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इस्लामाबाद: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने आज (बुधवार) खुले तौर पर भारतीय सेना के सर्जिकल स्ट्राइक को नकार दिया और कहा कि भारत की तरफ से गोलीबारी जरूर हुई जिसमें दो पाक सैनिक मारे गए हैं। नवाज ने कहा कि हम जंग के खिलाफ हैं, हम शांति चाहते हैं, हम दहशतगर्दी के खिलाफ हैं लेकिन अगर कोई हमारे ऊपर हमला करेगा तो देश की रक्षा के लिए हम हर कदम उठाएंगे। नवाज शरीफ ने आज पाकिस्तानी संसद का संयुक्त सत्र आहूत किया था। इस दौरान अपने संबोधन में नवाज शरीफ ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमलावर अंदाज में कहा कि पीएम मोदी गरीबी मिटाने की बात करते हैं। हम बताना चाहते हैं कि ना तो बम और बारूद की खेती से गरीबी मिटेगी और ना टैंक घुमाने से युवाओं को रोजगार मिलेगा। पाक प्रधानमंत्री ने संसद में हिजबुल मुजाहिदीन कमांडर बुरहान वानी (कश्मीर में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारा गया) का भी जिक्र किया और उसे कश्मीर का हीरो बताया। नवाज ने कहा कि आतंकवाद का सबसे बड़ा शिकार पाकिस्तान है। कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कहा कि जब तक कश्मीर का मसला हल नहीं होता, तब तक पाकिस्तान और भारत के बीच अमन कायम नहीं हो सकता। पाकिस्तान कश्मीर के हक के लिए हर मुमकिन मदद को तैयार है। हमने भारत से बातचीत के लिए हर संभव कोशिश की, लेकिन भारत की तरफ से उसे आगे बढ़ाने के प्रयास नहीं किए गए।
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इस्लामाबाद:अमेरिका ने नया कानून बनाकर उसकी सीमा के भीतर आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करने या उन्हें उकसाने पर अन्य देशों के खिलाफ मुकदमा करने का अधिकार अपने नागरिकों को दिया है, जिसे लेकर पाकिस्तान ने आज चिंता जतायी। अमेरिकी संसद ने 28 सितंबर को ऐतिहासिक मतदान करते हुए जस्टिस अगेंस्ट स्पांसर्स ऑफ टेररिज्म एक्ट (जास्टा) पर राष्ट्रपति बराक ओबामा के वीटो को पलटा और अधिनियम को पारित कर दिया। इसे अनौपचारिक तौर पर 9/11 कानून के रूप में जाना जाता और इसे प्राथमिक रूप से सउदी अरब के नागरिकों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया था। गौरतलब है कि 9/11 आतंकी हमले में ज्यादातर हमलावर सउदी नागरिक थे। ओबामा प्रशासन ने तब दलील दी थी कि इस कानून से सम्प्रभु छूट के सिद्धांत पर प्रतिकूल असर पड़ेगा और यह संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए अनंत मुकदमों का रास्ता खोल देगा। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘हम चिंता के साथ यह महसूस कर रहे हैं कि जास्टा पर अमेरिकी राष्ट्रपति के वीटो को पलटकर, अमेरिकी संसद द्वारा बनाया गया कानून कई सम्प्रभु देशों को निशाना बनाता है। यूरोप और पश्चिम एशिया के कई देशों ने भी जास्टा पर ऐसी ही चिंता जतायी है।' उसने कहा, अपनी सीमा से बाहर लागू होने वाले घरेलू कानून को स्वीकार किए जाने पर पाकिस्तान ने नाराजगी जतायी है। पाकिस्तान और सउदी अरब के बीच समान भूराजनीतिक हितों के कारण ऐतिहासिक रूप से गहरे संबंध रहे हैं।
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द हेग: संयुक्त राष्ट्र की सर्वोच्च अदालत ने परमाणु हथियारों की होड़ पर लगाम लगाने में कथित तौर पर नाकाम हुए भारत, पाकिस्तान और ब्रिटेन के खिलाफ मार्शल द्वीपसमूह की ओर से दायर मुकदमा आज खारिज कर दिया। बहुमत के आधार पर फैसला सुनाते हुए इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) की 16 जजों वाली पीठ ने कहा कि ऐसा कोई सबूत नहीं है कि मार्शल द्वीपसमूह का परमाणु शक्ति संपन्न भारत, पाकिस्तान और ब्रिटेन से पहले कभी कोई विवाद रहा हो या उसने इस मुद्दे पर तीनों देशों से कभी कोई द्विपक्षीय वार्ता की मांग की हो। पीठ की अध्यक्षता कर रहे जज रॉनी अब्राहम ने अलग फैसले में कहा, ‘अदालत सभी देशों की ओर से अधिकार क्षेत्र पर जताए गए ऐतराज को बरकरार रखती है’ और इसलिए न्यायाधिकरण ‘इस मामले के गुणदोषों पर आगे की कार्यवाही नहीं कर सकती।’ साल 1946 से 1958 के बीच मार्शल द्वीपसमूह के प्राचीन प्रवालद्वीपों पर अमेरिका की ओर से उन दिनों कई परमाणु परीक्षण किए गए जब शीत युद्धकाल में हथियारों की होड़ में तेजी आई। द हेग स्थित न्यायाधिकरण में हुई सुनवाई के बाद मार्शल महाद्वीप ने कहा कि वह फैसले का अध्ययन करेगा। गौरतलब है कि इस न्यायाधिकरण का फैसला अंतिम होता है, जिसके खिलाफ कोई अपील नहीं की जा सकती। मार्शल द्वीपसमूह के वकील फॉन वैन डेर बाइसेन ने पत्रकारों को बताया, निश्चित तौर पर यह बेहद निराशाजनक है। साल 2014 में मार्शल द्वीपसमूह ने नौ देशों पर आरोप लगाया था कि वे 1968 की परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर अमल करने में नाकाम रहे हैं। हालांकि, आईसीजे ने चीन, फ्रांस, इस्राइल, उत्तर कोरिया, रूस और अमेरिका के खिलाफ मुकदमे की सुनवाई करने से पहले ही इनकार कर दिया, क्योंकि वे इस अदालत के अधिकार क्षेत्र को नहीं मानते। इस्राइल ने अपने पास परमाणु हथियार होने की बात कभी औपचारिक तौर पर नहीं स्वीकार की है। मार्शल द्वीपसमूह की दलील थी कि परमाणु हथियारों की होड़ पर लगाम नहीं लगाकर ब्रिटेन, भारत और पाकिस्तान ने संधि का उल्लंघन किया है। हालांकि, भारत और पाकिस्तान ने एनपीटी पर अब तक दस्तखत नहीं किए हैं। मार्च में हुई सुनवाई में मार्शल द्वीपसमूह की ओर से पेश हुए वकीलों ने बिकिनी और एनेवेटाक प्रवालद्वीपों पर किए गए 67 परमाणु परीक्षणों के बाद की खौफनाक तस्वीरें सामने रखी थी। मार्शल द्वीपसमूह के पूर्व विदेश मंत्री टोनी डीब्रम ने अदालत को बताया, ‘मेरे देश में कई द्वीप गैस में बदल गए और अन्य की हालत के बारे में ऐसे अनुमान हैं कि उन पर अगले हजारों साल तक रहने लायक हालात नहीं होंगे।’ मार्च और अप्रैल 1954 में हुए तथाकथित ऑपरेशन कैसल खास तौर पर तबाही मचाने वाले थे।
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लंदन: ब्रिटेन में भारत के उच्चायुक्त नवतेज सरना ने कहा कि आने वाले वर्षों में ब्रिटेन के साथ भारत के रिश्ते और बेहतर होंगे क्योंकि दोनों देश अपने द्विपक्षीय सामरिक रिश्तों को आगे बढ़ाने की दिशा में बहुत अधिक दिलचस्पी दिखा रहे हैं। अगले सप्ताह अमेरिका में भारत के राजदूत का कार्यभार संभालने जा रहे सरना ने इससे पहले कंजर्वेटिव फ्रेंड्स ऑफ इंडिया के लिए उच्चायुक्त के रिसेप्शन में अपने संबोधन के दौरान सरना ने भारत और ब्रिटेन के सामरिक संबंधों पर बल दिया। बर्मिंघम में सोमवार को कंजर्वेटिव पार्टी के वाषिर्क सम्मेलन से इतर उन्होंने कहा, ‘भारत में प्रमुख आर्थिक कदमों को लेकर दोनों सरकारों की दिलचस्पी के कारण आने वाले वषरें में भारत ब्रिटेन के साथ संबंधों को और मजबूत बनाने को लेकर प्रतिबद्ध है।’ सरना द्वारा आयोजित रिसेप्शन में विदेश मंत्री बोरिश जॉनसन समेत ब्रिटेन के वरिष्ठ मंत्रियों, अंतरराष्ट्रीय व्यापार मंत्री लियाम फॉक्स, समुदायों और स्थानीय सरकार मंत्री साजिद जावेद, कंजर्वेटिव पार्टी के अध्यक्ष पैट्रिक मैकलॉगलिन और विश्वविद्यालय, विज्ञान, अनुसंधान और नवोन्मेष मामलों के मंत्री जो जानसन ने भारत-ब्रिटेन संबंधों को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दोहरायी।
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