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संविधान ने देश में बदलाव लाने में उल्लेखनीय मदद की: सीजेआई खन्ना

नई दिल्ली: उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री के साथ राज्य में सूखे की स्थिति की समीक्षा करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज (शनिवार) निर्देश दिए कि राज्य द्वारा दो दिन पहले सौंपे गए ज्ञापन के मुताबिक उसे तुरंत सहायता दी जाए। प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से जारी एक बयान के मुताबिक यादव के साथ यहां एक बैठक में जल की कमी पर भी चर्चा हुई। मोदी ने कहा कि सूखे के कारण लोगों को पेश आ रही समस्याओं को कम करने के लिए केंद्र और राज्यों को मिलकर काम करना होगा। उन्होंने सूखे से निपटने के लिए मध्यम और दीर्घ अवधि की योजना पर ध्यान केंद्रित करने को कहा। बयान में कहा गया है कि यादव ने प्रधानमंत्री को राज्य खासकर बुंदेलखंड इलाके में सूखे की स्थिति के कारण लोगों को आ रही समस्याओं को कम करने के लिए उठाए गए कदमों से अवगत कराया । गौरतलब है कि राज्य ने दो दिनों पहले 2015-16 के रबी मौसम में सहयोग के लिए केंद्र को एक ज्ञापन सौंपा था और प्रधानमंत्री ने निर्देश दिया कि प्रक्रिया को पूरा किया जाए और अविलंब सहयोग दिया जाए। राज्य की ओर से उन्हें 78 हजार जल निकायों को दुरूस्त करने की कार्ययोजना की जानकारी दी गई जिसमें टैंक, तालाब और खेतों के तालाब शामिल हैं। इसके अलावा एक लाख नए जल निकाय और जल केंद्र बनाने की बात भी कही गई ।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को यह साफ कर दिया कि जो छात्र एमबीबीएस और बीडीएस में दाखिले के लिए राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा-1 (एनईईटी) में शामिल हो चुके हैं उन्हें 24 जुलाई को होने वाली नीट-2 में शामिल होने की अनुमति नहीं दी जा सकती। न्यायमूर्ति ए.आर. दवे, न्यायमूर्ति शिवकीर्ति सिंह और न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की पीठ ने कहा, ‘जो छात्र नीट प्रथम चरण में बैठे थे उन्हें दूसरे चरण के नीट में बैठने की इजाजत नहीं दी जा सकती बल्कि जो छात्र प्रथम चरण के नीट में नहीं बैठ सके थे उन्हें दूसरे चरण के नीट में बैठने की इजाजत दी जा सकती है।’ पीठ ने इस बात का संकेत दिया कि वह सिर्फ मौजूदा शैक्षणिक सत्र के लिए राज्यों को दाखिले की प्रक्रिया के लिए अपनी परीक्षा लेने की अनुमति देने पर विचार कर सकती है। उसने इस पहलू पर नौ मई तक फैसला टाल दिया जब सॉलीसीटर जनरल रंजीत कुमार इस बारे में पीठ को केंद्र के रख से अवगत कराएंगे। अदालत ने कहा, ‘जो छात्र राज्यों द्वारा आयोजित परीक्षा में बैठ चुके हैं या बैठने वाले हैं उसके संबंध में मुद्दे का राज्य के कानूनों के अनुरूप सॉलीसीटर जनरल को सुनने के बाद फैसला किया जाएगा।’

नई दिल्ली : गायत्री परिवार के प्रमुख डॉ. प्रणव पंड्या अब राज्यसभा सांसद नहीं बनेंगे। प्रणव ने राज्यसभा की सदस्यता को नामंजूर कर दिया है। इस संबंध में उन्होंने कहा कि मैंने अंतरात्मा की आवाज सुनी। राज्यसभा में बहस का स्तर मेरे लायक नहीं है। पंड्या ने यह जानकारी शुक्रवार सुबह 10.00 बजे राष्ट्रपति भवन को भेजी। डॉ. पंड्या ने कहा कि सांसद बनना मेरे मौजूदा पद से छोटा है। हालांकि उनके मनोनयन के बाद मीडिया से जुड़ी चर्चित हस्तियों में से किसी एक को राज्यसभा के लिए मनोनीत किए जाने की अटकलों पर पूर्ण विराम लग गया था। पंड्या का कहना है कि अखिल विश्व गायत्री परिवार के लाखों सदस्यों को उनके राज्यसभा सदस्य बनने से एतराज है इसलिए भी वह राज्यसभा की सदस्यता नहीं ले सकते। पंड्या ने बताया कि अभी तक उन्होंने शपथ नहीं ली थी, इसलिए यह फैसला आज ही ले लिया। उन्होंने कहा कि किसी अन्य योग्य व्यक्ति को यह पद मिलना चाहिए। गौरतलब है कि प्रणव पंड्या को मोदी सरकार ने मनोनीत किया था। प्रणव के मनोनयन पर सूत्रों का कहना था कि डॉ. पंड्या प्रधानमंत्री मोदी के बेहद करीबी हैं और उनका चयन पीएम मोदी की व्यक्तिगत पसंद थी।

नई दिल्ली: जेएनयू सहित कुछ केंद्रीय विश्वविद्यालयों के छात्रों के निलंबन के मुद्दे पर हस्तक्षेप से साफ तौर पर इंकार करते हुए केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने आज कहा कि चूंकि ये शिक्षण संस्थान स्वायत्त संस्थाएं हैं इसलिए वह हस्तक्षेप कर नए विवादों को जन्म देना नहीं चाहतीं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के कामकाज पर हुई चर्चा का राज्यसभा में जवाब देते हुए स्मृति ईरानी ने कहा कि वह संसद द्वारा पारित किए गए कानूनों से बंधी हुई हैं। इसलिए वह विश्वविद्यालयों द्वारा किए गए प्रशासनिक निर्णयों में हस्तक्षेप नहीं कर सकतीं। इन मामलों में संबंधित विश्वविद्यालय का प्रशासन ही निर्णय कर सकता है। उन्होंने कहा कि वह नहीं चाहतीं कि उनके हस्तक्षेप करने से नए विवादों का जन्म हो जाए। इससे पहले कांग्रेस के आनंद भास्कर रपोलू ने उनसे स्पष्टीकरण मांगते हुए यह जानना चाहा था कि क्या कुछ केंद्रीय विश्वविद्यालयों द्वारा पिछले दिनों कुछ छात्रों को निष्कासित करने के मामले में वह हस्तक्षेप करेंगी और प्रभावित छात्रों को राहत दिलवाएंगी। गौरतलब है कि जवाहरलाल नेहरू (जेएनयू) विश्वविद्यालय ने पिछले माह शोधार्थी उमर खालिद तथा अनिर्वाण भट्टाचार्य को निष्कासित कर दिया था तथा कन्हैया कुमार पर 10,000 रूपये का जुर्माना किया था।

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