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अलीगढ़: सीएए के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) में भड़काऊ भाषण देने के आरोपी डॉ कफील खान की मुश्किलें बढ़ गई हैं। वह इस मामले में आज ही मथुरा जेल से जमानत पर रिहा होने वाले थे लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने उनके खिलाफ रासुका के तहत कार्रवाई कर दी है। देशभर में सीएए के विरोध में एनएसए तामील किए जाने की यह पहली कार्यवाही है। मथुरा जेल में बंद डॉ कफील को सीजेएम कोर्ट से इस सप्ताह सोमवार को ही जमानत मिली थी, लेकिन उनकी रिहाई नहीं हुई थी।

डॉ कफील ने 12 दिसंबर को एएमयू में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण दिया था। इसके बाद थाना सिविल लाइंस में उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। इस मामले में यूपी पुलिस की एसटीएफ ने उन्हें 29 जनवरी को मुबंई एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया था। वहां से उन्हें अलीगढ़ लाया गया था और 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में मथुरा भेज दिया गया था। पुलिस के मुताबिक, डॉक्टर कफील खान को भड़काऊ भाषण देने की वजह से गिरफ्तार किया गया था। थाना सिविल लाइन में उनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज है। फिलहाल वह मथुरा की जेल में हैं। कफील खान के वकील ने कोर्ट में उनकी जमानत की अर्जी डाली थी, जिस पर 10 फरवरी को सीजेएम कोर्ट ने डॉ कफील को जमानत दे दी थी।

लखनऊ: पूर्व केंद्रीय मंत्री चिन्मयानंद के खिलाफ दुष्कर्म पीड़िता द्वारा ब्लैकमेल करने के आरोप वाले मुकदमे की सुनवाई शाहजहांपुर से लखनऊ के एमपी-एमएलए कोर्ट में स्थानांतरित कर दी गई है। एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश पवन कुमार राय के अवकाश पर होने के चलते मामले को सुनवाई के लिए एडीजे डॉ. अवनीश कुमार के सामने पेश किया गया। कोर्ट ने 19 फरवरी की तारीख तय की। इससे पहले हाईकोर्ट के आदेश से दोनों मामलों की फाइलें शाहजहांपुर से लाकर राजधानी की विशेष अदालत में रिसीव कराई गईं जहां बुधवार को सुनवाई की तारीख तय थी। दुराचार के मामले में आरोपी चिन्मयानंद हाजिर नहीं हुए। उनकी ओर से हाजिरी माफी की अर्जी दी गई जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया।

दुराचार मामले में चिन्मयानंद की जमानत अर्जी की सुनवाई 3 फरवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट में हुई थी। सुनवाई के दौरान पीड़िता की ओर से आपत्ति करते हुए कहा गया कि आरोपी प्रभावशाली व्यक्ति है और वह गवाहों को प्रभावित कर सकता है। इस पर हाईकोर्ट ने चिन्मयानंद को जमानत तो दे दी, लेकिन शाहजहांपुर एडीजे तृतीय की अदालत में चल रहे दोनों मामलों को लखनऊ स्थानांतरित करने का आदेश दिया था।

नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): दिल्ली विधानसभा चुनाव में आए परिणाम को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव ने भारतीय जनता पार्टी पर तंज कसा और कहा कि दिल्ली के नतीजे, धर्म जैसे व्यक्तिगत विषय को राजनीति के पंक में घसीटकर अपना सियासी फूल खिलाने वालों के खिलाफ हैं, साथ ही उन्होंने कहा कि 'काम बोलता है।' अखिलेश ने कहा कि "दिल्ली के नतीजे बता रहे हैं कि अधिकांश भारतीय आज भी सामाजिक रूप से उदार व राजनीतिक रूप से समझदार हैं और धर्म जैसे व्यक्तिगत विषय को राजनीति के पंक(दलदल) में घसीटकर अपना सियासी फूल खिलानेवालों के खिलाफ हैं। यह देश की शांति व विकास के लिए शुभ संकेत और स्वस्थ संदेश भी है। उन्होंने कहा कि काम बोलता है।"

संसद भवन में पत्रकारों के साथ बातचीत में अखिलेश यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश के पिछले चुनाव में काम बोलता है, नारे पर सांप्रदायिकता हावी हो गई थी। लेकिन दिल्ली के चुनाव से साफ संकेत है कि अब जनता लोगों को लड़ाने वाली रा​जनीति को स्वीकार नही करेगी। उन्होंने कहा ​कि "दिल्ली विधानसभा चुनाव में शानदार जीत हासिल करने पर आम आदमी पार्टी और उनके नेता अरविंद केजरीवाल जी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।

लखनऊ: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने सोमवार को वह याचिका खारिज कर दी जिसमें संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) का विरोध करने वाले प्रदर्शनकारियों को वसूली नोटिस दिये जाने को चुनौती दी गई थी । खंडपीठ ने कहा कि यह मामला उच्चतम न्यायालय के समक्ष विचाराधीन है इसलिये यह उच्च न्यायालय में दाखिल किए जाने योग्य नहीं है। न्यायमूर्ति पंकज कुमार जायसवाल और न्यायमूर्ति करुणेश सिंह परमार ने मोहम्मद कलीम की याचिका पर यह फैसला सुनाया।

याचिकाकर्ता ने उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से वसूली नोटिस जारी किए जाने के बाद इसे चुनौती दी थी। शासन ने शहर में सीएए विरोधी प्रदर्शनों के दौरान सरकारी संपत्ति नष्ट होने को लेकर प्रदर्शनकारियों को नोटिस दिया था। गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन कानून पर उत्तर प्रदेश में कई जगहों पर भारी आगजनी और हिंसा हुई थी। इस दौरान सरकारी संपत्तियों को काफी नुकसान पहुंचाया गया था।

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