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भोपाल:  मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल सहित अनेक भागों में पिछले कुछ दिन से हो रही लगातार तेज बारिश से कई निचले स्थानों पर बाढ़ की स्थिति बन गई है और जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। बारिश और बाढ़ से प्रदेश में 11 लोगों की मौत हुई है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज यहां संवाददताओं को बताया कि प्रदेश में पिछले तीन-चार दिन से हो रही लगातार तेज बारिश और बाढ़ से आठ लोगों की मौत हो गई। उन्होंने बताया कि दो लोगों की मौत भोपाल में तथा टीकमगढ़, रीवा, झाबुआ, बैतूल, रायसेन और पन्ना जिले में एक-एक व्यक्ति की मौत हुई है। पुलिस ने बताया कि इसके अलावा भोपाल की शाहपुर झील के पास एक नाले में बाइक सहित बहने से सौरभ कटियार (21) नामक युवक की आज दोपहर मौत हो गई। इससे पहले मंडला और सिंगरौली जिले में नाले के पानी के तेज बहाव में बहने से दो लोगों की मौत की सूचना मिली थी। मुख्यमंत्री ने बताया कि होशंगाबाद में नर्मदा नदी खतरे के निशान से उपर बह रही है। उन्होंने बताया कि बाढ़ से लोगों को राहत पहुंचाने के लिये प्रदेश स्तरीय सहायता केन्द्र शुरू किया गया है। कोई भी बाढ़ पीड़ित व्यक्ति फोन नं 1079 के जरिये इस केन्द्र से संपर्क कर सकता है। चौहान ने बताया कि भोपाल के निकट हलाली बांध पर कल होने वाली मंत्रिमंडल की बैठक स्थगित कर दी गई है। उन्होंने मंत्रियों को बाढ़ प्रभावित इलाकों में जाकर राहत कार्यों का जायजा लेने के निर्देश दिये हैं।

भोपाल: प्रदेश के कई इलाकों में कई दिनों से हो रही बारिश के कारण कई नादियां उफान पर हैं। नर्मदा, पार्वती, चंबल, केन, तवा, तमस और सुनार नदियां उफान पर हैं। इससे कई मार्गों पर आवागमन प्रभावित हो गया है। प्रदेश में बारिश का सबसे ज़्यादा असर सतना जिले में देखने को मिल रहा है, जिले के निचले इलकों में पानी घुसने से बाढ़ जैसे हालात हो गए हैं। बाढ़ की वजह से कई गांवों का संपर्क टूट गया है। अधिकांश बस्तियों में पानी भर गया है। सतना में पानी में फंसे लोगों को बाहर निकालने के लिए और उन तक राहत सामग्री पहुंचाने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ रहा है। आलम यह है कि बस्तियों और गांव में नाव चल रही है और मदद के लिए सेना भी बुलाई गई है। सतना जिले में तीन दिनों में हुई बारिश ने यहां के जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है। बाढ़ नियंत्रण अधिकारी और होमगार्ड की कमांडेंट मधुराजे तिवारी ने शुक्रवार को बताया कि जिले के तिजेला, कुपालपुर, उचवा टोला सहित कई गांव में पानी भर गया है। बीते दो दिनों में इन गांवों से एक हजार लोगों को सुरक्षित निकाला गया है। तिवारी के अनुसार, जिले की स्थिति में सुधार आ रहा है, लेकिन अब भी कई बस्तियों और गांव में पानी भरा हुआ है, यहां फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने के साथ खाद्य सामग्री व पीने का पानी पहुंचाने के लिए नाव का सहारा लिया जा रहा है। गांव व बस्ती में भरे पानी में नाव ही घरों तक पहुंचने का साधन है। उन्होंने बताया कि जिले में राहत और बचाव कार्य के लिए जबलपुर से सेना बुलाई गई है।

भोपाल: मध्य प्रदेश में तीसरी बार सत्ता संभालने के ढाई साल बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार शाम को बहुप्रतिक्षित मंत्रिमंडल का विस्तार करते हुए इसमें 4 कैबिनेट मंत्री एवं 5 राज्य मंत्रियों सहित कुल नौ नए मंत्री शामिल किये, जबकि भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व के निर्देश पर 75 वर्ष से अधिक आयु के दो मंत्रियों को मंत्रिमंडल से इस्तीफा भी देना पड़ा। राजभवन में हुए शपथ ग्रहण समारोह में प्रदेश के राज्यपाल रामनरेश यादव ने मंत्रिमंडल में शामिल किये गये 4 नए कैबिनेट मंत्रियों अर्चना चिटनीस, रूस्तम सिंह, जयभान सिंह पवैया, ओम प्रकाश धुर्वे तथा 5 नए राज्य मंत्रियों विश्वास सारंग, संजय पाठक, सूर्यप्रकाश मीणा, ललिता यादव और हर्ष सिंह को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। नव नियुक्त मंत्रियों को फिलहाल विभागों को बंटवारा नहीं किया गया है। मंत्रियों को देर रात या कल विभागों का आवंटन किया जा सकता है। इसके साथ ही कुछ पुराने मंत्रियों के विभागों में फेरबदल भी किया जा सकता है। मंत्रिमंडल के विस्तार के पहले राजनीतिक ड्रामा चलता रहा और प्रदेश भाजपा द्वारा केन्द्रीय नेतृत्व के निर्देश पर 75 वर्ष से अधिक उम्र वाले दो कैबिनेट मंत्रियों गृह मंत्री बाबूलाल गौर (85) और लोक निर्माण मंत्री सरताज सिंह (76) को मंत्री पद से इस्तीफा देने को कहा गया। प्रारंभ में तो दोनों मंत्रियों ने इस्तीफा देने में ना नुकुर की तथा कहा कि उनकी उम्र के बजाय उनके कामकाज को योग्यता का आधार माना जाना चाहिए।

इंदौर: देश के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी की समस्या नई नहीं है और प्रतिष्ठित केंद्रीय विद्यालय भी इसी अभाव से जूझ रहे हैं। सूचना के अधिकार (आरटीआई) से पता चला है कि मुल्क भर में फैले 1,100 से ज्यादा केंद्रीय विद्यालयों में शिक्षकों के 21 प्रतिशत स्वीकृत पद खाली पड़े हैं। मध्य प्रदेश के नीमच निवासी सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने आज बताया कि उनकी आरटीआई अर्जी के जवाब में केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) ने एक जून तक की स्थिति के मुताबिक यह जानकारी दी है। केंद्र सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तहत आने वाला केवीएस देश भर में केंद्रीय विद्यालयों का संचालन करता है। केवीएस की ओर से गौड़ को 23 जून को भेजे जवाब में बताया गया कि केंद्रीय विद्यालयों में प्राथमिक स्तर से लेकर उच्चतर माध्यमिक स्तर तक शिक्षकों के कुल 41,149 पद स्वीकृत हैं। इनमें से 32,370 पदों पर ही शिक्षक कार्यरत हैं और शेष 8,779 पद खाली पड़े हैं। यानी इन विद्यालयों में शिक्षकों के करीब 21 प्रतिशत स्वीकृत पद रिक्त हैं। केवीएस ने आरटीआई अर्जी के जवाब में बताया कि केंद्रीय विद्यालयों में प्राइमरी अध्यापकों के 14,856 पद स्वीकृत हैं जिनमें से 11,849 पदों पर शिक्षक कार्य कर रहे हैं और शेष 3,007 पद खाली पड़े हैं।

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