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नई दिल्ली: देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 2016-17 में घटकर 7.1 प्रतिशत पर आ गई है। कृषि क्षेत्र के काफी अच्छे प्रदर्शन के बावजूद वृद्धि दर नीचे आई है। सरकार ने 500 और 1,000 के बड़े मूल्य के पहले से चल रहे नोटों को आठ नवंबर को बंद करने की घोषणा की थी। इस नोट बदलने के काम में 87 प्रतिशत नकद नोट चलन से बाहर हो गए थे। नोटबंदी के तत्काल बाद की तिमाही जनवरी-मार्च में वृद्धि दर घटकर 6.1 प्रतिशत रही है। नोटबंदी 9 नवंबर, 2016 को की गई थी। आधार वर्ष 2011-12 के आधार पर नई श्रृंखला के हिसाब से 2015-16 में जीडीपी की वृद्धि दर 8 प्रतिशत रही है। पुरानी श्रृंखला के हिसाब से यह 7.9 प्रतिशत रही थी। केंद्रीय सांख्यिकी कायार्लय (सीएसओ) के आंकड़ों के अनुसार 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष में सकल मूल्यवर्धन (जीवीए) घटकर 6.6 प्रतिशत पर आ गया, जो कि 2015-16 में 7.9 प्रतिशत रहा था। नोटबंदी से 2016-17 की तीसरी और चौथी तिमाही में जीवीए प्रभावित हुआ है। इन तिमाहियों के दौरान यह घटकर क्रमश:6.7 प्रतिशत और 5.6 प्रतिशत पर आ गया, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाहियों में 7.3 और 8.7 प्रतिशत रहा था। नोटबंदी के बाद कृषि को छोड़कर अन्य सभी क्षेत्रों में गिरावट आई। सरकार द्वारा जारी कोर आंकड़े के अनुसार, औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर अप्रैल 2017 में 2.5 प्रतिशत रही है।
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नई दिल्ली: देश में पेट्रोल 1.23 रुपये और डीजल की कीमतों 89 पैसे महंगा हो गया है। बढ़ी हुई कीमतें बुधवार रात आधी रात से लागू हो गईं। इंडियन ऑयल के मुताबिक पेट्रोल-डीजल की कीमत में बढ़ोतरी अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में आए उछाल की वजह से की गई है। गत 16 मई को ही पेट्रोल 2.16 रुपये और डीजल में 2.10 रुपये सस्ता हुआ था। बढ़ी हुई कीमतों के बाद दिल्ली में पेट्रोल के दाम 66.91 रुपये प्रति लीटर हो गए हैं जबकि डीजल की कीमत 55.94 रुपये प्रति लीटर हो गए हैं। रसोई गैस की कीमतों में भी बढ़ोतरी की गई है। सब्सिडी वाले रसोई गैस सिलेंडर में 3.88 रुपये की वृद्धि की गई है जबकि गैर-सब्सिडी वाले सिलेंडर के दाम 78.50 रुपये कम किए गए हैं। इंडियन ऑयल से प्राप्त जानकारी के अनुसार दिल्ली में सब्सिडी वाला सिलेंडर एक जून से 3.88 रुपये महंगा होकर 446.65 रुपये का मिलेगा। पहले इसकी कीमत 442.77 रुपये थी। कंपनी के अनुसार गैर-सब्सिडी वाला सिलेंडर 78.50 रुपये सस्ता होकर दिल्ली में 552.50 रुपये का मिलेगा।
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नई दिल्ली: वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था में टीवी, एसी, वॉशिंग मशीन, रेफ्रिजरेटर और एरेटेड ड्रिंक्स जैसे उत्पाद महंगे होंगे, जबकि स्मार्टफोन, छोटी कारें तथा रोजमर्रा के इस्तेमाल के उत्पाद सस्ते होंगे। जीएसटी को 1 जुलाई से लागू करने की योजना है। जीएसटी परिषद द्वारा करीब 1,200 वस्तुओं और 500 सेवाओं की दरों को अंतिम रूप दिया गया है। इनके विश्लेषण से पता चलता है कि साबुन और दंतमंजन जैसे रोजमर्रा के उत्पाद जीएसटी में सस्ते हो जाएंगे। वहीं ताजा फल, सब्जियां, दालें, ब्रेड और दूध को किसी भी टैक्स से छूट दी गई है। इसमें इकनॉमी श्रेणी में विमान यात्रा कुछ सस्ती हो जाएगी। इसी तरह टैक्सी सेवाएं भी सस्ती होंगी। जीएसटी में इन पर पांच प्रतिशत कर लगेगा, जबकि अभी तक इन पर छह प्रतिशत कर लगता है। जीएसटी में खाद्यान्न भी सस्ता हो सकता है। इन्हें शून्य दर वाली जिंसों की श्रेणी में रखा गया है। अभी कुछ राज्य खाद्यान्न पर दो से पांच प्रतिशत का खरीद कर लगाते हैं जो जीएसटी में समाप्त हो जाएगा। जीएसटी परिषद ने इसी महीने 1,200 वस्तुओं ओर 500 सेवाओं को 5,12, 18 और 28 प्रतिशत की चार कर स्लैब में रखा है। कुछ जिंसों मसलन प्रसंस्कृत खाद्य, कनफेक्शनरी उत्पाद और आइसक्रीम पर कर की दर 22 प्रतिशत से घटकर 18 प्रतिशत पर आ जाएगी। वहीं शैंपू, परफ्यूम और मेक अप उत्पादों के लिए कर की दर मौजूदा 22 प्रतिशत से बढ़कर 28 प्रतिशत हो जाएगी। हालांकि, रीयल एस्टेट क्षेत्र को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है।
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नई दिल्ली: केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को कहा कि निजी निवेशकों व बैंकों का खराब प्रदर्शन अभी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती बना हुआ है। जेटली ने डीडी न्यूज चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा, "देश में बड़ी संख्या में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आने के बावजूद निजी उद्योग द्वारा किया जाने वाला निवेश संतोषजनक नहीं है। यह स्थिति बैंकों से संबंधित है।" मंत्री ने कहा कि एक जुलाई से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू किया जा रहा है और वैश्विक विकास में भी सकारात्मक रुझान दिख रहा है, इसलिए इन दो चुनौतियों से पार पाना होगा। जेटली ने कहा, "लेकिन यहां तीसरी चुनौती भी है - देशी उद्योग में निवेश का चक्र बढ़ाना, जिसका भी बैंकिंग क्षेत्र के प्रदर्शन से संबंध है।" उन्होंने पहले कहा था कि विकास का समर्थन करने के लिए बैकों को मजबूत स्थिति में होना जरूरी है और अगर उनके पास बड़ी संख्या में गैर-निष्पादित संपत्तियां (एनपीए या फंसे हुए कर्जे) हैं, तो इससे उनकी क्षमता प्रभावित होती है। जेटली ने कहा कि बकाया परिवाद से उधार के माहौल को नुकसान पहुंचता है। सरकार ने पांच मई को एक अध्यादेश लाकर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को सरकारी बैंकों के फंसे हुए कर्जो से निपटने की शक्ति प्रदान की थी। जेटली ने पहले कहा था कि सरकारी बैंकों के फंसे कर्ज की समस्या सुलझाने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं, जिनमें संपत्तियों की बिक्री, गैर लाभकारी शाखाओं को बंद करना, पुर्नपूंजीकरण जैसे कदम शामिल हैं।
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