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नई दिल्ली: रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने आज (गुरूवार) संसद के दोनों सदनों में कहा कि गत 22 जुलाई को लापता हुए वायुसेना के एएन-32 विमान को खोजने के संबंध में कई जानकारियां और सुराग प्राप्त हुए हैं लेकिन अभी तक कोई ठोस साक्ष्य नहीं मिला है। पर्रिकर ने एएन-32 विमान के लापता होने के संबंध में अपनी ओर से दिए बयान में कहा कि विमान में सवार रहे यात्रियों और मलबे की तलाश के प्रयास मुख्य रूप से सतह पर तथा अंतरजलीय क्षेत्र में केंद्रित हैं। उन्होंने घटना का उल्लेख करते हुए बताया कि लापता विमान की खोज के लिए काटरेसेट 2ए और 2बी जैसे स्वदेशी उपग्रहों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है जो 27 गुणा 27 किलोमीटर की परिधि के क्षेत्र को कवर करने की क्षमता रखते हैं और जिनका रिजॉल्यूशन 0.8 मीटर है। पर्रिकर ने कहा, ‘उपग्रह चित्रों तथा हवाई निगरानी के प्रयासों से तैरती हुई वस्तुओं और संभावित संवादों के संबंध में विभिन्न जानकारियां तथा सुराग प्राप्त हुए हैं। पोतों तथा विमानों द्वारा इनमें से प्रत्येक की गहन जांच की गयी है। लेकिन एएन-32 के संबंध में कोई ठोस सबूत अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है।’ पर्रिकर ने कहा कि विमान में सवार चालक दल और यात्रियों के परिजनों को सूचित कर दिया गया है और तलाशी अभियान की नियमित ताजा जानकारी उन्हें नामित अधिकारियों द्वारा दी जा रही है। समीपस्थ इकाइयों के अधिकारी यात्रियों के निकट संबंधियों से व्यक्तिगत रूप से जाकर मिले हैं। बयान के अनुसार नौसेना के 13 जहाज और चार तटरक्षक पोत तथा एक पनडुब्बी को तलाशी क्षेत्र में तैनात किया गया है।

सभी व्यापारिक जलयानों से किसी प्रकार की जानकारी मिलने पर रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है। पर्रिकर ने कहा, ‘सभी स्रोतों से प्राप्त जानकारी के आधार पर तेल की चिकनाहट वाले तीन क्षेत्रों, पांच संवाद श्रवणों (ट्रांसमिशन इंटरसेप्ट्स) तथा 22 तैरती हुई वस्तुओं की जलपोतों और विमानों द्वारा गहन जांच की गयी है, जिसमें लापता हुए भारतीय वायुसेना के एएन-32 विमान के बारे में अभी तक कोई ठोस साक्ष्य नहीं मिला है।’ उन्होंने कहा कि पाई गयी 22 तैरती हुई वस्तुओं का संबंध लापता विमान से होना साबित नहीं हुआ है। इस समय भारतीय नौसेना की एक पनडुब्बी भी निर्दिष्ट क्षेत्र में तलाश कार्य में जुटी है।

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