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संविधान ने देश में बदलाव लाने में उल्लेखनीय मदद की: सीजेआई खन्ना

नई दिल्ली: माल एवं सेवाकर (जीएसटी) के एक जुलाई से लागू होने की पूरी संभावना को देखते हुए कंपनियां अपने पुराने माल को निपटाने के लिए ग्राहकों को भारी छूट की पेशकश कर रही हैं। जहां परिधान कंपनियां अपने पुराने माल को ठिकाने लगा रही हैं वहीं कार बनाने वाली कंपनियां 2.5 लाख रुपये तक की छूट दे रही है। लिवाइस, रीबॉक और वुडलैंड इस समय अपने उत्पादों पर भारी छूट दे रही हैं। वुडलैंड वर्ल्डवाइड के प्रबंध निदेशक हरकीरत सिंह ने कहा कि खुदरा विक्रेता ज्यादा मात्रा में पुराने माल को अपने पास नहीं रखना चाहते क्योंकि नई कर प्रणाली में उनका मार्जिन बदलने की संभावना है। कोई भी ब्रांड एक जुलाई से पहले अपना पूरा पुराना माल नहीं बेच सकती लेकिन हम अधिक से अधिक माल बेचने की कोशिश कर रहे हैं।

नई दिल्ली: पेट्रोलियम कंपनियों के रोज पेट्रोल-डीजल के दाम बदलने के प्रस्ताव के विरोध में डीलरों द्वारा आहूत हड़ताल वापस ले ली गई है। इसके साथ ही शुक्रवार (16 जून) से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में रोज बदलाव का रास्ता साफ हो गया है। सरकार ने डीलरों की यह मांग मान ली है कि कीमतों की घोषणा आधी रात को करने के बजाए सुबह छह बजे की जाए। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बुधवार को संवाददाताओं से कहा कि डीलर नए समय और देशव्यापी पेट्रोल और डीजल की कीमतों में संशोधन 16 जून से करने पर राजी हो गए हैं। वर्तमान में, सरकारी तेल विपणन कंपनियां (ओएमसी) वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों के आधार पर खुदरा ईंधन के मूल्य की हर पखवाड़े समीक्षा करती हैं और उसे संशोधित करती हैं। इसके बाद मध्यरात्रि से संशोधन प्रभावी होता है। डीलरों का कहना था कि रोज रात में कीमतें बदले के लिए उन्हें अलग से रात में आदमी लगाने पड़ेंगे, इसलिए इसे सुबह से किया जाए। प्रधान ने कहा, 'कुछ व्यावहारिक कठिनाइयां थीं, जो हमने आज सभी तीन पेट्रोलियम डीलरों एसोसिएशन के नेतृत्व के साथ बैठक के दौरान हल कर ली है। दैनिक कीमतें सुबह छह बजे बदली जाएंगी।' फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया पेट्रोलियम ट्रेडर्स (एफएआईपीटी) के अध्यक्ष अशोक बुधवार ने कहा कि वे शुक्रवार को बंद का आह्वान वापस ले रहे हैं, क्योंकि सरकार ने सार्वजनिक हित में दैनिक मूल्य संशोधन का निर्णय लिया है।

नई दिल्ली: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने किसानों के हित में एक बड़ा फैसला लिया है, जिसके तहत अब किसानों को अल्पावधि फसली कर्ज सात प्रतिशत की सस्ती दर पर मिलता रहेगा, जो किसान नियमित रूप से सही समय पर अपने कर्ज का भुगतान करते हैं उन्हें चार प्रतिशत की घटी दर पर यह लोन उपलब्ध होगा। किसानों को फसल के लिये सस्ता कर्ज मिलता रहे इसके लिये कैबिनेट ने 20,339 करोड़ रुपये के कोष को मंजूरी दे दी है।किसानों को फसल कटाई के बाद अपनी उपज के भंडारण के लिये भी सात प्रतिशत की सस्ती दर पर कर्ज उपलब्ध होगा। यह व्यवस्था छह माह के लिये होगी। कृषिऋण नौ प्रतिशत की दर पर मिलता है। सरकार की योजना के तहत किसनों के फसली ऋण पर दो प्रतिश ब्याज सहायता दी जाएगी और यह सहायता तीन लाख रुपये तक के फसली ऋण पर उपलब्ध होगी। इतना ही नहीं तीन लाख रुपये से ऊपर के कर्ज का समय पर भुगतान करने वाले किसानों को तीन प्रतिशत की अतिरिक्त सहायता भी दी जाती है,जिसके बाद मात्र चार प्रतिशत की दर पर फसल ऋण उपलब्ध होता है। प्राकृतिक आपदा से प्रभावित किसानों को राहत पहुंचाने के लिये सरकार ने उनकी पुनर्गठित कर्ज राशि पर पहले साल के ब्याज पर दो प्रतिशत ब्याज सहायता देने का फैसला किया है। 

नई दिल्ली: कर्जमाफी और फसलों की अच्छी कीमत की मांग को लेकर देश के कई राज्यों में किसान आंदोलनरत हैं। कर्ज के बोझ तले दबे किसानों की ​खुदकुशी भी चिंता की बात है। इन सब के बीच बैंकरों का आरोप है कि कर्जमाफी की उम्मीद में किसान बैंकों का कर्ज नहीं चुका र​हे हैं। एक अंग्रेजी समाचार पत्र में छपी खबर के अनुसार, बैंकरों का कहना है कि किसानों में कर्ज न चुकाने की प्रवृत्ति बढ़ रही है। कुछ राज्यों में तो कर्ज न चुकाने की दर हाल के महीनों में बढ़कर 50 फीसदी तक हो गई है। बैंकरों ने केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली से मुलाकात में किसानों के कर्ज के मसले को उठाया। साथ ही किसानों के कर्ज न चुकाने को लेकर अपनी चिंताओं से भी मंत्रालय को अवगत कराया। इस बैठक में कई सरकारी बैंकों के अधिकारी शामिल रहे। एक बैं​क प्रमुख ने बताया कि किसान अपने खातों से सारा पैसा निकाल लेते हैं ताकि बैंक अपना कर्ज न ले सकें। गौरतलब है कि यूपी में सत्ता में आने के बाद आदित्यनाथ की सरकार ने किसानों के 36 हजार करोड़ के कर्ज माफ करने की घोषणा कर दी। यूपी सरकार के इस फैसले के बाद से ही अन्य राज्यों के किसान भी कर्जमाफी के लिए राज्य सरकारों पर दबाव डाल रहे हैं।

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