नई दिल्ली: उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन हटाने के नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार आज सुप्रीम कोर्ट जाएगी। इससे पहले गुरुवार को हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए राष्ट्रपति शासन हटाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि राज्य में 18 मार्च से पहले की स्थिति बनी रहेगी। ऐसे में हरीश रावत एक बार फिर राज्य के मुख्यमंत्री बन गए। 29 अप्रैल को विधानसभा में उनका बहुमत परीक्षण होगा। उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लागू करने की घोषणा को रद्द करने और हरीश रावत की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार को बहाल करने के उत्तराखंड उच्च न्यायालय के आदेश से असहज हुई भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह और वरिष्ठ मंत्रियों ने जल्दबाजी में बैठक कर उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने के लिए शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया। बैठक में शामिल रहे अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने बाद में कहा कि वह शुक्रवार सुबह प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर की पीठ के समक्ष मामले को रखेंगे और उच्च न्यायालय के फैसले पर स्थगन की मांग करेंगे।
शाह के आवास पर हुई बैठक में रोहतगी के अलावा गृह मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री अरण जेटली जो स्वयं भी कानून के जानकार हैं, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा, गृह सचिव राजीव महर्षि शामिल हुए और उच्च न्यायालय के आदेश के प्रभावों और पार्टी तथा सरकार के समक्ष मौजूद विकल्पों पर विचार-विमर्श किया। सूत्रों ने बताया कि अमेरिका से लौटे जेटली और अन्य नेताओं को लगता है कि आदेश को चुनौती देने के लिए पर्याप्त आधार हैं। उच्च न्यायालय के फैसले को मोदी सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र उच्चतम न्यायालय को बताएगा कि विनियोग विधेयक को उत्तराखंड विधानसभा की मंजूरी नहीं मिल पाना और कांग्रेस के नौ असंतुष्ट विधायकों को ‘मनमाने तरीके से’ अयोग्य करार देना राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के कुछ आधार हैं। सरकार यह दलील भी दे सकती है कि राज्यपाल के के पॉल की एक के बाद एक चार रिपोटोर्ं में राष्ट्रपति शासन लगाने की घोषणा करने के पर्याप्त आधार दिये। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार उच्च न्यायालय की खंडपीठ का विस्तृत फैसला यूं तो अगले सप्ताह की शुरूआत में ही उपलब्ध होने की संभावना है लेकिन फैसले के सारांश वाले हिस्से के साथ केंद्र सरकार इस पर स्थगन की मांग करेगी।