नई दिल्ली: आरबीआई ने अनुमानों और विश्लेषणों के मुताबिक ही ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया। केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट की दर 6.25 फीसदी ही बरकरार रखी है। बैंक द्वारा ब्याज दरें यथावत रखने का सीधा सा अर्थ हुआ कि न तो लोन लेना सस्ता हुआ और न ही आपकी ईएमआई पर असर पड़ेगा। रिजर्व बैंक ने सांविधिक तरलता अनुपात यानी एसएलआर में 0.5 प्रतिशत कटौती की है। रिजर्व बैंक ने 2017-18 की पहली छमाही के लिये मुद्रास्फीति 2 से 3.5 प्रतिशत तथा दूसरी छमाही में 3.5 से 4.5 प्रतिशत के दायरे में रहने का अनुमान जताया। रॉयटर्स के 60 अर्थशास्त्रियों से बातचीत के आधार पर किए गए पोल में अधिकांश ने यही संभावना जताई थी कि आरबीआई अपने मौद्रिक नीति की समीक्षा में ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करने वाली है। ज्यादातर विशेषज्ञों का मानना था कि बैंकिंग प्रणाली में 60 अरब डॉलर से भी अधिक की अधिशेष नकदी को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय बैंक द्वारा नीतिगत ब्याज दर में किसी तरह का बदलाव अपेक्षित नहीं है। हालांकि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को ब्याज दरों में कटौती की वकालत करते हुए कहा था कि मुद्रास्फीति लंबे समय से नियंत्रण में है और अच्छे मानसून के उम्मीद के बीच इसके आगे भी कम बने रहेन की उम्मीद है।
बैंकों को अपने प्रतिदिन के कामकाज लिए अक्सर बड़ी रकम की जरूरत होती है। तब बैंक केंद्रीय बैंक यानी रिजर्व बैंक से रात भर के लिए (ओवरनाइट) कर्ज लेने का विकल्प अपनाते हैं। इस कर्ज पर रिजर्व बैंक को उन्हें जो ब्याज देना पड़ता है, उसे रेपो रेट कहा जाता है। रिवर्स रेपो रेट ऊपर बताए गए रेपो रेट से उल्टा हुआ। इसे ऐसे समझिए, बैंकों के पास दिन भर के कामकाज के बाद बहुत बार एक बड़ी रकम शेष बच जाती है। बैंक वह रकम अपने पास रखने के वजाय रिजर्व बैंक में रख सकते हैं, जिस पर उन्हें आरबीआई से ब्याज भी मिलता है। जिस दर पर यह ब्याज उन्हें मिलता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं।