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भोपाल: भोपाल सेंट्रल जेल ब्रेक मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक भोपाल जेल के 80 गार्ड दूसरी जगहों पर तैनात थे। लिहाजा जेल में जो सुरक्षा होनी, चाहिए वह इस वजह से नहीं थी। 80 गार्ड मुख्यमंत्री, चीफ सेक्रेटरी, जेल मंत्री, पूर्व जेल मंत्री, प्रिंसिपल सेक्रेटरी और डीजी के बंगलों पर तैनात हैं। इस बीच, जेल मंत्री कुसुम महदेले ने कहा कि मेरे पास सिर्फ दो गार्ड थे। आंकड़े बढ़ा-चढ़ा कर पेश किए जा रहे हैं। गौरतलब है कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल केन्द्रीय जेल से सिमी के आठ कार्यकर्ताओं के भागने और उनकी कथित मुठभेड़ की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं। रात जारी एक आधिकारिक विज्ञप्ति में बताया गया है कि जांच मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एसके पांडे करेंगे। प्रतिबंधित संगठन सिमी के विचाराधीन कार्यकर्ताओं ने 30-31 अक्तूबर की दरम्यिानी रात को जेल से फरार हो गए थे। फरार होने से पहले सिमी कार्यकर्ताओं ने एक प्रधान आरक्षक रमाशंकर यादव की हत्या कर दी थी। बाद में सभी आठ लोग 31 अक्तूबर को भोपाल के बाहरी इलाके मणिखेडा पठार में पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारे गए थे। मुठभेड़ के बारे में पुलिस एवं राज्य के गृहमंत्री के परस्पर विरोधी बयान आए जिससे ये आरोप लगने लगे हैं कि मुठभेड़ फर्जी हो सकता है।

भोपाल: 8 सिमी आतंकियों के एनकाउंटर पर मचे बवाल के बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एनकाउंटर की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं। हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज एस के पांडे मामले की न्यायिक जांच करेंगे। 31 अक्टूबर को जेल ब्रेक कर भागे 8 सिमी आतंकियों को एमपी पुलिस और एटीएस की टीम ने मिलकर भोपाल के अचारपुरा गांव में मार गिराया था। इस एनकाउंटर पर विपक्ष ने सवाल उठाए थे और मामले की न्यायिक जांच की मांग की थी। विपक्ष एनकाउंटर के वक्त के हालात और वायरल होने वाले वीडियो को आधार बताकर मुठभेड़ को फर्ज़ी बता रहा है। सीएम शिवराज सिंह ने विपक्ष के आरोपों के बाद पूरे मामले की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं। जानकारी के मुताबिक रिटायर्ड जज एस के पांडे जेल ब्रेक के साथ ही एनकाउंटर की जांच भी करेंगे।

 

भोपाल: आतंकवाद के मामलों की सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक अदालतों की वकालत करते हुए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज कहा कि सजा सुनाए जाने से पहले आरोपी वर्षों तक जेल में रहते हैं और वहां चिकन-बिरयानी खाते हैं। उन्होंने कथित मुठभेड़ में सिमी के आठ कार्यकर्ताओं को मारे जाने में पुलिस की भूमिका का बचाव किया। मध्यप्रदेश के 61वें स्थापना दिवस के अवसर पर बीती रात राजधानी में आयोजित एक समारोह में चौहान ने कहा, ‘उन्हें सजा देने में वर्षों लगते हैं। वे चिकन बिरयानी जल में खाते रहते हैं। वे भागते हैं और अपराधों तथा हमलों में शामिल होते हैं। यदि हमारे यहां भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर फास्ट ट्रैक अदालतें हो सकती हैं तो, आतंकवादियों को सजा देने के लिए फास्ट ट्रैक अदालतें क्यों नहीं हो सकतीं?’ चौहान ने भोपाल केन्द्रीय जेल का दौरा कर अधिकारियों को यहां की सुरक्षा व्यवस्था सख्त करने के निर्देश दिये। इस दौरान उनके साथ प्रदेश के मुख्य सचिव बीपी सिंह, पुलिस महानिदेशक रिषी कुमार शुक्ला, प्रदेश के जेल महानिदेशक संजय चौधरी भी मौजूद थे। मालूम हो कि इस जेल से सोमवार की रात सिमी से जुड़े आठ कैदी जेल के एक सिपाही की हत्या करने के बाद फरार हो गये थे।

भोपाल: भोपाल सेंट्रल जेल से भागने के बाद मध्य प्रदेश पुलिस द्वारा मुठभेड़ में मार गिराए स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के आठ संदिग्ध आतंकवादियों के वकील ने आरोप लगाया है कि दरअसल जेलब्रेक की घटना फर्ज़ी थी। वकील परवेज़ आलम ने पुलिस के उस दावे पर सवाल खड़े किए हैं, जिसमें कहा गया था कि कैदियों ने कई ऊंची-ऊंची दीवारें फांदीं, और कड़ी सुरक्षा वाली सेंट्रल जेल के दरवाज़ों में लगे ताले टूथब्रश से बनी चाबियों से खोल डाले। वकील ने कहा कि इन आठ लोगों, जो प्रतिबंधित सिमी से जुड़े थे, के परिवार वाले मध्य प्रदेश हाईकोर्ट जाएंगे, और पुलिस द्वारा उन्हें मार गिराए जाने की सीबीआई से जांच की मांग करेंगे। जो उनके (परिवार के) दावे के मुताबिक 'सोच-समझकर की गई हत्या' थी। मध्य प्रदेश सरकार ने साफ कर दिया है कि नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) सिर्फ जेलब्रेक की घटना की जांच करेगी, कैदियों के मारे जाने की नहीं। राज्य के गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा है कि कैदियों के मारे जाने की जांच मध्य प्रदेश पुलिस की स्पेशल टीम करेगी। मध्य प्रदेश के गृहमंत्री ने जानकारी दी है कि सिमी के ये आठ सदस्य 'बड़ी आतंकवादी वारदात की साज़िश रच रहे थे'। गृहमंत्री के मुताबिक जेल से भागने में एक 'बड़े नेटवर्क' ने उनकी मदद की थी। गृहमंत्री ने कहा, "अगर इस तरह के आतंकवादी भागने में कामयाब हो गए होते, तो यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बहुत बड़ा खतरा होता... मध्य प्रदेश पुलिस ने बहुत कम समय में उन्हें खोजकर मार गिराया।" कैदियों को मार गिराए जाने के वक्त के कुछ वीडियो सामने आए हैं ।

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