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बंगलुरु: कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को कर्नाटक में इंदिरा कैंटीन का शुभारंभ किया। इस मौके पर राहुल गांधी ने कहा कि मैं चाहता हूं कि बेंगलुरु में कोई भी गरीब भूखा ना सोए। उन्होंने कहा कि कुछ समय बाद राज्य के अन्य शहरों में भी ऐसी कैंटीन खोली जाएगी। इस मौके पर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया भी मौजूद रहे। इसके शुरुआती चरण में, 101 कैंटीन हर दिन 5 रुपये में शाकाहारी टिफिन (नाश्ता) और 10 रुपये में दोपहर का भोजन और इसी कीमत में रात का भोजन मुहैया कराएंगी। सिद्धारमैया ने कहा कि हम इस कैंटीन का शहर के गरीब पर पड़े अच्छे और बुरे प्रभाव का अध्ययन कर राज्य के अन्य शहरों और कस्बों में भी इसी तरह के कैंटीन खोलेंगे। मुख्यमंत्री कहा कि चालू वित्त वर्ष (2017-18) में सभी 198 वार्डों में पड़ोसी राज्य तमिलनाडु के प्रसिद्ध 'अम्मा' कैंटीन की तर्ज पर कैंटीन चलाने के लिए बजट में प्रावधान किया है। उन्होंने कहा, "हमारा लक्ष्य कर्नाटक को भूख मुक्त बनाना है। राज्य में हर महीने गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) को 'अन्न भाग्य योजना' के 7 किलोग्राम चावल मुफ्त प्रदान किया जा रहा है, ताकि वे दो वक्त भोजन कर सके।"

बेंगलुरू: मंगलवार सुबह बेंगलुरू में शुरुआती तीन घंटों में रिकॉर्ड 180 मिलीमीटर बारिश हुई, जबकि अगस्त में पिछले 100 वर्षों में सर्वाधिक बारिश दर्ज की गई है। बारिश ने पूरे शहर में कहर बरपा दिया और सामान्य जनजीवन अस्तव्यस्त हो गया है। सड़कें और घर बाढ़ के पानी में डूब गए हैं, जिससे 71वें स्वतंत्रता दिवस समारोहों पर पानी फिर गया। बृहत बेंगलुरू महानगर पालिका (बीबीएमपी) के आयुक्त मंजूनाथ प्रसाद ने बाद में संवाददाताओं से कहा, "सिर्फ तीन घंटे (तड़के 3.00 से 6.00 बजे तक) में हुई भारी बारिश शहर की सीवर प्रणाली झेल नहीं सकी, जिसके परिणामस्वरूप कई जगहों पर सड़कों पर बारिश का पानी जमा हो गया।" मूसलधार बारिश से कई पेड़, बिजली के खंभे और तार उखड़ गए। यहां तक कि समूचे शहर में बिजली की आपूर्ति ठप हो गई। अधिकारियों ने कई इलाकों में बचाव अभियान में नौकाओं का इस्तेमाल किया, जबकि कई इलाकों में सुबह से बिजली नहीं आई। बीबीएमपी नियंत्रण कक्ष के एक अधिकारी ने बताया, "हमें पानी में फंसे सैकड़ों लोगों की शिकायत मिली हैं और बारिश का पानी घरों से लेकर अपार्टमेंट तक में घुस गया है।"

बेंगलुरू: कर्नाटक को भूख मुक्त बनाने और श्रमिक वर्ग व गरीब प्रवासियों को सस्ती दरों पर भोजन मुहैया कराने के लिए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने घोषणा की कि सरकार समूचे राज्य में इंदिरा कैंटीन शुरू करेगी। उन्होंने स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन में कहा, "मुझे यह घोषणा करने में खुशी हो रही है कि बेंगलुरू में इंदिरा कैंटीन खुलने जा रहे हैं, जहां हर दिन शहर के श्रमिक और गरीब लोग सस्ते में भोजन करेंगे।" प्रारंभिक चरण में, 101 कैंटीन हर दिन 5 रुपये में शाकाहारी टिफिन (नाश्ता) और 10 रुपये में दोपहर का भोजन और इसी दाम में रात का भोजन मुहैया कराएंगी। वहीं, अक्टूबर में महात्मा गांधी के 150वें जन्मदिन के अवसर पर शेष बचे 97 वार्डों में भी ऐसी कैंटीन खोले जाएंगे। उन्होंने कहा कि इस कैंटीन के शहर के गरीब पर पड़े अच्छे और बुरे प्रभाव का अध्ययन कर राज्य के अन्य शहरों और कस्बों में भी इसी तरह के कैंटीन खोलेंगे। मुख्यमंत्री के पास ही वित्त मंत्रालय है। उन्होंने चालू वित्तवर्ष (2017-18) में सभी 198 वार्डों में पड़ोसी राज्य तमिलनाडु के प्रसिद्ध 'अम्मा' कैंटीन की तर्ज पर कैंटीन चलाने के लिए बजट में प्रावधान किया है। उन्होंने कहा, "हमारा लक्ष्य कर्नाटक को भूख मुक्त बनाना है। राज्य में हर महीने गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) को 'अन्न भाग्य योजना' के 7 किलोग्राम चावल मुफ्त प्रदान किया जा रहा है, ताकि वे दो वक्त भोजन प्राप्त कर सके।"

बेंगलुरू: निवर्तमान उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने रविवार को कहा कि धर्मनिरपेक्षता के मूल सिद्धांतों को दोहराया जाना और इसे पुनर्जिवित करना आज के दौर की सबसे बड़ी चुनौती है। नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी के 25वें दीक्षांत समारोह के दौरान उपराष्ट्रपति ने कहा, "समानता को धरातल पर वास्तविक अर्थो में उतारने पर जोर देना और अपने सामूहिक आयामों के साथ धार्मिक स्वतंत्रता का फिर से संचार करना भी मुख्य चुनौतियों में है। और भारतीय समाज की धरातलीय सच्चाई में सहिष्णुता झलकनी चाहिए और इसे स्वीकार्य बनाया जाना चाहिए।" वर्गीय विविधता के बीच आपसी सौहार्द को बढ़ावा देने के लिए सहिष्णुता को राष्ट्रीय आचरण का अनिवार्य हिस्सा बनाए जाने पर जोर देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, "यद्यपि सहिष्णुता समावेशी और बहुलवादी समाज की स्थापना का अकेला मजबूत आधार नहीं बन सकता। इसके साथ समझ और स्वीकार्यता को भी शामिल करना होगा। स्वामी विवेकानंद ने कहा है कि हमें न सिर्फ दूसरे धर्मो के प्रति सहिष्णु होना चाहिए, बल्कि उन्हें सकारात्मकता के साथ अंगीकार करना चाहिए, क्योंकि सभी धर्मो का आधार सच्चाई ही है।"

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