ताज़ा खबरें
एमएसपी की कानूनी गारंटी ​तक किसान आंदोलन जारी रहेगा: डल्लेवाल
महंगाई: घरेलू गैस सिलेंडर की कीमत 50 रुपये बढ़कर 853 रुपये हुई
'जब तक मैं जिंदा हूं, किसी योग्य शिक्षक की नौकरी नहीं जाएगी': ममता
राहुल गांधी बेगुसराय में 'पलायन रोको नौकरी दो' यात्रा में हुए शामिल
यूपी: पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी के दस ठिकानों पर ईडी के छापे
सेंसेक्स 3000 अंक गिरा, निफ्टी भी 1000 अंक लुढ़का, 19 करोड़ स्वाहा

नई दिल्ली: भूपिंदर जुत्सी का कार्यकाल 31 मार्च तक बढ़ा दिया गया। यह निर्णय एक्जीक्यूटिव काउंसिल की मीटिंग में लिया गया। रजिस्ट्रार जुत्सी का कार्यकाल आज (सोमवार) खत्म हो रहा था। जेएनयू छात्रसंघ और शिक्षक एसोसिएशन कार्यकाल बढ़ाने के विरोध में था। दरअसल, जुत्सी ने ही पुलिस को कैंपस में आने की अनुमति दी थी, जिसके बाद छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार की गिरफ्तारी 12 फरवरी को कैंपस से मुमकिन हुआ था। इन लोगों का रजिस्ट्रार से विरोध इस बात को लेकर भी था कि 9 फरवरी की घटना के बाद जांच के लिए पहले जो हाई लेवल इन्क्वारी कमेटी गठित हुई थी, उसमें तीन सदस्य रखने का दबाव जुत्सी का ही था। बाद में शिक्षकों और छात्रों के दबाव और लगातार उठती मांग के बाद इस कमेटी में दो और नए सदस्यों को शामिल किया गया, जिसकी रिपोर्ट 3 मार्च को आनी है। जेएनयू छात्रसंघ की उपाध्यक्ष शेहला रशीद ने रजिस्ट्रार के कार्यकाल बढ़ाने के फैहले की निंदा की है।

नई दिल्ली: 2 साल 7 महीने तक दिल्ली पुलिस कमिश्नर के तौर पर भीमसेन बस्सी मीडिया की सुर्खियों में रहे। कभी दिल्ली सरकार से भिड़े, कभी सुनंदा और जेएनयू जैसे मामलों पर उलझे दिखे। उनके रहते आप के कई विधायक जेल गये तो कई के खिलाफ मुकदमे भी दर्ज हुए वहीं हाइप्रोफाइल सुनंदा केस की जांच तो आगे बढ़ी लेकिन किसी अंजाम तक नहीं पहुंची कैमरों पर बेबाक बोलने वाले बस्सी पर जाते जाते मगर जेएनयू विवाद भारी पड़ गया। माना जाता है कि इसके चलते उनका नाम सीआईसी से हटा दिया गया। वहीं 1979 बैच के आईपीएस आफीसर आलोक कुमार वर्मा ने दिल्ली के नये पुलिस कमिश्नर का कार्यभार संभाल लिया। आलोक वर्मा बस्सी के उलट मीडिया के कैमरों से दूर ही रहते हैं। आलोक वर्मा के सामने सबसे बड़ी चुनौती महिलाओं की सुरक्षा, जेएनयू विवाद, सुनंदा पुष्कर मामलों से निबटने की है।

नई दिल्ली: देश के प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में कथित रूप से भारत विरोधी नारे लगाने को लेकर देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किए गए कन्हैया कुमार की जमानत पर दिल्ली हाईकोर्ट ने 2 मार्च तक अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान पुलिस ने कोर्ट को बताया कि उसके पास ऐसा कोई वीडियो नहीं है, जिसमें कन्‍हैया को देश विरोधी नारे लगाते हुए देखा जा सके। दरअसल मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली हाइकोर्ट ने पुलिस से पूछा कि क्या उसके पास वैसा कोई वीडियो है, जिसमें कन्‍हैया देश विरोधी नारे लगा रहा हो। इस पर दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को बताया कि उसके पास ऐसा कोई वीडियो नहीं है, लेकिन उसके पास कुछ ऐसे गवाह हैं जो कह रहे हैं कि कन्हैया ने नारे लगाए थे। दिल्ली हाईकोर्ट ने ये सवाल भी उठाया कि जब 9 फरवरी को ही नारेबाजी के वक्त सादे कपड़ों मे पुलिस मौजूद थी तो फिर उसने चैनल के वीडियो का इंतजार क्यों किया। इस पर कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की खिंचाई करते हुए पूछा कि क्या आपको पता भी है कि देशद्रोह होता क्या है। कोर्ट ने पूछा कि पुलिस बताए कि मामला कितना गंभीर है। क्‍या उम्रकैद का मामला बनता है या फिर सिर्फ जुर्माने का। इस पर पुलिस ने जवाब दिया कि मामला स्‍पेशल सेल के पास चला गया है और अब सारी जिम्‍मेदारी उसी की है।

नई दिल्ली: बदरपुर इलाके में एक निजी कंपनी अजय आयुष का दफ्तर है जो बदरपुर टोल प्लाजा में पैसों के कलेक्शन के साथ साथ उसका हिसाब भी रखती है। रविवार सुबह कुछ लोग लूट के मकसद से यहां आए और कैशियर महिपाल और गार्ड मोहन को गोली मार दी। हांलाकि लूटेरे नकदी लूटने में कामयाब नही हो पाए लेकिन दोनों जख्मी कर्मचारियों की मौत हो गई। घनी बस्ती के बीच 2 कमरे में चल रहे इस दफ्तर में न तो सीसीटीवी कैमरे हैं और न ही किसी तरह की खास सुरक्षा के इंतज़ाम। लेकिन हर रोज लाखों रुपये का टोल टैक्स यहीं रखा जाता था। शक इस दफ्तर के सामने रहने वाले दो लड़कों पर हैं जो दिल्ली पुलिस सब इंस्पेक्टर की परीक्षा की तैयारी कर रहे थे। वहीं एमसीडी के अधिकारियों का कहना है कि टोल कलैक्शन का जिम्मा एक और प्राइवेट कंपनी का है इसलिए उनकी ओर से इस मामले में कोई लापरवाही नहीं हुई है।

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख