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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को यह साफ कर दिया कि जो छात्र एमबीबीएस और बीडीएस में दाखिले के लिए राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा-1 (एनईईटी) में शामिल हो चुके हैं उन्हें 24 जुलाई को होने वाली नीट-2 में शामिल होने की अनुमति नहीं दी जा सकती। न्यायमूर्ति ए.आर. दवे, न्यायमूर्ति शिवकीर्ति सिंह और न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की पीठ ने कहा, ‘जो छात्र नीट प्रथम चरण में बैठे थे उन्हें दूसरे चरण के नीट में बैठने की इजाजत नहीं दी जा सकती बल्कि जो छात्र प्रथम चरण के नीट में नहीं बैठ सके थे उन्हें दूसरे चरण के नीट में बैठने की इजाजत दी जा सकती है।’ पीठ ने इस बात का संकेत दिया कि वह सिर्फ मौजूदा शैक्षणिक सत्र के लिए राज्यों को दाखिले की प्रक्रिया के लिए अपनी परीक्षा लेने की अनुमति देने पर विचार कर सकती है। उसने इस पहलू पर नौ मई तक फैसला टाल दिया जब सॉलीसीटर जनरल रंजीत कुमार इस बारे में पीठ को केंद्र के रख से अवगत कराएंगे। अदालत ने कहा, ‘जो छात्र राज्यों द्वारा आयोजित परीक्षा में बैठ चुके हैं या बैठने वाले हैं उसके संबंध में मुद्दे का राज्य के कानूनों के अनुरूप सॉलीसीटर जनरल को सुनने के बाद फैसला किया जाएगा।’

अपने अंतरिम आदेश में न्यायालय ने निजी कॉलेजों के अलग से प्रवेश परीक्षा लेने के बारे में अपने पुराने रख को दोहराया। न्यायालय ने कहा, ‘यह स्पष्ट किया जाता है कि एमबीबीएस या बीडीएस की पढ़ाई के लिए किसी निजी कॉलेज या एसोसिएशन या किसी निजी, डीम्ड विश्वविद्यालय को कोई परीक्षा लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी।’ संक्षिप्त सुनवाई के दौरान मेडिकल काउन्सिल ऑफ इंडिया जिसने पहले कुछ राज्यों की याचिकाओं का विरोध किया था जिसमें उन्होंने अपनी प्रवेश परीक्षा को जारी रखने की अनुमति मांगी थी, उसने हालांकि अदालत से कहा कि उन्हें सिर्फ इस साल के लिए अनुमति दी जा सकती है। सॉलीसीटर जनरल ने कहा कि केंद्र नीट के मुद्दे पर एक या दो दिन में सभी हिस्सेदारों की बैठक बुलाएगा और नौ मई को नतीजे के बारे में न्यायालय को जानकारी देगा। इससे पहले, शीर्ष अदालत ने कहा था कि देशभर के गैर सरकारी सहायता प्राप्त निजी मेडिकल कॉलेजों को एमबीबीएस और बीडीएस पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए पूर्व निर्धारित परीक्षा लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

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