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लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के सामने आई एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया है, कि वह प्रदेशभर में स्पीड ब्रेकरों के साफ दिखाई देने के लिए कदम उठाएगी।

सरकार का कहना है कि ब्रेकरों को इंगित करने के लिए साइन बोर्ड भी लगाए जाएंगे। इस पर कोर्ट ने दो सप्ताह का समय देते हुए की गई कार्यवाही के बावत कोर्ट को जानकारी देने का निर्देश दिया है।

यह आदेश जस्टिस विक्रमनाथ और जस्टिस अब्दुल मोईन ने अब्दुल्लाह रामजी खान की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर पारित किया। याचिका में कहा गया था कि राजधानी के सभी स्पीड ब्रेकरों की मार्किंग व स्कूल, कॉलेजों, अस्पतालों और दुर्घटना बाहुल्य इलाकों में मार्क्ड और विजिबल स्पीड ब्रेकर बनवाए जाने के आदेश सरकार को दिए जाएं।

वाराणसी: मुकदमे की पैरवी के लिए सोमवार को कचहरी पहुंचे भेलूपुर थाने की बजरडीहा चौकी पर तैनात दरोगा उमराव खान को वकीलों ने जमकर पीटा। इस दौरान वकीलों ने दरोगा की वर्दी भी फाड़ दी। वकीलों का अक्रामक तेवर देख दरोगा भागकर न्यायालय में जाकर छिप गया। सूचना पर एसपी सिटी दिनेश सिंह, एसीएम चतुर्थ, सीओ कैंट और खुफिया विभाग के अफसर पहुंचे।

छठ पर घाट तक वाहन नहीं ले जाने दिया तो लिया बदला

मिली जानकारी के मुताबिक डाला छठ के दिन कैंट क्षेत्र का एक वकील परिवार के साथ अस्सी घाट की ओर जा रहा था। दरोगा उमराव खान की यातायात व्यवस्था में ड्यूटी लगी थी। दरोगा ने वकील को घाट की ओर नहीं जाने दिया। इस पर दोनों पक्षों में विवाद भी हुआ। आरोप है कि दरोगा ने वकील के साथ दुर्व्यवहार किया।

सोमवार को एक मुकदमे की पैरवी में दरोगा उमराव खान दीवानी न्यायालय परिसर स्थित निर्माणाधीन नौ मंजिला भवन के पास पहुंचा।

लखनऊ: राम मंदिर आंदोलन से जुड़े रहे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व सांसद रामविलास वेदांती ने अयोध्या मुद्दे के समाधान में श्रीश्री रविशंकर की मध्यस्थता के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है।

'कल्कि महोत्सव' में हिस्सा लेने आए राम जन्मभूमि न्यास के सदस्य वेदांती ने कहा, 'श्रीश्री इस आंदोलन से कभी जुड़े नहीं रहे, इसलिए उनकी मध्यस्थता मंजूर नहीं।'

रामविलास वेदांती ने साफ-साफ कहा, 'श्री श्री रविशंकर की मध्यस्थता किसी भी हालत में स्वीकार नहीं की जाएगी। राम जन्मभूमि आंदोलन राम जन्मभूमि न्यास और विश्व हिंदू परिषद ने लड़ा है, इसलिए वार्ता का अवसर भी इन दोनों संगठनों को ही मिलना चाहिए।' साथ ही उन्होंने कहा, कि 'श्रीश्री कभी भी राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े ही नहीं रहे हैं तो वह मध्यस्थता कैसे कर सकते हैं।'

जिसने आज तक रामलला के दर्शन नहीं किए, वो...

वेदांती ने आगे कहा, 'जिस व्यक्ति ने आज तक रामलला के दर्शन नहीं किए, वह मध्यस्थता कैसे कर सकता है।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में चिकित्सा व्यवस्था पर सवाल खड़े करता एक और मामला सामने आया। महिला को प्रसव पीड़ा उठने पर एंबुलेंस को फोन किया गया, लेकिन लगातार फोन करने के बावजूद जब एंबुलेंस नहीं पहुंची, तो परिजन उसे लेकर अस्पताल के लिए भागे लेकिन जब दर्द असहनीय हो गया तो महिला को सड़क पर ही बच्चे को जन्म देना पड़ा।

इससे पहले भी ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं। मध्य प्रदेश निवासी बीना बाई को प्रसव पीड़ा के दौरान जब उनके घर एंबुलेंस नहीं पहुंची, तो उन्होंने पैदल ही सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र जाने का फैसला लिया था लेकिन सड़क पर पहुंची तो वहीं प्रसव हो गया और नवजात बच्चे की जमीन में गिरने से मौत हो गई थी।

अहमदाबाद में एक प्रेग्नेंट महिला अस्पताल में अपने बच्चे की डिलिवरी के लिए गई थी।

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