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मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा कि अपनी स्वायत्तता पर बल देते हुए छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने नीतिगत समीक्षा से पहले वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक करने से सर्वसम्मति से इनकार कर दिया। एमपीसी पर रिजर्व बैंक गवर्नर, डिप्टी गवर्नर और कार्यकारी निदेशक सहित तीन सदस्य रिजर्व बैंक से हैं, जबकि तीन सदस्य बाहर से हैं। पटेल ने कहा, ‘बैठक नहीं हुई. सभी एमपीसी सदस्यों ने वित्त मंत्रालय का बैठक संबंधी अनुरोध अस्वीकार कर दिया।’ आरबीआई गवर्नर से ऐसी बैठक के बारे में पूछा गया था। उनसे कहा गया था कि क्या ऐसी बैठक से आरबीआई की स्वायत्ता से समझौता नहीं होता। वर्ष 2017-18 की बुधवार को जारी दूसरी द्वैमासिक नीति समीक्षा से पहले वित्त मंत्रालय ने ब्याज दर निर्धारण करने वाली इस समिति के साथ बैठक तय की थी। ब्याज दर घटाने की मांग को लेकर अक्सर आरबीआई और सरकार के बीच मतभेद उभरता रहा है। सरकार कई बार आरबीआई की नीतिगत समीक्षा से पहले अपनी उम्मीदें सार्वजनिक रूप से जाहिर कर चुकी है। वृद्धि में तेजी लाना सरकार के लिए बड़ी प्रत्याशा है, जबकि आरबीआई मुद्रास्फीति की चिंता के अनुरूप ही कदम उठाता है।
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नई दिल्ली: आरबीआई गर्वनर उर्जित पटेल ने कहा है कि कृषि कर्ज माफी से राजकोषीय स्थिति पर दबाव बढ़ सकता है और राजकोषीय घाटे को लेकर पिछले दो साल में जो काम किया गया यह उसे बेकार कर देगा। रिजर्व बैंक ने कृषि कर्ज माफी के कारण राजकोषीय स्थिति में गिरावट आने की आशंका को लेकर चिंता जताई है। वहीं रिजर्व बैंक ने प्रमुख नीतिगत दर (रेपो-रिवर्स रेपो रेट) में आज कोई बदलाव नहीं किया। केंद्रीय बैंक ने एसएलआर में 0.5 प्रतिशत कटौती की है। केंद्रीय बैंक ने एसएलआर घटाकर 20 प्रतिशत कर दिया। एसएलआर के तहत बैंकों को निर्धारित हिस्सा सरकारी प्रतिभूतियों में लगाना होता है। शीर्ष बैंक के इस कदम से बैंकों के पास कर्ज देने के लिए अधिक नकदी बचेगी। रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक बढ़ोत्तरी के अनुमान को भी 7.4 प्रतिशत से घटाकर 7.3 प्रतिशत कर दिया है। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की यहां हुई पांचवीं बैठक में रेपो दर को 6.25 प्रतिशत तथा रिवर्स रेपो को 6 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया।
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नई दिल्ली: आरबीआई ने अनुमानों और विश्लेषणों के मुताबिक ही ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया। केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट की दर 6.25 फीसदी ही बरकरार रखी है। बैंक द्वारा ब्याज दरें यथावत रखने का सीधा सा अर्थ हुआ कि न तो लोन लेना सस्ता हुआ और न ही आपकी ईएमआई पर असर पड़ेगा। रिजर्व बैंक ने सांविधिक तरलता अनुपात यानी एसएलआर में 0.5 प्रतिशत कटौती की है। रिजर्व बैंक ने 2017-18 की पहली छमाही के लिये मुद्रास्फीति 2 से 3.5 प्रतिशत तथा दूसरी छमाही में 3.5 से 4.5 प्रतिशत के दायरे में रहने का अनुमान जताया। रॉयटर्स के 60 अर्थशास्त्रियों से बातचीत के आधार पर किए गए पोल में अधिकांश ने यही संभावना जताई थी कि आरबीआई अपने मौद्रिक नीति की समीक्षा में ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करने वाली है। ज्यादातर विशेषज्ञों का मानना था कि बैंकिंग प्रणाली में 60 अरब डॉलर से भी अधिक की अधिशेष नकदी को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय बैंक द्वारा नीतिगत ब्याज दर में किसी तरह का बदलाव अपेक्षित नहीं है। हालांकि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को ब्याज दरों में कटौती की वकालत करते हुए कहा था कि मुद्रास्फीति लंबे समय से नियंत्रण में है और अच्छे मानसून के उम्मीद के बीच इसके आगे भी कम बने रहेन की उम्मीद है।
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नई दिल्ली: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने अपने चार करोड़ से अधिक सदस्यों के लिए आधार संख्या जमा कराने की अंतिम तिथि को 30 जून तक बढ़ा दिया है। हालांकि, पूर्वोत्तर के राज्यों के लिए यह अंतिम तिथि 30 सितंबर 2017 है। ईपीएफओ ने एक परिपत्र में कहा है कि सभी फील्ड कार्यालयों को निर्देश दिया जाता है कि कर्मचारी पेंशन योजना-1995 को अपनाने वाले सभी नए सदस्यों की आधार संख्या नियोक्ता एक जुलाई 2017 से पहले जमा कराएं और पूर्वोत्तर के राज्यों में यह कार्य एक अक्तूबर 2017 से पहले पूरा किया जाना है। ईपीएफओ ने जनवरी में अपने सभी सदस्यों के लिए आधार संख्या जमा कराना अनिवार्य कर दिया था। ईपीएफओ इस साल एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (एटीएफ) में 20,000 करोड़ रुपए का निवेश करेगा। केंद्रीय श्रम एवं रोजगार राज्यमंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने हाल में इस संबंध में जानकारी देते हुए कहा था कि ईपीएफओ ने एटीएफ में निवेश की सीमा बढ़ाने का फैसला किया। दत्तात्रेय ने कहा कि एटीएफ में निवेश की सीमा को निवेश योग्य जमा का 10 से बढ़ाकर 15 फीसदी करने के बारे में ईपीएफओ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) विचार करेगा। आपको बता दें कि फाइनेंशियल ईयर 2015-16 में 6,577 करोड़ रुपए का निवेश किया गया। 2016-17 में यह आंकड़ा 14,982 करोड़ रुपए रहा।
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