चंडीगढ़ (जनादेश ब्यूरो): किसानों का दिल्ली कूच फिलहाल टलने के बाद हरियाणा-पंजाब बॉर्डर पर सिर्फ पंजाब की तरफ ही आंदोलन का रुख दिख रहा है। जबकि हरियाणा की तरफ शांति रही। हालांकि जींद, कैथल, फतेहाबाद और सिरसा में पुलिस एहतियातन सतर्क रही।
वहीं, अंबाला में शंभू बॉर्डर दिनभर बैठक चलती रही इसके बाद किसान नेता खनौरी बॉर्डर के लिए रवाना हुए। सोमवार को खनौरी बॉर्डर पर धरना शांतिपूर्ण ढंग से चला। जींद जिले की सीमा पर हरियाणा की तरफ आंदोलन का प्रभाव नहीं रहा।
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का आमरण अनशन जारी रहा लेकिन उनकी लगातार सेहत बिगड़ रही है। बहादुरगढ़ में टिकरी बॉर्डर पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी है। दिल्ली और बहादुरगढ़ पुलिस प्रशासन के अधिकारी लगातार स्थिति का जायजा ले रहे हैं।
टिकरी बॉर्डर पर तीन दिन पहले ही यहां पर लोहे के बैरिकेड, कंटेनर लाकर रख दिए गए थे। कट्टों में भरकर मिट्टी रखी गई है। दिल्ली पुलिस ने 8 तंबू लगाए हैं। इनमें एक होटल की छत पर लगाया है। सीआरपीएफ, बीएसएफ और आरएएफ की कंपनी तैनात कर दी गई है।
दिल्ली पुलिस के जवान भी टिकरी बॉर्डर पर तैनात हैं। वहीं, सेक्टर-9 मोड़ बहादुरगढ़ में पुलिस ने दो दिन पहले लोहे के बैरिकेड रखवा दिए थे। फिलहाल हालात सामान्य है। दिल्ली और हरियाणा में वाहनों का आवागमन आसानी से हो रहा है। वहीं, सोनीपत जिले के कुंडली बॉर्डर पर हालात सामान्य हैं।
अभय चौटाला बोले- रास्ता रोककर किसानों पर अत्याचार कर रही भाजपा
इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के महासचिव एवं पूर्व विधायक अभय चौटाला ने सोमवार को किसान आंदोलन को पूर्ण समर्थन दिया। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार पैदल दिल्ली जा रहे किसानों का रास्ता रोक उन पर अत्याचार कर रही है। चौटाला ने सोमवार को अपने आवास पर प्रेसवार्ता की। उन्होंने कहा कि इनेलो किसान आंदोलन के साथ है। अभय ने कहा कि किसान पैदल दिल्ली जाकर केंद्र सरकार से अपना हक मांगना चाहते हैं। इसलिए पूरे विपक्ष को किसानों के समर्थन में डटकर खड़े होना चाहिए। हरियाणा की भाजपा सरकार किसानों पर अत्याचार कर रही है।
सरकार ने किसानों की मांगों को न माना तो स्थिति होगी खराब : बेनीवाल खाप
जाट धर्मशाला में प्रांतीय प्रधान भरत सिंह बेनीवाल की अध्यक्षता में बेनीवाल खाप की बैठक हुई। बैठक में खाप के नेताओं ने कहा कि किसानों को अपनी मांगों के लिए दिल्ली जाने से प्रदेश सरकार की ओर से रोकना एक अलोकतांत्रिक करवाई है, जो किसानों के मौलिक अधिकारों का हनन है।