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नई दिल्ली: पाकिस्तान के आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन के चीफ सैयद सलाउद्दीन ने कश्मीर मुद्दे को लेकर परमाणु युद्ध की बात कही है। पाकिस्तान की धरती पर बैठे हिजबुल मुजाहिदीन के इस सुप्रीम कमांडर ने धमकी देते हुए कहा कि कश्मीर मुद्दे को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध होने के ज्यादा आसार हैं। उसने कहा कि इस मुद्दे को लेकर दोनों देश के बीच एटमी वार हो सकता है। हिजबुल के सैयद सलाउद्दीन ने यह धमकी बकायदा प्रेस कांफ्रेस कर दी। उसने कहा कि कश्मीर में चल रहे आजादी आंदोलन का समर्थन करने के लिए पाकिस्तान नैतिक, राजनीतिक और संवैधानिक रूप से बाध्य है और यह उसका कर्तव्य भी है। अगर पाकिस्तान अपना समर्थन देता है तो दोनों ताकतों के बीच न्यूक्लियर वार होने की बहुत संभावनाएं हैं। दोनों मुल्कों के बीच तीन युद्ध पहले ही हो चुके हैं, जिनमें से दो कश्मीर के मुद्दे पर हुए थे। हिजबुल चीफ ने कहा कि मैं भारत-पाकिस्तान के बीच चौथे युद्ध की भविष्यवाणी भी कर सकता हूं क्योंकि कश्मीरी किसी भी स्थ‍िति में समझौता करने के मूड में नहीं हैं। अगर पाकिस्तान इसी तरह कश्मीर के मुद्दे पर समर्थन जारी रखता है तो परमाणु युद्ध की संभावना और बढ़ जाएगी। गौरतलब है कि पिछले हफ्ते केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह जब सार्क सम्मेलन में भाग लेने के लिए इस्लामाबाद गए थे तो सैयद सलाउद्दीन की अगुवाई में राजनाथ के खिलाफ प्रदर्शन किया गया था।

नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने प्रधानमंत्री मोदी को एक खुला पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने कहा है,‘मैं राज्य के लोगों का दिल जीतने और यह सुनिश्चित करने के वास्ते तत्काल कदम उठाने के लिए आपसे ध्यान देने का आग्रह करता हूं कि जल्द से जल्द कानून व्यवस्था की स्थिति बहाल हो।’ राज्यसभा में विपक्ष के नेता आजाद ने इस बात को लेकर खेद जताया कि कश्मीर में स्थिति को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। आज़ाद ने समाधान के लिए ‘राजनीतिक प्रक्रिया’ पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री को याद दिलाया कि पूववर्ती सरकारों ने उकसावे की सबसे खराब स्थिति में भी बाहरी या आंतरिक मोर्चे पर उसे कभी नहीं छोड़ा। उन्होंने लिखा ‘तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा दिल्ली-लाहौर बस सेवा के बाद उठायी गई इस पहल की सभी ने प्रशंसा की थी कि कश्मीर मुद्दे का हल ‘इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत’ के दायरे में किया जा सकता है।’ कांग्रेस नेता के मुताबिक इसी तरह से मनमोहन सिंह की अगुवाई में तत्कालीन संप्रग सरकार ने उरी-मुजफ्फराबाद और पुंछ -रावलकोट के बीच बस सेवा शुरू करके राज्य के लोगों का दिल जीतने के लिए कुछ ठोस कदम उठाये थे। आज़ाद ने अपनी पूरा बात करते हुए लिखा कि ‘दुर्भाग्य से आपके नेतृत्व वाली वर्तमान राजग सरकार की ओर से ऐसी कोई पहल सामने नहीं आ रही है।’

नई दिल्ली: सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों की न्यूनतम पेंशन 3500 रुपए से 157.14 प्रतिशत बढ़कर 9 हज़ार रुपए हो जाएगी। कार्मिक,लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय ने सातवें वेतन आयोग की पेंशनधारकों के लिए की गई सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है। ग्रेचुटी की सीमा भी मौजूद 10 लाख रुपए से बढ़ाकर 20 लाख रुपए कर दी गई है। आयोग ने यह भी सिफारिश की थी कि जब कभी भी मंहगाई भत्ता 50 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ जाए तो ग्रेचुटी की अंतिम सीमा भी 25 प्रतिशत से बढ़ा दी जाए। सरकार ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार के कुल 58 लाख पेंशनभोगी कर्मचारी हैं। मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आदेश के मुताबिक पेंशन की रकम न्यूनतम 9 हज़ार रुपए और अधिकतम 1 लाख 25 हज़ार होगी। उल्लेखनीय है कि सरकार में उच्चतम वेतन एक जनवरी 2016 से 2,50,000 रुपये होगा। आदेश के अनुसार सेवानिवृत्ति ग्रेचुटी और मृत्यु के बाद मिलने वाली ग्रेचुटी की अधिकतम सीमा 20 लाख रुपये रहेगी। मृत्यु पर मिलने वाली मुआवज़ा राशि नई व्यवस्था के तहत असैन्य व सैन्य बलों में निकटवर्ती परिजनों को मिलने वाली मुआवजा राशि में भी काफी बढ़ोतरी हुई है। आतंकवादी और असामाजिक तत्वों द्वारा की गई हिंसक कार्रवाई में हुई मौत या सरकारी कामकाज के दौरान किसी दुर्घटना में मौत पर मिलने वाली मुआवज़ा राशि मौजूद 10 लाख रुपये से बढाकर 25 लाख रुपये की गई है।

नई दिल्ली: खुद को गाय का हिमायती बताने वाले लोगों द्वारा दलितों के खिलाफ की गई हिंसा पर पहली बार बयान देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज उन्हें ‘‘असामाजिक’’ तत्व बताया जो गाय की रक्षा के नाम पर ‘‘दुकान’’ चला रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे उन्हें ‘‘क्षोभ’’ होता है। उन्होंने राज्य सरकारों से कहा कि तथाकथित गाय रक्षकों पर ‘‘दस्तावेज’’ तैयार करें क्योंकि उनमें से 80 फीसदी रात में अवैध गतिविधियां करते हैं और दिन में गाय हिमायती बन जाते हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह का सहायता समूह चलाने का यह मतलब नहीं है कि दूसरों का उत्पीड़न किया जाए। अपनी सरकार की ‘माई गवर्नमेंट’ पहल की दूसरी वषर्गांठ के अवसर पर टाउन हॉल स्टाइल संबोधन में मोदी ने गाय की हिमायत करने वालों पर यह तीखी टिप्पणी की। उत्तरप्रदेश, गुजरात और मध्यप्रदेश सहित विभिन्न राज्यों में गाय रक्षकों द्वारा दलितों और मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं को लेकर अपनी सरकार और भाजपा की किरकिरी होने के बाद प्रधानमंत्री का यह बयान आया है। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे इस बात पर गुस्सा आता है कि लोग गाय की रक्षा के नाम पर दुकान चला रहे हैं। उनमें से अधिकतर असामाजिक तत्व हैं जो गाय रक्षा के नाम पर चेहरा छिपाते हैं।’’

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