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चंडीगढ़: हरियाणा में स्कूली शिक्षकों से कहा गया है कि वह काम के समय जींस नहीं पहनें और औपचारिक लिबास में आएं। प्राथमिक शिक्षा निदेशक, हरियाणा (पंचकूला) ने इस संबंध में एक आदेश जारी किया है। सभी जिला प्राथमिक शिक्षा अधिकारियों को भेजे गये आदेश में कहा गया, 'यह पाया गया है कि प्राथमिक और मिडल स्कूलों के शिक्षक जींस में स्कूल आते हैं। यह भी पाया गया है कि जब वे किसी काम के लिए निदेशालय कार्यालय में आते हैं तो यहां भी जींस पहन कर आते हैं जो अनुचित है। कृपया यह सुनिश्चित करें कि कोई भी अध्यापक स्कूल में जींस पहनकर नहीं आये और उन्हें औपचारिक लिबास में आना चाहिए।' हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ ने आदेश की कड़ी भर्त्सना करते हुए इसे राज्य सरकार का अपनी विफलताओं से ध्यान बंटाने के लिए उठाया गया कदम बताया है। हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के अध्यक्ष वजीर सिंह ने शनिवार को कहा, 'अध्यापकों के लिए परिधान संहिता तय करने का सरकार का पूरी तरह से गलत आदेश है। यह अध्यापकों पर छोड़ दिया जाना चाहिए कि वह क्या पहनते हैं। अध्यापक का काम पढ़ाना है और वह जींस या धोती में भी पढ़ा सकता है।' उन्होंने बताया कि यह आदेश दो दिन पहले जारी किया गया था।
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चंडीगढ़: हरियाणा में आज (शनिवार) कांग्रेस विधायकों के बगावत कर देने से राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस को सबसे तगड़ा झटका लगा जहाँ भाजपा के समर्थन वाले निर्दलीय उम्मीदवार सुभाष चंद्रा जीत गए। वहां पार्टी के 14 विधायकों ने संभवत: जानबूझ कर मतपत्र पर गलत निशान लगाया, जिसके चलते पार्टी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार आरके आनंद को शिकस्त का सामना करना पड़ा। उन्हें मुख्य रूप से कांग्रेस की चिर प्रतिद्वंदी इनेलो ने मैदान में उतारा था। प्रदेश के शिक्षा मंत्री राम विलास शर्मा ने यहाँ संवाददाताओं को बताया कि कांग्रेस के 14 वोट रद्द होने के बाद मीडिया कारोबारी सुभाष चंद्रा ने वरिष्ठ अधिवक्ता एवं पूर्व सांसद आनंद को हराया। यहां तक कि चुनाव से पहले ये अटकलें थी कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपिन्दर सिंह हुड्डा के प्रति निष्ठा रखने वाले कांग्रेस के 17 विधायकों में ज्यादातर आनंद का समर्थन करने में पार्टी लाइन का पालन नहीं करंगे।
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नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): हरियाणा में आरक्षण की मांग को लेकर शुरू हुए जाट आंदोलन का आज (सोमवार) दूसरा दिन है। आंदोलनकारियों ने दिल्ली और उत्तर प्रदेश समेत 13 राज्यों में सोमवार से ही धरना शुरू करने का आव्हान किया है। लिहाज़ा एहतियात के तौर पर दिल्ली के कई संवेदनशील इलाकों में धारा 144 लगा दी गई है। पुलिस आंदोलनकारियों पर कड़ी नजर रखे हुए है। इस आंदोलन की शुरुआत रविवार को हरियाणा के जींद से हुई थी। गौरतलब है कि करीब तीन महीने पहले जाटों के हिंसक आंदोलन में 30 लोगों की मौत के बाद जाट नेताओं ने कड़ी सुरक्षा के बीच रविवार को फिर से हरियाणा में अपना शांतिपूर्ण आंदोलन शुरू किया। प्रदेश के सभी जिलों में प्रदर्शनों का सिलसिला शुरू हो गया है। दूसरी ओर, हरियाणा में जाट नेताओं की ओर से आरक्षण को लेकर ताजा आंदोलन शुरू किया जाने के मद्देनजर केंद सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के कई हिस्सों में निषेधाज्ञा लगा दी है। दिल्ली पुलिस ने बताया कि धारा 144 शहर के एक चौथाई से अधिक क्षेत्र में लगाई गई है। अधिकतर क्षेत्रों में जहां निषेधाज्ञा लगाई गई है वे या तो हरियाणा से लगे सीमावर्ती इलाके हैं या वहां जाट समुदाय के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं। जानकारी के अनुसार, राज्य के 15 जिलों के 15 गांवों में जाट समुदाय के लोग धरने पर बैठे हैं। पहले दिन धरना-प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहने के बाद सरकार और प्रशासन को थोड़ी राहत मिली है। इस बार जाट आरक्षण संघर्ष समिति ने शहरों की बजाय गांवों में ही धरना प्रदर्शन का फैसला लिया है। साथ ही रेल और सड़क मार्ग पर धरना नहीं देने का आश्वासन दिया गया है।
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चंडीगढ़:करीब तीन महीने पहले जाटों के हिंसक आंदोलन में 30 लोगों की मौत के बाद आज जाट नेताओं ने कड़ी सुरक्षा के बीच एक बार फिर हरियाणा में अपना प्रदर्शन शुरू कर दिया। फिलहाल यह प्रदर्शन छोटी-छोटी बैठकों तक सीमित है। पिछली बार जाटों के प्रदर्शन से निपटने में नाकाम रहने पर हरियाणा की भाजपा सरकार को काफी आलोचना का सामना करना पड़ा था। राष्ट्रीय राजमार्गों और रेल पटरियों सहित पूरे हरियाणा में चौकसी बरतने के लिए केंद्र और राज्य के करीब 20,000 सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं। फरवरी में हुए हिंसक प्रदर्शन में प्रदर्शनकारियों ने राजमार्गों और रेल की पटरियों को कई दिनों तक जाम कर दिया था। हरियाणा के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) मुहम्मद अकील ने कहा, यह अब तक शांतिपूर्ण है। पिछली बार हिंसक प्रदर्शन के केंद्र रहे रोहतक जिले के जसिया गांव के जाट नेताओं ने हवन कर आरक्षण आंदोलन के दूसरे दौर की शुरूआत की। कुछ प्रभावशाली खाप पंचायतों और जाट गुटों ने प्रदर्शन से खुद को दूर कर लिया है।प्रदर्शन का आह्वान करने वाले अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति (एआईजेएएसएस) ने जसिया के ठीक बाहर रोहतक-पानीपत राजमार्ग पर एक टेंट लगा दिया और 21 में से 15 जिलों में धरना भी दिया। जाट प्रदर्शनकारी ओबीसी श्रेणी के तहत आरक्षण देने, पिछले प्रदर्शन के दौरान समुदाय के सदस्यों पर दर्ज मामले वापस लिए जाने, मारे गए लोगों को शहीद का दर्जा देने और उनके परिजन के लिए नौकरी और जख्मी हुए लोगों को मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं।
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