नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के मुद्दे पर भारत को करारा झटका लगा है। संयुक्त राष्ट्र की आम सभा ने बदलाव के प्रस्तावों को अगले सत्र के लिए टाल दिया है। इस साल इन बदलावों को लेकर काफी चर्चा थी लेकिन अभी तक कोई खास प्रगति नहीं हुई है। सभा ने बुधवार को एकमत होकर बदलाव के लिए आए तमाम प्रस्तावों को आगे के लिए टाल दिया है। संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में 193 सदस्य देश है। इसी सभा की बैठक में यह निर्णय लिया गया है। फिलहाल सुरक्षा परिषद में 15 सदस्या हैं जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शांति और सुरक्षा बनाए रखना का जिम्मा संभालते हैं। इन 15 देशों में पांच सीटें ब्रिटेन, फ्रांस, अमेरिका, चीन और रूस स्थायी सदस्य हैं और बाकी 10 सीटों पर अलग-अलग देश समय समय पर सदस्य रहते हैं। एक संयुक्त बयान में भारत के साथ ब्राजील, जापान और जर्मनी ने कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि 70 सालों में संयुक्त राष्ट्र आम सभा में इतने महत्वपूर्ण मुद्दे पर किसी सहमति पर नहीं पहुंच पाया। चारों देशों की ओर से बोलते हुए ब्राजील का प्रतिनिधित्व करने वाले स्थायी सदस्य एनटोनियो पैत्रिओटा ने सभा से कहा, संयुक्त राष्ट्र में बदलाव के प्रस्तावों को हम जितना आगे खीचेंगे उतना ही संयुक्त राष्ट्र का महत्व कम होता जाएगा। यह सब दुनिया में शांति और सुरक्षा के लिए उसकी विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाएगा।
उल्लेखनीय है कि यह चार देश संयुक्त राष्ट्र के स्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाने के लिए हमेशा से जोर देते रहे हैं और एक दूसरे का समर्थन भी करते हैं। इन देशों के समूह को जी-4 भी कहा जाता है। करीब 20 साल के लगातार प्रयास के बाद संयुक्त राष्ट्र में बदलाव के प्रस्तावों को पिछले साल गति मिली थी जब इससे संबंधित के वक्तव्य को आम सभा ने स्वीकार कर लिया था। इस वक्तव्य को कुछ देश जैसे पाकिस्तान और इटली काफी विरोध करते रहे थे, बावजूद इसके संयुक्त राष्ट्र ने इसे स्वीकार किया था। इस वक्तव्य के स्वीकारना के अहम प्रगति थी जिसके बाद किसी सार्थक चर्चा की उम्मीद की जा सकती थी। संयुक्त राष्ट्र में किसी प्रस्ताव पर चर्चा के लिए इस प्रकार का प्रस्ताव स्वीकार किया जाना जरूरी होता है। यह उम्मीद की जा रही थी कि अपने स्थापना के 70वें वर्ष संयुक्त राष्ट्र बदलावों के लिए तैयार होगा। बदलाव के लिए तैयार वक्तव्य को एक सर्वे के आधार पर बनाया गया था। इसे जमैका के कोर्टनी रैटरी ने तैयार किया था। वे इंटर गवर्नमेंटल नेगोशिएशन (आईजीएन) के चेयरपर्सन थे। इसका काम काउंसिल में बदलाव के प्रस्ताव को तैयार करना था। इस प्रस्ताव को पिछली आम सभा के अध्यक्ष सैम कुटेसा के विशेष जोर देने पर स्वीकार किया गया था।