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भोपाल: आतंकवाद के मामलों की सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक अदालतों की वकालत करते हुए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज कहा कि सजा सुनाए जाने से पहले आरोपी वर्षों तक जेल में रहते हैं और वहां चिकन-बिरयानी खाते हैं। उन्होंने कथित मुठभेड़ में सिमी के आठ कार्यकर्ताओं को मारे जाने में पुलिस की भूमिका का बचाव किया। मध्यप्रदेश के 61वें स्थापना दिवस के अवसर पर बीती रात राजधानी में आयोजित एक समारोह में चौहान ने कहा, ‘उन्हें सजा देने में वर्षों लगते हैं। वे चिकन बिरयानी जल में खाते रहते हैं। वे भागते हैं और अपराधों तथा हमलों में शामिल होते हैं। यदि हमारे यहां भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर फास्ट ट्रैक अदालतें हो सकती हैं तो, आतंकवादियों को सजा देने के लिए फास्ट ट्रैक अदालतें क्यों नहीं हो सकतीं?’ चौहान ने भोपाल केन्द्रीय जेल का दौरा कर अधिकारियों को यहां की सुरक्षा व्यवस्था सख्त करने के निर्देश दिये। इस दौरान उनके साथ प्रदेश के मुख्य सचिव बीपी सिंह, पुलिस महानिदेशक रिषी कुमार शुक्ला, प्रदेश के जेल महानिदेशक संजय चौधरी भी मौजूद थे। मालूम हो कि इस जेल से सोमवार की रात सिमी से जुड़े आठ कैदी जेल के एक सिपाही की हत्या करने के बाद फरार हो गये थे।
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भोपाल: भोपाल सेंट्रल जेल से भागने के बाद मध्य प्रदेश पुलिस द्वारा मुठभेड़ में मार गिराए स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के आठ संदिग्ध आतंकवादियों के वकील ने आरोप लगाया है कि दरअसल जेलब्रेक की घटना फर्ज़ी थी। वकील परवेज़ आलम ने पुलिस के उस दावे पर सवाल खड़े किए हैं, जिसमें कहा गया था कि कैदियों ने कई ऊंची-ऊंची दीवारें फांदीं, और कड़ी सुरक्षा वाली सेंट्रल जेल के दरवाज़ों में लगे ताले टूथब्रश से बनी चाबियों से खोल डाले। वकील ने कहा कि इन आठ लोगों, जो प्रतिबंधित सिमी से जुड़े थे, के परिवार वाले मध्य प्रदेश हाईकोर्ट जाएंगे, और पुलिस द्वारा उन्हें मार गिराए जाने की सीबीआई से जांच की मांग करेंगे। जो उनके (परिवार के) दावे के मुताबिक 'सोच-समझकर की गई हत्या' थी। मध्य प्रदेश सरकार ने साफ कर दिया है कि नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) सिर्फ जेलब्रेक की घटना की जांच करेगी, कैदियों के मारे जाने की नहीं। राज्य के गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा है कि कैदियों के मारे जाने की जांच मध्य प्रदेश पुलिस की स्पेशल टीम करेगी। मध्य प्रदेश के गृहमंत्री ने जानकारी दी है कि सिमी के ये आठ सदस्य 'बड़ी आतंकवादी वारदात की साज़िश रच रहे थे'। गृहमंत्री के मुताबिक जेल से भागने में एक 'बड़े नेटवर्क' ने उनकी मदद की थी। गृहमंत्री ने कहा, "अगर इस तरह के आतंकवादी भागने में कामयाब हो गए होते, तो यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बहुत बड़ा खतरा होता... मध्य प्रदेश पुलिस ने बहुत कम समय में उन्हें खोजकर मार गिराया।" कैदियों को मार गिराए जाने के वक्त के कुछ वीडियो सामने आए हैं ।
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भोपाल: दीवाली की आधी रात को हेड कॉन्स्टेबल की हत्या कर भोपाल सेंट्रल जेल से भागे सिमी के आठ क़ैदियों के एनकाउंटर में मारे जाने पर पुलिस कार्रवाई पर सवाल उठने लगे हैं। इस एनकाउंटर के कई वीडियो सामने आए हैं. एक वीडियो में दिख रहा है कि चारों ओर से पुलिस से घिरे पांच क़ैदी हाथ हिलाकर सरेंडर करना चाहते थे। सवाल यह उठता है कि पुलिस ने इन्हें गिरफ्तार करने की बजाय गोली क्यों मारी। वीडियो में दिखायी देता है कि कुछ ही दूरी पर संदिग्ध दिखाई देते हैं. एक आवाज आती है । 'कंट्रोल! ये पांचों लोग हमसे बात करना चाहते हैं। तीन भागने की कोशिश कर रहे हैं। चलो उन्हें घेर लो!' इसके बाद गोलियों की आवाज आती है। एक और दूसरा वीडियो भी सामने आया है। जिसमें एनकाउंटर में जख़्मी एक कैदी को एक पुलिसवाला निशाना बनाकर फायरिंग कर रहा है। क्या उसे जिंदा नहीं पकड़ा जा सकता था? फ़िलहाल इन वीडियो की सत्यता की जांच बाक़ी है। मारे गए क़ैदियों के पहनावे, उनके जेल से भागने के तरीक़ों पर भी सवाल उठ रहे हैं। इस बीच सूबे के गृहमंत्री ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि कैदी लकड़ी और चम्मच की चाबी के सहारे बैरक से भागे। गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह ने विरोधाभासी बयान देते हुए कहा कि संदिग्धों के पास कोई हथियार नहीं थे। उनके पास केवल जेल की वो प्लेटें थीं। जिससे उन्होंने गार्ड का गला रेत दिया और फरार हो गए। सिंह ने कहा कि संदिग्धों ने पुलिस पर हमला करने और भागने की कोशिश की. पुलिस के पास उन्हें मारने के अलावा कोई चारा नहीं था।' एक अन्य गैर सत्यापित मोबाइल वीडियो जिसे कथित रूप से एक गांव वाले ने उस वक्त फिल्माया जब पुलिस संदिग्ध आतंकियों के शरीरों की जांच कर रही है।इसमें एक पुलिसवाला साफ तौर पर एक मरे हुए व्यक्ति पर गोलियां चलाता दिख रहा है।
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भोपाल: भोपाल जेल से भागे कैदियों को काफी नज़दीक से गोली मारे जाने का एक वीडियो सामने आने के बाद पुलिस कार्रवाई पर उठे गंभीर सवालों के बीच मध्य प्रदेश की जेलमंत्री कुसुम मेहदाले ने पत्रकारों से बातचीत में कुछ 'कमियों' को कबूल किया, लेकिन कहा, "आप लोगों को हमारी तारीफ करनी चाहिए कि हमने आरोपियों के भाग निकलने के बावजूद उन्हें मार गिराया।" मारे गए आठों लोग प्रतिबंधित संगठन सिमी (स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया) के सदस्य थे, और हत्या से लेकर देशद्रोह तक के आरोपों में जेल में बंद थे। लेकिन कड़ी सुरक्षा वाली इस जेल से कैदियों के निकल भागने के बारे में अधिकारियों के दावों और उन्हें मार गिराए जाने के वीडियो में मिली जानकारियों में विरोधाभास है। पुलिस का दावा है उन लोगों ने 30 फुट ऊंची जेल की दावार फांदने से पहले एक सुरक्षा गार्ड को मार डाला, जबकि एक मंत्री ने कहा कि उन लोगों ने कई चादरों को एक साथ बांध लिया था। उधर, इन कैदियों के भोपाल से सटे घने जंगल वाले इलाके में पाए जाने के बाद शूट किए गए एक वीडियो, जिसे कथित रूप से एक पुलिस वाले ने ही बनाया, में आवाज़ें सुनाई देती हैं कि गोलीबारी का वीडियो क्यों शूट किया जा रहा है, और एक और आवाज़ आती है, "इसकी छाती में गोली मार दो।" देश की सर्वोच्च आतंकवाद-विरोधी संस्था नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) को मुठभेड़ की जांच की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है। मध्य प्रदेश की जेलमंत्री कुसुम मेहदाले ने पत्रकारों से बातचीत में यह भी कहा, "मैं मानती हूं कि कुछ कमियां रह गईं,हो सकता है, जेल में लगे कुछ सीसीटीवी कैमरे काम न कर रहे हों, वे लोग जेल की दीवार पर चढ़ने में कैसे कामयाब हुए, मैं नहीं जानती।"
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