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ढाका: बांग्लादेश की एक अदालत ने बुधवार को राजद्रोह के मामले में हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास की जमानत याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि उनकी याचिका पर सुनवाई पहले तय की गई तारीख 2 जनवरी 2025 को होगी।

अदालत के अधिकारियों के मुताबिक, चटगांव मेट्रोपोलिटन सेशन जज सैफुल इस्लाम ने याचिका खारिज की, क्योंकि वकील के पास चिन्मय दास की ओर से याचिका दायर करने का अधिकार पत्र (पावर ऑफ अटॉर्नी) नहीं था। वकील रवींद्र घोष ने अदालत से याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग की थी। हालांकि, जब दूसरे वकील ने अदालत को बताया कि रवींद्र घोष के पास चिन्मय दास की ओर से उनका प्रतिनिधित्व करने का अधिकार पत्र नहीं है, तो जज ने उनकी जल्द सुनवाई की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी। अदालत के एक अधिकारी ने बताया कि घोष ने कहा कि दास को झूठे और मनगढ़ंत मामले में फंसाया गया है, जबकि वे डायबिटीज, अस्थमा और अन्य बीमारियों से जूझ रहे हैं।

हालांकि, वकील ने यह माना कि उन्होंने चिन्मय दास से अधिकार पत्र हासिल करने के लिए जेल में उनसे मुलाकात नहीं की थी। उन्होंने कहा, अब मैं चिन्मय दास से मिलने जेल जाऊंगा और उनसे अधिकार पत्र हासिल करूंगा। इससे पहले, तीन दिसंबर को होने वाली सुनवाई को अदालत ने 2 जनवरी 2025 तक के लिए स्थगित कर दिया था, क्योंकि उस दिन आरोपी की ओर से कोई वकील पेश नहीं हुआ था। अभियोजन पक्ष के सुझाव पर यह तारीख बदली गई थी।

दास के एक सहयोगी और उनके सम्मिलित सनातनी जागरण जोत संगठन के सदस्य स्वतंत्र गौरंग दास ने पहले कहा था कि किसी भी वकील ने दास के लिए प्रतिनिधित्व नहीं किया, क्योंकि उन पर राजनीतिक रूप से प्रेरित वकीलों के समूह से दबाव था और धमकियां मिली थीं।

हवाई अड्डे से गिरफ्तार किए गए थे चिन्मय कृष्ण दास

चिन्मय कृष्ण दास पहले इस्कॉन से जुड़े रहे हैं। उन्हें 25 नवंबर को ढाका के हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया गया था। अगले दिन चटगांव की अदालत ने उन्हें जेल भेज दिया था और उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी, क्योंकि उन पर बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप था। दास की गिरफ्तारी के बाद उनके अनुयायियों ने ढाका और अन्य स्थानों पर विरोध प्रदर्शन किए, जिसमें चटगांव में प्रदर्शन हिंस गया, जहां एक वकील की मौत हुई। इस वकील की मौत के बाद इस्कॉन पर बांग्लादेश में प्रतिबंध लगाने की मांग की गई। इस्कॉन ने भी यह कहते हुए दास से दूरी बना ली कि उन्हें छह महीने पहले संगठन से निकाल दिया गया था।

31 अक्तूबर को चटगांव के कोटवाली थाने में दास और उनके 18 अन्य सहयोगियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। आरोप था कि उन्होंने बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया। जिसमें एक स्थानीय नेता भी शामिल था, जो पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की पार्टी बीएनपी का सदस्य था। लेकिन उसे पार्टी से निकाल दिया गया था।

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