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नई दिल्ली: नेपाल ने रविवार को कहा कि सार्क का 19वां सम्मेलन पाकिस्तान में आयोजित करने के लिए वहां माहौल अनुकूल नहीं है। इस साल सार्क की अध्यक्षता नेपाल कर रहा है। नेपाल ने एक बयान में कहा, 'नेपाल को अफसोस है कि इस्लामाबाद में सार्क के 19वें सम्मेलन की मेजबानी करने के लिए क्षेत्रीय माहौल अऩुकूल नहीं है।' बयान के मुताबिक नेपाल मानना है कि 'एक सार्थक क्षेत्रीय सहयोग के लिए शांति एवं स्थिरता का माहौल होना जरूरी है।' नेपाल के विदेश मंत्रालय ने एक वक्तव्य में कहा, ‘नेपाल स्पष्ट शब्दों में सभी स्वरूप में आतंकवाद की निंदा करता है और आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में अपनी एकजुटता का इजहार किया।’ नेपाल ने कहा कि उसने क्षेत्र में आतंकवाद के सभी कृत्यों की हमेशा निंदा की है। नेपाल ने कहा, ‘हाल में उसने कश्मीर के उरी में भारतीय सेना के शिविर पर गत 18 सितंबर को हुए आतंकवादी हमले की निंदा की, जिसमें कई भारतीय सैनिकों की जान गई थी।’ नेपाल ने कहा कि क्षेत्र में शांति और स्थिरता हासिल करने के लिए ‘दक्षेस के सदस्य देशों को आपस में सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके भूभाग का इस्तेमाल सीमा पार आतंकवाद के लिए नहीं हो।’ वक्तव्य में कहा गया है, ‘नेपाल को खेद है कि क्षेत्रीय वातावरण अगला दक्षेस शिखर सम्मेलन आयोजित करने के लिए उपयुक्त नहीं है। यह शिखर सम्मेलन पहले नौ.10 नवंबर के बीच इस्लामाबाद में होने वाला था। मेजबान पाकिस्तान ने बैठक स्थगित किए जाने के बारे में उसे सूचित कर दिया है।’ वक्तव्य में कहा गया है कि वह अगला शिखर सम्मेलन आयोजित करने के लिए जरूरी विचार-विमर्श शुरू करेगा।

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के कोटली में रविवार को सैकड़ों लोगों ने पाकिस्तानी फौज और खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया। कोटली में सड़कों पर उतरे सैकड़ों लोगों ने पाकिस्तानी सेना के अत्याचारों के खिलाफ नारेबाजी की और पाक से आजादी की मांग की। यह विरोध-प्रदर्शन पाकिस्तान की खिलाफत करने वाले आजादी समर्थक लोगों की गैर-न्यायिक हत्यायों, फर्जी मुठभेड़ों और उन पर हुए अत्याचारों के खिलाफ था। रैली के दौरान लोगों ने 'कश्मीरियों का हत्यारा, पाकिस्तानी फौज', 'आईएसआई से ज्यादा वफादार कुत्ते' के नारे लगाए। मुजफ्फराबाद स्थित ऑल पार्टी नेशनल अलायंस के अनुमान के मुताबिक पिछले दो वर्षों में आईएसआई आजादी समर्थक 100 से ज्यादा राजनीतिक कार्यकर्ताओं की हत्या कर चुकी है। पीओके में पाकिस्तानी सेना के अत्याचारों और आईएसआई के खिलाफ हाल के दिनों में लगातार विरोध-प्रदर्शन हुए हैं।

वॉशिंगटन: पाकिस्तान को आतंकवाद का प्रायोजक देश घोषित करने के प्रस्ताव वाली व्हाइट हाउस की ऑनलाइन याचिका पर करीब पांच लाख लोगों ने समर्थन दिया है। यह ओबामा प्रशासन से इस बारे में जवाब मिलने के लिए जरूरी संख्या से पांच गुना हैं। यह याचिका आरजी नाम के एक व्यक्ति ने 21 सितंबर को जारी की थी। इस संबंध में व्हाइट हाउस से जवाब मिलने के लिए तीस दिन में एक लाख हस्ताक्षरों की आवश्यकता थी। लेकिन एक सप्ताह के अंदर ही एक लाख का आंकड़ा पार हो गया और दो सप्ताह से भी कम समय में पांच लाख लोगों ने इस याचिका पर हस्ताक्षर कर दिया। यह याचिका अब व्हाइट हाउस की वेबसाइट पर मशहूर हो गयी है। ओबामा प्रशासन 60 दिनों में याचिका पर जवाब दे सकता है। अपने फेसबुक पेज पर इस याचिका को शेयर करने वाली जार्जटाउन यूनीवर्सिटी की वैज्ञानिक अंजू प्रीत ने कहा, "हम लोगों की पाकिस्तान को आतंकवाद का प्रायोजक देश घोषित करने के लिए प्रशासन से कहने" वाली याचिका के समर्थकों ने दस लाख हस्ताक्षरों का लक्ष्य निर्धारित किया है। हम इससे पहले नहीं रुकेंगे। उन्होंने कहा, "अब सक्रियता दिखाने का समय है। व्हाइट हाउस के साथ याचिका पर हस्ताक्षर करने में हम सब हाथ मिलाएं।" आतंकवाद पर कांग्रेस की उप समिति के अध्यक्ष टेड पो ने कांग्रेस के एक और साथी सदस्य डाना रोहराबेकर के साथ मिलकर याचिका एचआर 6069 पेश की थी।

वॉशिंगटन: शीर्ष अमेरिकी सांसदों ने उरी में आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में भारत के लक्षित हमलों का समर्थन किया है। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में डेमोकेट्रिक व्हिप सांसद स्टेनी होयर ने कल ट्विटर पर लिखा, ‘भारत के खिलाफ उरी हमला भीषण था। इसमें शहीद हुए जवानों के परिजन के प्रति हमारी संवेदनाएं हैं। मैं भारत के आतंकवाद रोधी अभियान पर लगातार करीबी नजर रखूंगा।’ अमेरिकी सांसद पीट ओल्सन ने एक ट्वीट में लिखा, ‘हमारी सहानुभूति और समर्थन भारत के साथ है, क्योंकि उन्होंने उरी में जो आतंकवादी हमला झेला है, वे उसका सामना करने के लिए काम रहे हैं।’ एरिजोना के सीनेटर जेफ फ्लेक ने कहा, ‘कश्मीर स्थित भारतीय सेना के बेस पर पिछले सप्ताह के आतंकवादी हमले के पीड़ितों के प्रति संवेदनाएं।

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