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फतेहाबाद (हरियाणा): जाट प्रदर्शनकारियों को रविवार को दिल्ली कूच करने से रोके जाने पर पुलिस के साथ उनकी झड़प हो गई, जिसमें एक एसपी और एक डीएसपी सहित 35 लोग घायल हो गए । घायलों में 18 पुलिसकर्मी हैं। प्रदर्शनकारियों ने सिरसा-हिसार-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग पर धानी गोपाल गांव में हुई झड़प के दौरान पुलिस की दो बसों को भी आग के हवाले कर दिया। फतेहाबाद के पुलिस अधीक्षक ओपी नरवाल के हाथ में मामूली चोट लगी। उन्होंने बताया कि दो महिलाओं सहित 18 पुलिसकर्मी झड़प में घायल हो गए. उन्होंने बताया कि एक महिला सहायक उप निरीक्षक (एएसआई) और एक महिला कांस्टेबल घायल पुलिसकर्मियों में शामिल हैं। उन्होंने बताया, ‘तीन मीडियाकर्मियों को भी चोट लगी है। प्रदर्शनकारियों ने कथित तौर पर उन्हें कुछ देर के लिए बंधक बना लिया और उनके उपकरण तोड़ दिए।’ पुलिस ने जब आंसू गैस के गोले छोड़े और उन्हें तितर बितर करने के लिए लाठीचार्ज का सहारा लिया तब कुछ प्रदर्शनकारी भी घायल हो गए। स्थिति उस वक्त तनावपूर्ण हो गई, जब हिसार जिले के चामरखेड़ा और खीरी गांवों से जाट प्रदर्शनकारियों ने धानी गोपाल में धरना में शामिल होने के लिए फतेहाबाद जिले में घुसने की कोशिश की। पुलिस ने बताया कि जाट प्रदर्शनकारियों के साथ ट्रैक्टर ट्रॉलियों ने पुलिस अवरोधकों को तोड़ने की कोशिश की।

नई दिल्ली: आरक्षण की मांग को लेकर हरियाणा में पिछले 50 दिनों से चल रहे आंदोलन का आज पटाक्षेप हो गया। दो केंद्रीय मंत्रियों की मध्यस्थता के साथ हरियाणा के मुख्यमंत्री तथा जाट नेताओं के बीच कई घंटे चली बैठक के बाद जाटों ने सोमवार को होने वाले दिल्ली कूच को रद्द करने का ऐलान कर दिया। वर्तमान हालातों में जाट व सरकार दोनों एक-दूसरे के प्रति नरम हैं। सरकार ने जहां सभी मांगे पूरी करने का भरोसा दिया है वहीं जाटों ने भी यह मान लिया है कि कानूनी प्रक्रिया में लगने वाले समय के दौरान वह शांत रहेंगे। सरकार नियम व कानून के दायरे में रहकर उनकी मांगे पूरी करेगी। रविवार को जाट समुदाय तथा हरियाणा सरकार के बीच यह पांचवीं बैठक थी जबकि एक संयुक्त बैठक गफलत के चलते रद्द हो गई थी। रविवार को अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समीति के अध्यक्ष यशपाल मलिक, अशोक बल्हारा तथा अन्य जाट नेताओं ने केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह, कानून राज्य मंत्री पी.पी.चौधरी तथा मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर के बीच दोपहर एक बजे से शाम करीब छह बजे तक दो चरणों में मैराथन बैठकें चलती रही। बैठक के दौरान केंद्रीय मंत्री पी.पी. चौधरी ने आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार जाटों की मांगों को लेकर पूरी तरह से गंभीर है और बहुत जल्द राष्ट्रीय ओबीसी आयोग में नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। जिसके तुरंत बाद केंद्र में भी आरक्षण दिया जाएगा।

चंडीगढ़: हरियाणा के संवेदनशील जिलों में सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा आदेश लागू की गयी है और इंटरनेट सेवा निलंबित कर दी गई है। ऐसा 20 मार्च को जाट निकाय के संसद के घेराव के मद्देनजर किया गया है। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि रोहतक, झज्जर, भिवानी, चरखी दादरी और हिसार सहित हरियाणा के कई संवेदनशील जिलों में आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता प्रक्रिया (सीआरपीसी) की धारा 144 के तहत लोगों के अवैध तौर पर जमा होने पर रोक लगा दी। इन इलाकों की इंटरनेट सेवा अनिश्चितकाल के लिए निलंबित कर दी गई है। उन्होंने कहा कि ट्रैक्टर-ट्रोलियों के एक जिले से दूसरे जिले में आने-जाने पर भी रोक लगा दी गई है। स्थिति से निपटने के लिए सेना को बुलाया गया है। इस बीच, ऑल इंडिया जाट आरक्षण संघर्ष समिति (एआईजेएएसएस) 20 मार्च से राष्ट्रीय राजधानी की घेराबंदी करने पर अड़ी है। उनका आरोप है कि उनकी मांगे नहीं मानी गई हैं। यह संगठन आरक्षण के लिए आंदोलन की अगुवाई कर रहा है। एआईजेएएसएस अध्यक्ष यशपाल मलिक ने कहा कि केंद्र को मुद्दा हल करने के लिए दखल देना चाहिए। उन्होंने कहा कि पिछले साल फरवरी से हम हरियाणा सरकार से छह मौकों पर बातचीत कर चुके हैं लेकिन हमारी मांगे अब तक नहीं मानी गई हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मनोहर लाल नीत राज्य सरकार दुविधा में है और मुद्दे के समाधान के लिए गंभीरता नहीं दिखा रही है।

गुरूग्राम: मानेसर के मारुति सुजुकी के मैनेजर (मानव संसाधन) अवनीश कुमार देव की 18 जुलाई 2012 को हुई हत्या मामले में शनिवार को 13 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश आर.पी. गोयल की अदालत ने शुक्रवार को अभियोजन व बचाव पक्ष की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। अदालत ने इन 13 के अलावा चार अभियुक्तों को पांच-पांच साल सजा सुनाई। इनमें से अधिकांश चार साल की सजा जेल में काट चुके हैं। 14 अन्य अभियुक्तों को दंगा करने के मामले में जुर्माना लेकर रिहा कर दिया गया। बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि वह पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में इस फैसले को चुनौती देंगे। मारुति मैनेजर की हत्या व अन्य मामलों में जिन 13 अभियुक्तों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई, उनमें राम मेहर, संदीप ढिल्लों, रामविलास, सरबजीत सिंह, पवन कुमार, सोहन कुमार, प्रदीप कुमार, अजमेर सिंह, जिया लाल, अमरजीत कपूर, धनराज भांबी, योगेश कुमार और प्रदीप गुज्जर शामिल हैं। इन्हें भारतीय दंड संहिता में हत्या, हत्या के प्रयास, दंगा, संपत्ति का नुकसान और दुर्व्यवहार मामले में दोषी पाया गया। मैनेजर देव को कर्मचारियों ने विवाद होने के बाद आग में झोंक कर मार डाला था। इस मामले में 117 अभियुक्तों को बरी कर दिया गया था। पुलिस ने इस मामले में 148 कर्मचारियों को गिरफ्तार किया था।

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