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नई दिल्ली: 2 साल 7 महीने तक दिल्ली पुलिस कमिश्नर के तौर पर भीमसेन बस्सी मीडिया की सुर्खियों में रहे। कभी दिल्ली सरकार से भिड़े, कभी सुनंदा और जेएनयू जैसे मामलों पर उलझे दिखे। उनके रहते आप के कई विधायक जेल गये तो कई के खिलाफ मुकदमे भी दर्ज हुए वहीं हाइप्रोफाइल सुनंदा केस की जांच तो आगे बढ़ी लेकिन किसी अंजाम तक नहीं पहुंची कैमरों पर बेबाक बोलने वाले बस्सी पर जाते जाते मगर जेएनयू विवाद भारी पड़ गया। माना जाता है कि इसके चलते उनका नाम सीआईसी से हटा दिया गया। वहीं 1979 बैच के आईपीएस आफीसर आलोक कुमार वर्मा ने दिल्ली के नये पुलिस कमिश्नर का कार्यभार संभाल लिया। आलोक वर्मा बस्सी के उलट मीडिया के कैमरों से दूर ही रहते हैं। आलोक वर्मा के सामने सबसे बड़ी चुनौती महिलाओं की सुरक्षा, जेएनयू विवाद, सुनंदा पुष्कर मामलों से निबटने की है।

ये भी देखना है कि दिल्ली सरकार से उनका तामलेल कैसा रहता है। वर्मा तिहाड़ जेल के लगातार ऐसे तीसरे डीजी हैं जो दिल्ली पुलिस कमिश्नर बने हैं।

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