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नई दिल्ली: अरुण शौरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अहंकारी होने और एक व्यक्ति के प्रभुत्व वाली राष्ट्रपति प्रणाली की सरकार चलाने का आरोप लगाया और कहा कि ऐसी सरकार की दिशा भारत के लिए खतरनाक है। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे और हाल के वर्षों में भाजपा से दूर हो चुके शौरी ने मोदी सरकार को बिना किसी नियंत्रण वाली राष्ट्रपति प्रणाली की सरकार बताया और कहा कि उनकी अगुवाई में इस सरकार का रूख भारत के लिए अच्छी नहीं है। इंडियान टुडे टीवी के टू द प्वाइंट कार्यक्रम में करण थापर के साथ 40 मिनट के साक्षात्कार में उन्होंने मोदी सरकार के दो साल के कार्यकाल का विश्लेषण किया और चेतावनी दी कि अगले तीन साल में उन्हें अरूचिकर आवाजों का गला घोंटने की प्रवृत्ति दिखने के अलावा नागरिक स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने की और अधिक व्यवस्थित कोशिश एवं विकेंद्रीकत घौंसपट्टी में वृद्धि की आशंका नजर आती है। चैनल की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार शौरी ने प्रधानमंत्री पर अहंकारी होने का आरोप लगाया और कहा कि वह बहुत हद तक आत्ममुग्ध हैं और उनमें असुरक्षा का बोध है।
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नई दिल्ली: कांग्रेस पर तीखा प्रहार करते हुए सरकार ने शुक्रवार को कहा कि पिछली संप्रग सरकार ने अगस्टावेस्टलैंड को हेलिकाप्टर सौदा दिलाने के लिए ‘सब कुछ किया’ और इस मामले में रिश्वत लेने वाले बड़े नामों का पता लगाया जाएगा ताकि ‘जो हम बोफोर्स में नहीं कर सके वह हम इस मामले में कर सकेंगे।’ लोकसभा में बेहद कड़े बयान में रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि इस सौदे में ‘पूरा भ्रष्टाचार’ संप्रग सरकार के दौरान हुआ लेकिन पूर्व वायुसेना प्रमुख एस पी त्यागी और गौतम खेतान इस मामले में ‘छोटे नाम’ हैं। अभी जिन लोगों के नाम सामने आए हैं, वे छोटे लोग है। त्यागी, खेतान ने तो बहती गंगा में हाथ धो लिया। हम यह पता लगा रहे हैं कि गंगा कहां जाती है।’ उन्होंने कहा कि इस सौदे के बारे में फैसला 2010 में किया गया जबकि त्यागी वर्ष 2007 में सेवानिवृत्त हो गए और हो सकता है ‘उन्हें सिर्फ चिल्लर मिले हों।’ उच्चतम न्यायालय की निगरानी में इस मामले की जांच की मांग कर रही कांग्रेस के वाकआउट के बीच रक्षा मंत्री ने कहा कि सीबीआई ‘बेहद गंभीरता के साथ इस मामले की जांच कर रही है। मुझे उम्मीद है कि मैं सचाई सामने लाने में आपको निराश नहीं करूंगा।’ रक्षा मंत्री ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर सदस्यों के सवालों का स्पष्टीकरण देते हुए कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि सदस्य संतुष्ट होंगे और सदस्य सचाई का पता लगाने में सरकार के साथ सहयोग करेंगे।
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने ऑगस्टा वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर सौदा मामले में इतालवी अदालत के फैसले में नामित लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने की मांग करने वाली एक जनहित याचिका पर केंद्र और सीबीआई को नोटिस जारी किया। साथ ही, कोर्ट की निगरानी में इस घोटाले की एसआईटी जांच पर जवाब मांगा है। गौर हो कि इस याचिका में कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग की गई। सुप्रीम कोर्ट ने ऑगस्टा हेलीकॉप्टर मामले में इतालवी अदालत के फैसले में कथित रूप से नामित कुछ नेताओं एवं अन्य लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग करने वाली जनहित याचिका पर केंद्र और सीबीआई से आज (शुक्रवार) जवाब मांगा। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति शिव कीर्ति सिंह की पीठ ने वकील एमएल शर्मा की ओर से दायर की गई याचिका पर नोटिस जारी किए। याचिका में मामले की जांच अदालत की निगरानी में कराने की मांग की गई है। यह जनहित याचिका पिछले सप्ताह दायर की गई थी और इसमें संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह समेत उन नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने की मांग की गई है, जिनके नामों का जिक्र इतालवी अदालत के फैसले में कथित रूप से किया गया था।
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नई दिल्ली: उत्तराखंड में 10 मई को फ्लोर टेस्ट होने जा रहा है, जिसमें कांग्रेस के 9 बागी विधायक हिस्सा नहीं लेंगे। राज्य में 2 घंटे (11 से 1 बजे तक) के लिए राष्ट्रपति शासन नहीं रहेगा और वोटिंग की वीडियोग्राफी की जाएगी। इससे पहले केंद्र उत्तराखंड में फ्लोर टेस्ट करवाने के लिए तैयार है। अटॉर्नी जरनल ने यह जानकारी सुप्रीम कोर्ट में दी। इससे पूर्व की सुनवाई में केंद्र ने जवाब दाखिल करके कहा था कि वह फ्लोर टेस्ट पर गंभीरता से विचार कर रहा है। दरअसल, नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन हटाने का फ़ैसला दिया था जिसके ख़िलाफ़ केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट गई। मंगलवार को कोर्ट ने केंद्र से पूछा था कि क्यों न पहले कोर्ट की निगरानी में फ्लोर टेस्ट कराया जाए। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने रामेश्वर जजमेंट का हवाला भी दिया था। बता दें कि फिलहाल राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू है। हाईकोर्ट के आदेश पर रोक इससे पहले उत्तराखंड हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए राष्ट्रपति शासन हटाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि राज्य में 18 मार्च से पहले की स्थिति बनी रहेगी। ऐसे में हरीश रावत एक बार फिर राज्य के मुख्यमंत्री बन गए थे और उन्हें 29 अप्रैल को विधानसभा में बहुमत साबित करने का आदेश दिया गया था। हाई कोर्ट के इस आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी और राज्य में राष्ट्रपति शासन फिर लागू हो गया है।
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