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नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): समाजवादी पार्टी सांसद एवं यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सीएए को भाजपा की वोट बैंक की राजनीति करार देतेे हुए कहा कि सीएए को रिलिजन न्यूट्रल होना चाहिए। आप या तो मुसलिम का सीएए में जोड़ दीजिये या फिर इसे रिलिजन न्यूट्रल कीजिये। संसद भवन प्रांगण में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर पीएम मोदी के लोकसभा में जबाव के बाद उन्होंने कहा कि सीएए के खिलाफ जो लोग प्रदर्शन कर रहे हैं उन्हें सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतज़ार है। उन्हें उम्मीद है सुप्रीम कोर्ट कोई फैसला उनके हक में करेगा।

अखिलेश यादव ने भाजपा पर लोगों को धार्मिक आधार पर बांटने की राजनीति का आरोप लगाते हुए कहा कि सीएए सिर्फ वोट के लिए लाया गया है। उन्होंने कहा कि सीएए लाने का मकसद धर्म के आधार पर वोट बैंक की राजनीति करना है। उन्होंने कहा कि सरकार मूल मुद्दों पर चर्चा करने को तैयार नही है। इसीलिए सरकार सीएए, एनपीए और एनआरसी जैसे मुद्दे उठा कर लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने केंद्र सरकार से सवाल किया कि युवाओं को रोज़गार कब मिलेगा? अखिलेश यादव ने कहा कि हमें अपनी बेरोजगारी पर कोई दुख नहीं है। अखिलेश ने कहा कि कम से कम सरकार ईमानदारी से देश के बेरोजगार युवाओं को रोजगार दे।

आजमगढ़: संशोधित नागरिकता कानून (सीएए), राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनपीआर) के खिलाफ उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के बिलरियागंज में प्रदर्शन और देश विरोधी नारेबाजी करने के आरोप में 35 नामजद तथा सैकड़ों अज्ञात लोगों के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया है और उनमें से 20 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है।

पुलिस अधीक्षक त्रिवेणी सिंह ने गुरुवार को बताया कि मौलाना जौहर पार्क बिलरियागंज में मंगलवार को सीएए, एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ प्रदर्शन के लिए पहुंचीं महिलाओं की आड़ में कुछ लोगों ने ‘हम लेकर रहेंगे आजादी' के कथित नारे लगाने के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एक विशेष समुदाय के खिलाफ कथित रूप से आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग किया। उन्होंने बताया कि उपद्रवी लाठी-डंडों, ईंट-पत्थरों के अलावा घातक हथियारों से भी लैस थे। इस मामले में 35 नामजद तथा सैकड़ों अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया है। उलेमा कौंसिल के राष्ट्रीय महासचिव ताहिर मदनी सहित 20 लोगों को बुधवार को मौके से गिरफ्तार कर लिया गया।

अयोध्या: केन्द्र सरकार की ओर से नवगठित रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टियों के नामों की घोषणा ने अयोध्या के संतों को अचम्भे में डाल दिया। उम्मीद के विपरीत चयनित नामों को देखकर समझ में ही नहीं आया कि केन्द्र सरकार की ओर से नामित ट्रस्टियों को लेकर क्या चयन प्रक्रिया रही होगी। फिलहाल राम मंदिर आन्दोलन से जुड़े अयोध्या के संतों की उपेक्षा ने उनमें अंदर हर अंदर उबाल पैदा कर दिया। गुरुवार की सुबह होते यह गुस्सा बाहर फूट पड़ा।

मणिराम छावनी के पीठाधीश्वर एवं श्रीरामजन्मभूमि न्यास अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास के समर्थक साधु बाहर निकल पड़े और उन्होंने मीडिया के समक्ष आकर बयानबाजी के साथ नारेबाजी भी शुरू कर दी। इस दौरान नाराज संत-महंत एक-एक कर मणिराम छावनी पहुंचने लगे। इन्हीं संतों में दिगम्बर अखाड़ा के महंत सुरेश दास भी शामिल थे। इन संत-महंतों ने न्यास अध्यक्ष के अलावा उत्तराधिकारी महंत कमल नयन दास ने भी वार्ता की। इसके बाद तय हुआ कि दोपहर तीन बजे मणिराम छावनी में संत समुदाय की बैठक कर सामूहिक विरोध की रणनीति तय की जाएगी।

वाराणसी: राम जन्मभूमि ट्रस्ट के गठन पर काशी से विरोध के स्वर उठे हैं। रामालय न्यास ने केन्द्र सरकार पर ट्रस्ट के गठन में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अनदेखी और सनातन धर्म के सर्वोच्च संतों की उपेक्षा का आरोप लगाया है। रामालय न्यास के सचिव और अखिल भारतीय श्रीरामजन्मभूमि पुनरुद्धार समिति के उपाध्यक्ष स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा है कि सरकार की इस मनमानी को अदालत में चुनौती दी जाएगी।

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने गुरुवार को श्रीविद्यामठ में कहा कि सर्वोच्च अदालत ने मंदिर निर्माण के लिए योजना (स्कीम) बनाने को कहा था। सर्वोच्च धर्माचार्यों का एक ट्रस्ट रामालय न्यास मौजूद है। ऐसे में सरकार ने अलग से ट्रस्ट क्यों बनाया? नए ट्रस्ट में ‘कार्यकर्ता संतों’ को रखा जाना संदेह पैदा कर रहा है। धर्म को लोकोन्मुख बनाने और जटिल गुत्थियों को सुलझाने वाले गुरुओं की उपेक्षा होगी तो सनातन हिंदू धर्म की रक्षा कैसे हो पाएगी? उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने न केवल शीर्ष धर्माचार्यों बल्कि अयोध्या के कई संत महंतों का भी अपमान किया है।

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