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संविधान की प्रस्तावना में भी संशोधन कर सकती है संसदः सुप्रीम कोर्ट
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काठमांडो: दक्षेस अध्यक्ष नेपाल ने कहा कि वह इस संगठन का सम्मेलन आयोजित करने के वास्ते दबाव बनाने के लिए सदस्य देशों से बात करेगा जो भारत समेत पांच देशों के पीछे हट जाने की वजह स्थगित हो गया है। नेपाल के विदेश मंत्री प्रकाश शरण महत ने बताया कि नेपाल 19वें दक्षिण क्षेत्रीय सहयोग संघ (दक्षेस) सम्मेलन के लिए दबाव बनाने के लिए जरूरी पहल करेगा एवं सदस्य देशों के साथ बात करेगा। सम्मेलन 9-10 नवंबर को पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में होना था लेकिन भारत, बांग्लादेश, भूटान, अफगानिस्तान और श्रीलंका के भाग लेने से इनकार कर देने के बाद स्थगित हो गया। यहां त्रिभुवन हवाई अड्डे पर संवाददाताओं से बातचीत करते हुए महत ने कहा कि दक्षेस सदस्य देशों को हर सदस्यों की भागीदारी सुनिश्चित कर यह सम्मेलन करने के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। 71वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा में नेपाली प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई करने के बाद काठमांडो लौटने पर मंत्री ने कहा, ‘दक्षेस क्षेत्रीय सहयोग एवं विकास को आगे बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण मंच है।’ हिमालय टाइम्स के अनुसार उन्होंने कहा कि सदस्य देशों के बीच सौहार्द्रपूर्ण संबंध से इस संघ का उपयोग बढ़ेगा तथा क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा मिलेगा।

कराची: पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने देश के सबसे बड़े शहर कराची में मानवाधिकार एवं सुरक्षा की स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त जताते हुए कहा है कि हाल के महीनों में स्थिति और बिगड़ी है। पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग (एचआरसीपी) ने एक बयान में कहा, ‘कराची में रेंजर्स अभियान का तीन साल इसी महीने पूरा हुआ। इसमें कोई शक नहीं है कि लक्षित हत्या और जबरन वसूली की घटनाएं काफी घटी है लेकिन न्यायेत्तर हत्या और उत्पीड़न के मामले आ ही रहे हैं। यह बहुत ही निराशा और चिंता का विषय है कि इन मामलों की व्यवस्थित ढंग से जांच के लिए कुछ खास नहीं किया गया है।’ उसने कहा, ‘शहर में जबरन गुमशुदगी की शिकायतें बढ़ रही हैं तथा कई लोगों को उनके राजनीतिक झुकाव के चलते निशाना बनाया गया। जबरन गुमशुदगी पर आधिकारिक रूप से गठित जांच आयोग द्वारा जारी आंकड़े भी इस समस्या की हद का संकेत करते हैं। यूएन वर्किंग ग्रुप ऑन इनफोर्स्ड एंड इनवोलंटरी डिसएपीरियंस की रिपोर्ट में भी जबरन गुमशुदगी की शिकातयों का हवाला दिया गया है जिनमें खासकर माना जाता है कि मुत्तहिदा कौमी मूवमेंट से जुड़े लोग हैं।’

बीजिंग: चीन ने शनिवार को कहा कि भारत की ओर से पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकवादी घोषित करवाने के प्रयास पर उसकी ओर से लगाई गई तकनीकी रूकावट आगे बढ़ा दी गई है। चीन की ओर से लगाई गई तकनीकी रोक की मियाद सोमवार को पूरी हो रही थी और अगर चीन ने आगे आपत्ति नहीं उठाई होती तो अजहर को आतंकवादी घोषित करने वाला प्रस्ताव स्वत: पारित हो गया होता। अब चीन की यह रोक अगले छह महीने के लिए फिर बढ़ गई है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा, "भारत की ओर से मार्च, 2016 में 1267 समिति को सौंपे गए आवेदन पर तकनीकी रोक को पहले ही आगे बढ़ा दिया गया है।"उन्होंने कहा, "भारत के आवेदन पर अब भी मतभेद हैं। तकनीकी रोक के आगे बढ़ जाने के बाद समिति को इस मामले पर विचार करने के लिए और संबंधित पक्षों को आगे विचार-विमर्श के लिए समय मिल जाएगा।" इसी साल 31 मार्च को चीन ने पठानकोट हमले के मास्टरमाइंड अजहर को आतंकवाद घोषित कराने के कदम पर रोक लगा दी थी। सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य होने की वजह से चीन को वीटो का अधिकार हासिल है। सुरक्षा परिषद के 15 देशों में चीन इकलौता देश रहा जिसने भारत के आवेदन का विरोध किया जबकि 14 अन्य देशों ने भारत की कोशिश का समर्थन किया। 1267 समिति की सूची में अजहर का नाम शामिल हो जाने से उसकी संपत्तियां जब्त हो जाएंगी और उसकी यात्रा पर भी रोक लग जाएगी। गेंग ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 समिति 'सुरक्षा परिषद के प्रासंगिक प्रस्तावों के अनुसार अपना काम करती है।'

बीजिंग: चीन ने अपनी 'सबसे महंगी' पनबिजली परियोजना के निर्माण के तहत तिब्बत में ब्रह्मपुत्र की सहायक नदी का प्रवाह रोक दिया है, जिससे भारत में चिंता पैदा हो सकती है, क्योंकि इससे नदी के निचले बहाव वाले देशों में जल का प्रवाह प्रभावित होने की आशंका है। चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने परियोजना के प्रशासनिक ब्यूरो के प्रमुख झांग युन्बो के हवाले से कहा कि तिब्बत के शिगाजे में यारलुंग झांग्बो (ब्रह्मपुत्र का तिब्बती नाम) की सहायक नदी शियाबुकू पर बन रही लाल्हो परियोजना में 4.95 अरब युआन (74 करोड़ डॉलर) का निवेश किया गया है। शिगाजे को शिगात्जे के नाम से भी जाना जाता है। यह सिक्किम से लगा हुआ है। ब्रह्मपुत्र शिगाजे से होकर अरुणाचल आती है। खबर के अनुसार, इस 'सबसे महंगी परियोजना' का निर्माण कार्य जून 2014 में शुरू हुआ था। तय कार्यक्रम के अनुसार निर्माण कार्य 2019 तक पूरा हो जाएगा। खबर में कहा गया कि यह अभी साफ नहीं है कि नदी का प्रवाह रोकने का नदी के निचले बहाव वाले देशों जैसे भारत एवं बांग्लादेश में जल प्रवाह पर क्या असर होगा। पिछले साल चीन ने 1.5 अरब डॉलर की लागत वाले जाम पनबिजली स्टेशन का संचालन शुरु कर दिया था जिसे लेकर भारत में चिंताएं उठी थीं। ब्रह्मपुत्र नदी पर बना यह पनबिजली स्टेशन तिब्बत में सबसे बड़ा पनबिजली स्टेशन है। लेकिन चीन कहता रहा है कि उसने भारत की चिंताओं पर ध्यान दिया है।

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