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मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार। आज सुबह-सुबह मुझे दिल्ली के नौजवानों के साथ कुछ पल बिताने का अवसर मिला और मैं मानता हूँ कि आने वाले दिनों में पूरे देश में खेल का रंग हर नौजवान को उत्साह-उमंग के रंग से रंग देगा। हम सब जानते हैं कि कुछ ही दिनों में विश्व का सबसे बड़ा खेलों का महाकुम्भ होने जा रहा है। Rio हमारे कानों में बार-बार गूँजने वाला है। सारी दुनिया खेलती होगी, दुनिया का हर देश अपने खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर बारीकी से नज़र रखता होगा, आप भी रखेंगे। हमारी आशा-अपेक्षायें तो बहुत होती हैं, लेकिन Rio में जो खेलने के लिये गए हैं, उन खिलाड़ियों को, उनका हौसला बुलंद करने का काम भी सवा-सौ करोड़ देशवासियों का है। आज दिल्ली में भारत सरकार ने ‘Run for Rio’, ‘खेलो और जिओ’, ‘खेलो और खिलो’ - एक बड़ा अच्छा आयोजन किया। हम भी आने वाले दिनों में, जहाँ भी हों, हमारे खिलाड़ियों को प्रोत्साहन के लिये कुछ-न-कुछ करें। यहाँ तक जो खिलाड़ी पहुँचता है, वो बड़ी कड़ी मेहनत के बाद पहुंचता है। एक प्रकार की कठोर तपस्या करता है। खाने का कितना ही शौक क्यों न हो, सब कुछ छोड़ना पड़ता है। ठण्ड में नींद लेने का इरादा हो, तब भी बिस्तर छोड़ करके मैदान में भागना पड़ता है और न सिर्फ़ खिलाड़ी, उनके माँ-बाप भी, उतने ही मनोयोग से अपने बालकों के पीछे शक्ति खपाते हैं। खिलाड़ी रातों-रात नहीं बनते। एक बहुत बड़ी तपस्या के बाद बनते हैं। जीत और हार उतने महत्वपूर्ण हैं, लेकिन साथ-साथ इस खेल तक पहुँचना, वो भी उससे भी ज़्यादा महत्वपूर्ण है और इसीलिए हम सभी देशवासी Rio Olympic के लिए गए हुए हमारे सभी खिलाड़ियों को शुभकामनायें दें।

नई दिल्ली: हिंदी के अमर कथाकार मुंशी प्रेमचंद को आज (रविवार) उनकी 136वीं जयंती पर गूगल ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की है। गूगल ने प्रेमचंद का डूडल बना कर उन्हें स्मरण किया हैं। इस डूडल में धवल कुर्ता पहने प्रेमचंद को एक कलम लेकर कुछ लिखते हुए दिखाया गया है। इस चित्र में उनके गांव में बने घर को भी दर्शाया गया है जिसके साथ बैलों की एक जोड़ी को भी दिखाया गया है, जिससे बरबस उनकी कहानी'दो बैलों की कथा'की याद हो आती है। उत्तर प्रदेश के वाराणसी से चार किलोमीटर दूर स्थिति लमही गांव में 31 जुलाई 1880 का जन्मे मुंशी प्रेमचंद का वास्तविक नाम धनपत राय था और 8 अक्टूबर 1986 को 56 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने तीन सौ से अधिक कहानियां और उर्दू तथा हिन्दी में कई उपन्यास लिखे थे। राजधानी समेत देश के कई शहरों में प्रेमचंद जयंती मनायी जा रही है । कल यहां जाने माने गीतकार गुलजार ने प्रेमचंद की कृतियां 'गोदान' और 'निर्मला' को पटकथा प्रारूप में पेश करने के बाद कहा कि प्रेमचंद कि कहानियां आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं, जितनी उस दौर में थीं। उनकी कहानियां में दर्शाई गई समस्याएं आज भी मौजूद हैं। भारत सरकार ने प्रेमचंद की 125वीं जयंती धूमधाम से मनाई थी और उनके जन्म शताब्दी वर्ष में भी देश भर में कार्यक्रम आयोजित किये गये थे। प्रेमचंद ने अपनी रचनाओं में संप्रदायिकता, गरीबी, अन्याय, दमन और शोषण के खिलाफ पुरजोर आवाज उठायी थी।

नई दिल्ली: तमिलनाडु के एक मंदिर में प्रवेश से कथित तौर पर मना किए जाने के बाद कुछ दलित परिवारों के इस्लाम कबूलने की अफवाहों के बीच भाजपा सांसद उदित राज ने दावा किया कि हिंदू धर्म धर्मांतरण की वजह से नहीं, बल्कि इसके तथाकथित 'रखवालों' की वजह से खतरे में है। दलित नेता ने देश में हिंदू धर्म के अस्तित्व पर शंका जताई और कहा कि यह दलितों के अन्य धर्मों में धर्मांतरण की वजह से नहीं, बल्कि इसके तथाकथित रखवालों की वजह से खतरे में है। हाल में ऐसी खबरें थीं कि अगड़ी जाति के हिंदुओं द्वारा दलितों को नागपत्तनम में प्राचीन बद्राकालियाम्मन मंदिर में पूजा-पाठ करने की अनुमति देने से मना करने के बाद कुछ दलितों ने इस्लाम कबूलने की योजना बनाई है। हालांकि नागपत्तनम जिला प्रशासन ने बाद में खबर का खंडन किया था। उदित राज ने कहा कि अगर दलितों के लिए मंदिरों के द्वार बंद किए गए, तो वो चर्च, मस्जिद जाएंगे और 'हम उसके लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। 'ऑल इंडिया कॉन्फेडरेशन ऑफ एससी, एसटी आर्गनाइजेशंस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राज ने कहा, '...और तब उन लोगों (हिंदू धर्म के संरक्षकों) को दलितों के चर्च या मस्जिद में जाने से समस्या होगी. वो कहते हैं कि हिंदू धर्म खतरे में है. यह सिर्फ उनकी वजह से है और न कि हमारी (दलितों) वजह से।' उदित राज ने दावा किया कि बर्मा, थाईलैंड, ईरान, फिलीपीन, कजाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसे देशों में हिंदू आबादी उल्लेखनीय रूप से कम हुई है और 'भारत में हिंदू धर्म का अस्तित्व मुश्किल में है और हम उसके लिए जिम्मेदार नहीं होंगे।'

नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि एक देश-एक कर प्रणाली से कराधान का स्तर कम होगा और भ्रष्टाचार मिटेगा। जेटली का यह बयान ऐसे समय में आया है जबकि सरकार वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) विधेयक को पारित करवाने के लिए नए सिरे से जोर लगाने की तैयारी कर रही है। वे यहां इंडिया इस्लामिक कल्चर सेंटर में डॉ एपीजे अब्दुल कलाम स्मति व्याख्यान दे रहे थे। गौरतलब है कि जीएसटी जब यूपीए सरकार ने संसद में पेश किया था, तब राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने इस बिल का विरोध किया था जिसके चलते ये बिल पिछली सरकार के कार्यकाल में पास नहीं हो सका था। दिलचस्प पहलू ये है कि इस बिल का सबसे पहले विरोध गुजरात सरकार ने किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उस वक़्त गुजरात के मुख्यमंत्री थे। बहरहाल शनिवार को उन्होंने कहा कि भारत पहले की तरह स्पेक्ट्रम या कोयला खान विवादों को अब वहन नहीं कर सकता। उन्होंने कहा, एक देश एक कर का यह सारा विचार भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है करों के स्तर को कम करने के लिए ही नहीं बल्कि व्यापार सुगमता उपलब्ध कराने तथा सभी तरह के भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए भी। उन्होंने कहा कि भारत ऐसी अप्रत्यक्ष कर प्रणाली वहन नहीं कर सकता जहां किसी पर हर बिंदु पर कर लगे।

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