

भारतीय संविधान के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है

दरअसल, 65 प्रतिशत आरक्षण कानून के खिलाफ गौरव कुमार व अन्य लोगों ने पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार, सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों को उचित प्रतिनिधित्व देने के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गयी थी। न कि जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण देने का प्रावधान। यह जो 2023 का संशोधित अधिनियम बिहार सरकार ने पारित किया है, वह भारतीय संविधान के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। इसमें सरकारी नौकरियों में नियुक्ति के समान अधिकार का उल्लंघन करता है, वहीं भेद भाव से संबंधित मौलिक अधिकार का भी उल्लंघन है।

चीफ जस्टिस केवी चंद्रन की खंडपीठ ने इस पर लंबी सुनवाई की। इसके बाद 11 मार्च को कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। आज कोर्ट ने 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा को बढ़ाकर 65 प्रतिशत करने जाने के राज्य सरकार ने निर्णय को रद्द करने का फैसला सुनाया।

21 नवंबर 2023 को बिहार सरकार ने गजट प्रकाशित किया था

बिहार सरकार ने आरक्षण संशोधन बिल के जरिए आरक्षण दायरा बढ़ा 65 फीसदी कर दिया था। 10 प्रतिशत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को मिलने वाले आरक्षण को जोड़ दें जो कुल 75 फीसदी आरक्षण का लाभ मिलेगा। 21 नवंबर 2023 को बिहार सरकार ने इसको लेकर गजट प्रकाशित कर दिया था। इसके बाद से शिक्षण संस्थानों और नौकरी में अनुसूचित जाति/जनजाति, पिछड़ा वर्ग और अतिपिछड़ा को 65 फीसदी आरक्षण का लाभ मिल रहा था।

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख