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नई दिल्ली: संसद भवन परिसर का वीडियो बनाकर विवादों में घिरे आम आदमी पार्टी के सांसद भगवंत मान गुरुवार को संसदीय कमेटी के सामने पेश हुए। गौरतलब है कि भगवंत मान की ओर से संसद भवन परिसर के संबंध में बनाए गए विवादास्पद वीडियो के मामले की जांच के लिए लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने बीते सोमवार को एक 9 सदस्यीय समिति का गठन किया था। इस वीडियो मामले में मान पर संसद परिसर की सुरक्षा उल्लंघन को लेकर आरोप लगाया गया और सभी दलों ने एक सुर में इसकी निंदा की। जानकारी के अनुसार, भगवंत मान को आज वीडियो मामले की जांच के लिए बनी संसदीय कमेटी के पास पेश हुए। इसके पहले जांच समिति को आप सांसद ने पांच पन्नों का लिखित जवाब भी सौंपा। मान ने इसमें कहा है कि मैं माफी मांगता हूं, लेकिन मैंने कोई गलती नहीं की है। इसे मामले को बंद किया जाए। गौर हो कि संसद परिसर में वीडियो बनाने के विवाद की जांच के लिए गठित समिति ने आम आम आदमी पार्टी के सांसद भगवंत मान को इस आरोप का जवाब देने के लिए 28 जुलाई तक का समय दिया था। समिति ने कहा है कि उनके इस कदम से संसद की सुरक्षा से समझौता हुआ है। इस समिति के एक सदस्य ने कहा था कि अब हमने उनसे 28 जुलाई तक जवाब देने को कहा गया है।
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नई दिल्ली: इंडोनेशिया में मादक पदार्थ की तस्करी के मामले में मौत की सजा से एक भारतीय को बचाने की एक आखिरी कोशिश करते हुए भारत ने इंडानेशिया से उसकी सजा की तामील करने से पहले सभी कानूनी उपायों का इस्तेमाल करने का अनुरोध किया। इंडानेशिया की एक अदालत ने 2005 में 48 साल के गुरदीप सिंह को 300 ग्राम हेरोइन की तस्करी करने का दोषी पाते हुए मौत की सजा सुनाई थी। गुरदीप के साथ 13 अन्य दोषियों की मौत की सजा पर संभवत: शुक्रवार को तामील की जाएगी। इनमें इंडोनेशिया, नाइजीरिया, जिम्बाब्बे और पाकिस्तान के नागरिक शामिल हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि जकार्ता स्थित भारतीय दूतावास के अधिकारी मामले को लेकर इंडानेशिया के विदेश कार्यालय और देश के वरिष्ठ नेतृत्व से संपर्क कर रहे हैं। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बुधवार रात कहा था कि सरकार सिंह को बचाने के लिए आखिरी कोशिश कर रही है। स्वरूप ने कहा, ‘सिंह के कानूनी प्रतिनिधि अफदल मुहम्मद का कहना है कि सिंह सम्बद्ध कानून के तहत इंडोनेशिया के राष्ट्रपति के पास क्षमा याचिका भेज सकते हैं। दूतावास ने इंडोनेशिया के विदेश मंत्रालय को एक राजनयिक नोट भेजकर मौत की सजा की तामील से पहले सभी कानूनी उपायों का इस्तेमाल करने का अनुरोध किया।’
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नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के मुद्दे पर भारत को करारा झटका लगा है। संयुक्त राष्ट्र की आम सभा ने बदलाव के प्रस्तावों को अगले सत्र के लिए टाल दिया है। इस साल इन बदलावों को लेकर काफी चर्चा थी लेकिन अभी तक कोई खास प्रगति नहीं हुई है। सभा ने बुधवार को एकमत होकर बदलाव के लिए आए तमाम प्रस्तावों को आगे के लिए टाल दिया है। संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में 193 सदस्य देश है। इसी सभा की बैठक में यह निर्णय लिया गया है। फिलहाल सुरक्षा परिषद में 15 सदस्या हैं जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शांति और सुरक्षा बनाए रखना का जिम्मा संभालते हैं। इन 15 देशों में पांच सीटें ब्रिटेन, फ्रांस, अमेरिका, चीन और रूस स्थायी सदस्य हैं और बाकी 10 सीटों पर अलग-अलग देश समय समय पर सदस्य रहते हैं। एक संयुक्त बयान में भारत के साथ ब्राजील, जापान और जर्मनी ने कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि 70 सालों में संयुक्त राष्ट्र आम सभा में इतने महत्वपूर्ण मुद्दे पर किसी सहमति पर नहीं पहुंच पाया। चारों देशों की ओर से बोलते हुए ब्राजील का प्रतिनिधित्व करने वाले स्थायी सदस्य एनटोनियो पैत्रिओटा ने सभा से कहा, संयुक्त राष्ट्र में बदलाव के प्रस्तावों को हम जितना आगे खीचेंगे उतना ही संयुक्त राष्ट्र का महत्व कम होता जाएगा। यह सब दुनिया में शांति और सुरक्षा के लिए उसकी विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाएगा।
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नई दिल्ली: संसद ने आज (गुरूवार) लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम 2013 की धारा 44 में संशोधन को मंजूरी प्रदान कर दी जिसमें केंद्रीय लोक सेवकों, एनजीओ के लिए अपनी सम्पत्ति एवं देनदारी की घोषणा 31 जुलाई तक करने की समय सीमा से छूट दी गई है। इससे 50 लाख केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों को राहत मिल सकेगी। राज्यसभा में आज कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन राज्य मंत्री जितेन्द्र सिंह ने इस संशोधन को पेश किया। इसे विचार के लिए संसद की स्थायी समिति को भेजा गया है। सिंह ने इस संशोधन को तत्काल अनिवार्यता बताया और कहा कि हम इसे स्थायी समिति में भेज रहे हैं जहां प्रावधानों पर विस्तार से चर्चा होगी। उन्होंने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि अगले सत्र तक रिपोर्ट आ जायेगी। मंत्री ने कहा कि इसमें एनजीओ की ओर से परिसम्पत्ति और देनदारियों की घोषणा का विषय जुड़ा है। उन्होंने कहा कि इसमें धारा 44 में संशोधन पेश करने की जरूरत इसलिए थी क्योंकि सम्पत्ति और देनदारी की घोषणा 31 जुलाई तक करनी है। लेकिन अभी कई तरह के मुद्दे रह गये थे जिन पर निष्कर्ष आना है और स्थायी समिति उन बिन्दुओं पर विचार करेगी। इसलिए तब तक लोकसेवकों, एनजीओ को सम्पत्ति एवं देनदारी की घोषणा करने से छूट दी जाए। सदन ने ध्वनिमत से लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दे दी। लोकसभा में यह विधेयक कल ही पारित हुआ है। लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम 2013 के तहत अधिसूचित नियमों के मुताबिक, प्रत्येक लोकसेवक अपनी सम्पत्ति की घोषणा के साथ अपनी पत्नी या पति और आश्रित बच्चों की संयुक्त सम्पत्ति और देनदारियों की भी घोषणा करेंगे।
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