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नई दिल्ली: संसद ने आज (गुरूवार) लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम 2013 की धारा 44 में संशोधन को मंजूरी प्रदान कर दी जिसमें केंद्रीय लोक सेवकों, एनजीओ के लिए अपनी सम्पत्ति एवं देनदारी की घोषणा 31 जुलाई तक करने की समय सीमा से छूट दी गई है। इससे 50 लाख केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों को राहत मिल सकेगी। राज्यसभा में आज कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन राज्य मंत्री जितेन्द्र सिंह ने इस संशोधन को पेश किया। इसे विचार के लिए संसद की स्थायी समिति को भेजा गया है। सिंह ने इस संशोधन को तत्काल अनिवार्यता बताया और कहा कि हम इसे स्थायी समिति में भेज रहे हैं जहां प्रावधानों पर विस्तार से चर्चा होगी। उन्होंने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि अगले सत्र तक रिपोर्ट आ जायेगी। मंत्री ने कहा कि इसमें एनजीओ की ओर से परिसम्पत्ति और देनदारियों की घोषणा का विषय जुड़ा है। उन्होंने कहा कि इसमें धारा 44 में संशोधन पेश करने की जरूरत इसलिए थी क्योंकि सम्पत्ति और देनदारी की घोषणा 31 जुलाई तक करनी है। लेकिन अभी कई तरह के मुद्दे रह गये थे जिन पर निष्कर्ष आना है और स्थायी समिति उन बिन्दुओं पर विचार करेगी। इसलिए तब तक लोकसेवकों, एनजीओ को सम्पत्ति एवं देनदारी की घोषणा करने से छूट दी जाए। सदन ने ध्वनिमत से लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दे दी। लोकसभा में यह विधेयक कल ही पारित हुआ है। लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम 2013 के तहत अधिसूचित नियमों के मुताबिक, प्रत्येक लोकसेवक अपनी सम्पत्ति की घोषणा के साथ अपनी पत्नी या पति और आश्रित बच्चों की संयुक्त सम्पत्ति और देनदारियों की भी घोषणा करेंगे।

लोकसेवक इस संबंध में सक्षम प्राधिकार के पास प्रत्येक वर्ष 31 मार्च या 31 जुलाई से पहले वार्षिक रिटर्न दाखिल करेंगे।

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