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संविधान ने देश में बदलाव लाने में उल्लेखनीय मदद की: सीजेआई खन्ना

नई दिल्ली: संसद की आचार समिति विजय माल्या द्वारा राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिए जाने के बाद भी शराब कारोबारी को उच्च सदन से निष्कासित करने की सिफारिश करेगी। वहीं राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी ने उनका इस्तीफा प्रक्रियागत आधार पर अस्वीकार कर दिया है। माल्या राज्यसभा के निर्दलीय सदस्य हैं। अंसारी के ओएसडी गुरदीप सिंह सप्पल ने राज्यसभा महासचिव के पत्र का जिक्र करते हुए ट्विटर पर कहा, 'हामिद अंसारी, सभापति, राज्यसभा, विजय माल्या का इस्तीफा स्वीकार नहीं करते। महासचिव राज्यसभा ने माल्या को लिखा है कि उनका त्यागपत्र प्रक्रियाओं के अनुरूप नहीं है और इस पर वास्तविक हस्ताक्षर नहीं हैं।' उन्होंने कहा, 'राज्यसभा प्रक्रियाओं के नियम 213 के अनुरूप त्यागपत्र स्वेच्छापूर्ण और वास्तवकि होना चाहिए।' वहीं सूत्रों ने बताया कि समिति में इस फैसले पर आम सहमति थी कि 9,400 करोड़ रुपये से ज्यादा के कर्ज चूक का सामना कर रहे माल्या को अब उच्च सदन में और नहीं रहने देना चाहिए। समिति ने अपने नोटिस पर माल्या के जवाब को संतोषजनक नहीं पाया। सूत्रों ने बताया कि समिति बुधवार को राज्यसभा में अपनी रिपोर्ट रखेगी। किसी भी सांसद की सदस्यता खत्म करने के लिए सदन में इस आशय का प्रस्ताव लाना और इसे मंजूरी दिया जाना आवश्यक होता है।

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय ने कोर्ट को बताया कि 1996 में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी के बीए कोर्स करने से जुड़े दस्तावेज अब तक नहीं मिले हैं। ईरानी ने 2004 के लोकसभा चुनाव के दौरान दायर हलफनामे में इस कोर्स का जिक्र किया था। कोर्ट ने विश्वविद्यालय के पत्राचार विभाग से यह दस्तावेज तलब किए थे, क्योंकि ऐसा आरोप था कि ईरानी ने अप्रैल, 2004 के चुनाव में अपने हलफनामे में दावा किया था कि उन्होंने 1996 में बीए किया था। विश्वविद्यालय के पत्राचार विद्यालय के सहायक पंजीकार ओ पी तंवर ने मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट हरविंदर सिंह से कहा, 'उनके बीए से संबंधित 1996 के दस्तावेज अभी मिलने बाकी हैं।' वैसे तंवर ने 1993-94 के बी कॉम (ऑनर्स) के लिए एडमिशन फॉर्म, इस कोर्स का रिजल्ट और 2013-14 में बीए (ऑनर्स) राजनीति विज्ञान प्रथम वर्ष में उनके रॉल नंबर वाले फॉर्म सहित उनकी शिक्षा से जुड़े कुछ दस्तावेज पेश किए हैं। उन्होंने कहा कि बी कॉम (ऑनर्स) के एडमिशन फॉर्म के साथ सौंपे गए ईरानी की कक्षा 12वीं के दस्तावेज भी नहीं मिले हैं। लेकिन उन्होंने कहा कि प्रवेश से पहले सत्यापन जरूर ही किया गया होगा।

नई दिल्ली : संसद की एक समिति ने सरकार से आज (मंगलवार) सवाल किया कि पठानकोट आतंकी हमले की जांच में पाकिस्तान की मदद मांगे जाने के पीछे क्या वजह थी, जबकि यह पता था कि उसी देश में आधारित जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों ने इस हमले को अंजाम दिया है। गृह मामलों की संसद की स्थायी समिति ने गृह मंत्रालय की इस बात का उल्लेख किया कि एनआईए दो जनवरी को हुए इस आतंकी हमले की जांच कर रही है। समिति ने कहा, ‘हमले के लिए पाकिस्तान आधारित जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े आतंकवादी जिम्मेदार पाए गए और ऐसे में समिति यह जानना चाहेगी कि किस वजह से भारत सरकार ने इस आतंकी हमले की जांच में पाकिस्तान की मदद मांगी और पाकिस्तान के संयुक्त जांच दल को भारत आमंत्रित किया।’ इस समिति की रिपोर्ट आज संसद में रखी गई। पाकिस्तान के संयुक्त जांच दल ने सबूत एकत्र करने के लिए मार्च महीने में पांच दिनों का भारत का दौरा किया था। भारत ने भी इस जांच के संदर्भ में एनआईए की टीम को पाकिस्तान जाने देने की मांग की थी।

नई दिल्ली: उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन को लेकर मंगलवार को अहम सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से सवाल पूछे। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि क्‍या शक्ति परीक्षण कराना चाहते हैं? यदि केंद्र शक्ति परीक्षण के लिए तैयार है तो कल तक जवाब दाखिल करें। केंद्र की अर्जी पर अब कल तक के लिए सुनवाई टल गई है। अब केंद्र सरकार शीर्ष कोर्ट के इन सुझावों पर अपनी बात कल रखेगी। राष्ट्रपति शासन को निरस्त करने के नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली केंद्र सरकार की याचिका पर आज सुनवाई हुई। इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा केंद्र को उत्तराखंड में फ्लोर टेस्ट पर विचार करना चाहिए। और हमारी निगरानी में फ्लोर टेस्‍ट क्‍यों न हो? सुप्रीम कोर्ट ने अटार्नी जनरल से पूछा कि क्यों न उत्तराखंड में भी बहुमत परीक्षण का मौका मिलना चाहिए। इसे कोर्ट की निगरानी में करवाया जा सकता है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई अब कल तक के लिए टाल दी है। गौर हो कि उच्चतम न्यायालय ने कुछ दिनों पहले राष्ट्रपति शासन हटाने पर लगाई रोक बढ़ा दी थी।

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