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नई दिल्ली: असम में आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चों के 14 लाख फर्जी नाम पाए गए हैं। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने गुरुवार को यह जानकारी दी। असम सरकार ने जून में एक अभियान चलाया था जिसके तहत आंगनवाड़ी केंद्रों में मौजूद बच्चों की संख्या का भौतिक सत्यापन किया गया। जब उसका पंजीकृत बच्चों की संख्या से मिलान किया गया तो करीब 14 लाख बच्चे कम मिले।

मंत्री ने कहा कि खाद्य वितरण प्रणाली में कई खामियां पाई गईं हैं। उन्होंने सभी राज्य सरकारों को उन बच्चों की संख्या सत्यापित करने का निर्देश दिया जिन्हें वाकई भोजन की जरुरत है। सितंबर महीने के पोषण अभियान से पहले एक कार्यक्रम में गांधी ने कहा कि जिस रकम की हेराफेरी की जा रही है, उसका उपयोग आसानी से बच्चों के कल्याण के लिए किया जा सकता है। पोषण महीने के तहत सरकार पोषण केंद्रित कई कार्यक्रम चलाने वाली है।

गुवाहाटी: असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने दावा किया है कि एनआरसी को अद्यतन करने की पहल उन्होंने ही की थी, लेकिन भाजपा इसके ठीक तरह से संभालने में विफल रही, जिसके कारण एक दोषपूर्ण मसौदा प्रकाशित किया गया। जिसमें 40 लाख से अधिक लोगों का नाम छूट गया। असम के तीन बार मुख्यमंत्री रहने वाले गोगोई ने आरोप लगाया कि घुसपैठ की समस्या हल करने में भाजपा की दिलचस्पी नहीं है बल्कि अगले लोकसभा और राज्य विधानसभा के चुनावों में एक चुनावी एजेंडा के रूप में इसका इस्तेमाल करने का है।

तरुण गोगोई ने बताया, भाजपा ने विदेशियों के मुद्दे पर हमेशा सांप्रदायिक आधार पर राजनीति की है और समस्या सुलझाने में उसकी कोई दिलचस्पी नहीं है। उन्होंने कहा कि चुनावों से पहले हमेशा घुसपैठ का मुद्दा उठाया जाता है और एक बार फिर यह अगले चुनाव में उठाया जाएगा। भाजपा इसे सुलझाना नहीं चाहती है क्योंकि यह उनके द्वारा प्रस्तुत नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2016 से स्पष्ट है जिसका मुख्य उद्देश्य अधिक से अधिक विदेशियों को इसमें लाने का है। 2001 से 2016 तक असम के मुख्यमंत्री रहने वाले गोगोई ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ‘विदेशियों को बाहर नहीं करना चाहते हैं बल्कि वह और लोगों को लाने में दिलचस्पी रखते हैं।

गुवाहाटी: असम में नागरिकता रजिस्टर पर ममता बनर्जी का विरोध पार्टी पर भारी पड़ रहा है। ममता के रुख़ के विरोध में असम के तृणमूल कांग्रेस कमेटी के प्रमुख द्विपेन पाठक ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया। इसके साथ प्रदीप पचानी और दिगंता सैकिया ने भी ये कहते हुए पार्टी छोड़ दी कि वे उस पार्टी में नहीं बने रहना चाहते हैं जो मूल असमी लोगों की पहचान से समझौता करना चाहती है। दूसरी ओर असम में एनआरसी का आखिरी मसौदा जारी होने के बाद से पड़ोसी राज्यों से अवैध नागरिकों के आने के ख़तरे से मणिपुर सतर्क हो गया है।

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा है कि सरकार हाईअलर्ट पर है और अवैध लोगों को राज्य में दाखिल होने से रोकने के लिए राज्य और ज़िला स्तर पर मॉनिटरिंग कमेटी बनाई गई है। बीरेन सिंह के मुताबिक मणिपुर पर स्थानीय आबादी के मुकाबले बाहरी लोगों की तादाद ज्यादा होने का ख़तरा मंडरा रहा है।

नई दिल्ली: नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (एनआरसी) में असम के 40 लाख लोगों को बाहर किए जाने के बाद से मुद्दा और गरमा गया है। असम के सिलचर एयरपोर्ट पर तृणमूल कांग्रेस के आठ नेताओं को हिरासत में ले लिया गया। इनमें से छह सांसद और दो विधायक शामिल हैं। इसके साथ ही टीएमसी नेताओं का आरोप है कि उनकी पीटा भी गया है। सिलचर में एक सम्मेलन में शामिल होने जा रहा टीएमसी का आठ सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल गुरुवार दोपहर तकरीबन दो बजे एयरपोर्ट पहुंचा था।

बताया जा रहा है कि ये सभी नेता नौगांव और गुवाहाटी भी जाने वाले थे। जिन छह सांसदों को हिरासत में लिया गया है, उनमें सुखेंदू शेखर रे, काकोली घोष, रत्ना दे नाग, नादीमुल हक, अर्पिता घोष और ममता ठाकुर का नाम शामिल है। इसके अलावा बंगाल के शहरी विकास मंत्री फिरहद हकीमत और विधायक महुआ मोइत्रा भी प्रतिनिधिमंडल में शामिल हैं। शेखर रे ने बताया कि जैसे ही हम सिलचर एयरपोर्ट के लॉन्ज में पहुंचे, वैसे ही पुलिस अधिकारियों की टीम ने हमें रोक लिया। एक पुलिस अधिकारी ने मेरे सीने पर मारा भी।

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