ग्वालियर: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि गुणवत्ता के साथ समझौता किए बगैर भी शिक्षा का दायरा बढ़ाया जा सकता है और इसके साथ ही उन्होंने भारत से छात्रों के बाहर जाने का चलन उलटने और विश्व के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों में भारतीय संस्थाओं के भी शामिल होने की उम्मीद जतायी। सिंधिया कन्या विद्यालय के 60वें स्थापना दिवस के मौके पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए मुखर्जी ने दिल्ली के शिक्षा मंत्री से यह जानने पर ‘‘आश्चर्य’’ जताया कि बड़ी संख्या में छात्र अपनी पाठ्य.पुस्तकें नहीं पढ़ सकते। उन्होंने इसे दयनीय बताया। उन्होंने कहा, ‘‘गुणवत्ता में समझौता किए बिना शिक्षा का विस्तार हो सकता है.. हमारे यहां इतनी संख्या में बेहतरीन शिक्षण संस्थान हैं। शीर्ष अंतरराष्ट्रीय एजंेसियों द्वारा चुने गए दुनिया के शीर्ष 100 संस्थानों में अभी तक किसी भारतीय विश्वविद्यालय या संस्थान को जगह नहीं मिली है।’’ मुखर्जी ने कहा कि बदलाव शुरू हो गया है और आईआईटी दिल्ली तथा आईआईएससी बेंगलूर को प्रमुख वैश्विक संस्थानों में जगह मिली है। उन्होंने कहा कि वह आशान्वित हैं कि आने वाले समय में कई भारतीय संस्थान शीर्ष संस्थानों में से होंगे।
उन्होंने तक्षशिला और नालंदा का जिक्र करते हुए कहा कि प्राचीन भारत ने उच्च शिक्षा में दुनिया का नेतृत्व किया। मुखर्जी ने कहा, ‘‘करीब 1700 साल, ईसापूर्व छठी सदी से शुरू होकर 11वीं ईस्वी तक, तक्षशिला के गौरवशाली दिनों से नालंदा के ध्वस्त होने तक, भारत ने दुनिया में उच्च शिक्षा का नेतृत्व किया। तक्षशिला चार स5यताओं यूनानी, चीनी, फारस और भारतीय का सम्मिलन केंद्र बना।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुझे दुख होता है कि हर साल छह हजार से ज्यादा छात्र भारत से उच्च शिक्षा के लिए यूरोप, आस्ट्रेलिया, उत्तरी अमेरिका जाते हैं..मैं चाहता हूं कि यह प्रवाह उलटा हो। वह मुहैया करायी जाने वाली शिक्षा पर निर्भर करेगा।’’ इस अवसर पर मध्य प्रदेश के राज्यपाल ओ पी कोहली, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और माधवी राजे सिंधिया सहित अन्य गणमान्य लोग मौजूद थे। माधवी राजे सिंधिया स्कूल के संचालन मंडल की अध्यक्ष हैं।