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मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव परिणाम के 13 दिन बाद भी राज्य में नई सरकार के गठन को लेकर असमंजस बरकरार है। भाजपा और शिवसेना में जहां सीएम पद को लेकर पेंच फंसा है, वहीं कांग्रेस-एनसीपी सावधानीपूर्वक अपनी चालें चल रहे हैं। सियासी गतिरोध के बीच शिवसेना ने पार्टी नेताओं और विधायकों के साथ बैठक की। विधायकों की बैठक में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने एक बार फिर से साफ कर दिया कि उनकी पार्टी मुख्यमंत्री पद की मांग पीछे नहीं हटेगी।

गुरुवार को शिवसेना विधायकों की बैठक में उद्धव ठाकरे ने भाजपा को स्पष्ट संदेश दिया कि शिवसेना को मुख्यमंत्री पद से कम कुछ भी स्वीकार नहीं। साथ ही यह भी सवाल किया कि आखिर हमें इससे कम कुछ चाहिए ही था तो हमने 15 दिन का समय क्यों बर्बाद किया। उद्धव ठाकरे ने मातोश्री से तीन किलोमीटर की दूरी पर बांद्रा होटल में विधायकों के साथ बैठक की और शिवसेना का स्टैंड स्पष्ट कर दिया। शिवसेना की यह बैठक उस अटकलों के बाद आई है, जिसमें कहा जा रहा है कि भाजपा उसके विधायकों को खरीदने की कोशिश कर रही है। उद्धव ठाकरे ने शिवसेना के विधायकों को अपना संदेश उस वक्त दिया, जिस वक्त भाजपा राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मिलने जा रही थी।

नागपुर: महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर भाजपा और शिवसेना के बीच चल रही तनातनी के बीच केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने अपने सभी कार्यक्रम रद्द कर आनन-फानन में नागपुर पहुंचे है। नागपुर पहुंचने के बाद उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर जल्द ही फैसला हो जाएगा। भाजपा ने नेता देवेंद्र फडनवीस को चुना है, तो ऐसे में उनके नेतृत्व में ही सरकार बननी चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि शिवसेना से बातचीत हो रही है, जल्द ही समाधान निकाला जाएगा। जब उनसे महाराष्ट्र सरकार में नेतृत्व करने के बारे में सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मैं दिल्ली में ही हूं, मुझे महाराष्ट्र आने की जरूरत नहीं है।

बता दें, नागपुर में गडकरी संघ प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात करेंगे। आपको बता दें यह सब कुछ ऐसे समय हो रहा है जब सीएम भाजपा का एक प्रतिनिधिमंडल आज महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मिलने जा रहा है। नितिन गडकरी का नाम भी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद के लेकर चल रहा है और कहा जा रहा है कि वह शिवसेना के साथ जारी गतिरोध को खत्म कर सकते हैं।

मुंबई: महाराष्ट्र में जारी सियासी गतिरोध के बीच गुरुवार को शिवसेना ने भारतीय जनता पार्टी पर ताजा हमला बोला। महाराष्ट्र में सरकार गठन पर सियासी खींचतान के बीच शिवसेना ने भारतीय जनता पार्टी पर हाल ही में निर्वाचित हुए विधायकों को खरीदने की कोशिश करने का आरोप लगाया है। शिवसेना का कहना है कि नवनिर्वाचित विधायकों को अपने पाले में लेने के लिए भाजपा मनी पावर का इस्तेमाल कर रही है।

करीब 30 साल से एक दूसरे के सहयोगी भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना के बीच चुनावी नतीजे आने के बाद से ही सत्ता समझौते को लेकर तकरार जारी है। शिवसेना सत्ता में भाजपा के साथ 50-50 का भागीदारी चाहती है, यानी ढाई-ढाई साल तक दोनों पार्टियों के मुख्यमंत्री। दोनों पार्टियों के बीच झगड़े की मुख्य वजह मुख्यमंत्री पद को लेकर ही है। शिवसेना जहां कह रही है कि चुनाव से पहले ही दोनों में 50-50 फॉर्मूले पर समझौता हुआ था, वहीं भाजपा इससे इंकार कर रही है।

शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में शिवसेना ने महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर भाजपा पर निशाना साधा है। सामना में कहा कि महाराष्ट्र के लोग चाहते हैं कि उद्धव ठाकरे की नेतृत्व वाली पार्टी से मुख्यमंत्री हो।

पुणे: पुणे की एक सत्र अदालत ने यलगार परिषद-माओवादी संबंधित मामले में बुधवार को छह आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी। रोना विल्सन, शोमा सेन, सुरेन्द्र गाडलिंग, महेश राउत, वरवर राव और सुधीर धावले ने इस दलील के साथ जमानत याचिकाएं दायर की थीं कि पुलिस उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत पेश नहीं कर पाई है। अभियोजन पक्ष ने याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा कि आरोपियों और माओवादियों के बीच संबंध दिखाने के लिये सामग्री मौजूद है।

पुणे पुलिस के अनुसार 31 दिसंबर 2017 यहां यलगार परिषद की सभा के दौरान भड़काऊ भाषण दिये गए थे, जिसके चलते जिले में अगले दिन (एक जनवरी 2018) को भीमा-कोरेगांव युद्ध स्मारक पर जातीय हिंसा भड़क गई थी। पुलिस का दावा है कि सभा को माओवादियों का समर्थन हासिल था। इस मामले में जून और अगस्त में वाम की ओर झुकाव रखने वाले कई कार्यकर्ताओं और लेखकों को गिरफ्तार किया गया था। इस बीच, मामले में गिरफ्तार नहीं किये गए एक और आरोपी कार्यकर्ता गौतम नवलखा ने भी अग्रिम जमानत के लिये सत्र अदालत का रुख किया।

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