मुंबई: विधानसभा चुनाव परिणाम के 12 दिन बाद भाजपा ने शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बनाने पर जोर देते हुए बातचीत के लिए 24 घंटे दरवाजे खुले होने का दावा किया। अब गेंद शिवसेना के पाले में है। कोर कमिटी की ढाई घंटे लंबी मीटिंग के बाद बाहर निकलकर भाजपा नेताओं ने दावा किया कि सरकार गठबंधन की बनेगी और देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में बनेगी। भाजपा नेता सुधीर मुनगंटीवार ने तो दावा किया कि भाजपा शिवसेना के पास प्रस्ताव भी भेज चुकी है। लेकिन प्रस्ताव क्या है और फॉर्मूला क्या होगा, ये पत्ते खोलने से उन्होंने इंकार कर दिया।
मुनगंटीवार ने सरकार गठन को लेकर शिवसेना के साथ चल रहे गतिरोध में संभावित सफलता मिलने का मंगलवार को संकेत देते हुए कहा कि किसी भी क्षण ‘अच्छी खबर' आ सकती है। उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘‘किसी भी समय सरकार गठन को लेकर अच्छी खबर आ सकती है।'' बैठक में भाग लेने वाले भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि वे अब शिवसेना की ओर से प्रस्ताव का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमने महाराष्ट्र में पार्टी के विधायक दल के नेता के रूप में फडणवीस को पूरा समर्थन दिया है।''
भाजपा नेता गिरीश महाजन ने मंगलवार को कहा कि उनकी पार्टी अपने सहयोगी दल शिवसेना के साथ मुख्यमंत्री पद साझा करने को लेकर बातचीत करने के लिये तैयार नहीं है और देवेन्द्र फडणवीस ही अगले मुख्यमंत्री बनेंगे। राज्य की मौजूदा सरकार में वरिष्ठ मंत्री महाजन ने सरकार गठन के लिये वार्ता शुरू करने से पहले शिवसेना की 'लिखित आश्वासन' की मांग को भी खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, "हमने तय किया है कि फडणवीस ही अगले पांच वर्ष के लिये मुख्यमंत्री होंगे। भाजपा अन्य विभागों को लेकर शिवसेना के साथ बातचीत के लिये तैयार है।
शिवसेना की 'लिखित आश्वासन' की मांग पर भाजपा नेता ने कहा, "हम भारत-पाकिस्तान तो हैं नहीं कि बातचीत नहीं कर सकते। दोनों दलों के नेता मिलकर सत्ता साझा करने के फॉर्मूले पर बात कर सकते हैं। ऐसी बातों की लिखित में मांग करने का कोई मतलब नहीं है।"
भाजपा दावा तो कर रही है कि सरकार महायुति की बनेगी और देवेन्द्र फडणवीस के नेतृत्व में ही बनेगी लेकिन कैसे, इसका जवाब देने से बच रही है। सवाल है क्या शिवसेना बिना मुख्यमंत्री पद लिए मानेगी और किस कीमत पर?
इस बीच कांग्रेस और एनसीपी के नेताओं ने एक साथ राज्यपाल से मुलाकात की। नेताओं ने जहां राज्यपाल से किसानों की हालात पर बात की तो वहीं किसानों की दुर्दशा के लिए एक बार फिर से मौजूदा सरकार को ज़िम्मेदार बताया। विपक्ष के नेताओं ने जहां सत्ता को लेकर कुछ साफ तौर पर नहीं कहा लेकिन एक साथ बड़ी संख्या में आकर एक बार फिर से विपक्ष ने महाराष्ट्र में यह संदेश देने की कोशिश की की केवल उन्हें किसानों के मौजूदा हालात पर फिक्र है।