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संविधान ने देश में बदलाव लाने में उल्लेखनीय मदद की: सीजेआई खन्ना

नई दिल्ली: कांग्रेस पर तीखा प्रहार करते हुए सरकार ने शुक्रवार को कहा कि पिछली संप्रग सरकार ने अगस्टावेस्टलैंड को हेलिकाप्टर सौदा दिलाने के लिए ‘सब कुछ किया’ और इस मामले में रिश्वत लेने वाले बड़े नामों का पता लगाया जाएगा ताकि ‘जो हम बोफोर्स में नहीं कर सके वह हम इस मामले में कर सकेंगे।’ लोकसभा में बेहद कड़े बयान में रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि इस सौदे में ‘पूरा भ्रष्टाचार’ संप्रग सरकार के दौरान हुआ लेकिन पूर्व वायुसेना प्रमुख एस पी त्यागी और गौतम खेतान इस मामले में ‘छोटे नाम’ हैं। अभी जिन लोगों के नाम सामने आए हैं, वे छोटे लोग है। त्यागी, खेतान ने तो बहती गंगा में हाथ धो लिया। हम यह पता लगा रहे हैं कि गंगा कहां जाती है।’ उन्होंने कहा कि इस सौदे के बारे में फैसला 2010 में किया गया जबकि त्यागी वर्ष 2007 में सेवानिवृत्त हो गए और हो सकता है ‘उन्हें सिर्फ चिल्लर मिले हों।’ उच्चतम न्यायालय की निगरानी में इस मामले की जांच की मांग कर रही कांग्रेस के वाकआउट के बीच रक्षा मंत्री ने कहा कि सीबीआई ‘बेहद गंभीरता के साथ इस मामले की जांच कर रही है। मुझे उम्मीद है कि मैं सचाई सामने लाने में आपको निराश नहीं करूंगा।’ रक्षा मंत्री ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर सदस्यों के सवालों का स्पष्टीकरण देते हुए कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि सदस्य संतुष्ट होंगे और सदस्य सचाई का पता लगाने में सरकार के साथ सहयोग करेंगे।

हो सकता है सचाई अवांछित यथार्थ की ओर ले जाए। हम जो बोफोर्स में नहीं कर सके, अगस्तावेस्टलैंड में कर सकेंगे।’ कांग्रेस सदस्यों के विरोध के बीच अपना प्रहार जारी रखते हुए रक्षा मंत्री ने कहा, ‘मैंने किसी के ऊपर कोई आरोप नहीं लगाए। किसी का नाम नहीं लिया। लेकिन जो अरबी खाते हैं, उनके गले में ही खुजली होती है। इन्हें (कांग्रेस) पता है कि गंगा कहां बह कर जाती है।’ अपने बयान में रक्षा मंत्री ने इस मामले कांग्रेस पर निशाना तो साधा लेकिन किसी का सीधे नाम नहीं लिया। उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार ने 12 वीवीआईपी हेलिकाप्टर खरीदने के लिए अगस्तावेस्टलैंड को 3600 करोड़ रुपये का सौदा दिलाने में मदद के लिए ‘सब कुछ किया’ और भ्रष्टाचार का खुलासा होने के बाद कंपनी के खिलाफ उसकी कार्रवाई स्वत:सफूर्त नहीं थी बल्कि ‘परिस्थितियों से मजबूर होकर’ उठाया गया कदम थी। रक्षा मंत्री ने पुरजोर शब्दों में कहा कि सरकार 398 मिलियन यूरो मूल्य के नुकसान की भरपाई के साथ ही ‘रिश्वत’ की भी वसूली करेगी। इतालवी अदालत के हालिया फैसले का जिक्र करते हुए पर्रिकर ने कहा कि इस फैसले से यह तो साबित हो गया है कि आपराधिक साजिश हुई और ‘हम बहुत जल्दी दस्तावेज हासिल करेंगे।’ इस करार में बिचौलिये क्रिश्चियन मिशेल के साथ कांग्रेस पार्टी के घनिष्ठ संबंध होने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि एक ऐसी कंपनी को सौदा दिया गया जिसने निविदा प्रक्रिया में ही हिस्सा नहीं लिया था। करार में खामियों को उजागर करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि इटली स्थित कंपनी अगस्तावेस्टलैंड ने निविदा दाखिल की थी लेकिन सौदा ब्रिटेन स्थित अगस्तावेस्टलैंड इंटरनेशनल लिमिटेड (एडब्ल्यूआईएल) को दिया गया जो कि मूल उपकरण विनिर्माता (ओईएम) नहीं थी। उन्होंने कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘मैं हैरान हूं, आप ऐसी कंपनी से आर्डर कैसे स्वीकार कर सकते हैं जिसने निविदा ही नहीं दी? उनका दिमाग ने काम करना बंद कर दिया था? वे सोच रहे थे कि हम ही हमेशा सत्ता में रहेंगे। यूरो की झलक और उसकी महक इतना आकर्षित कर रही थी। इतनी नशीली थी कि वे सब कुछ भूल गए। उन्हें मिशेल से सलाह मशविरा करना चाहिए था कि लीपापोती कैसे की जाती है।’

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