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नई दिल्ली: गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आज (शुक्रवार) राज्यसभा को बताया कि दक्षेस देशों के गृह मंत्रियों की पाकिस्तान में संपन्न सातवीं बैठक के दौरान, दूरदर्शन एवं पीटीआई सहित भारतीय संवाददाताओं को अंदर प्रवेश नहीं करने दिया गया। गृह मंत्री ने आज राज्यसभा में अपने इस्लामाबाद दौरे के बारे में अपनी ओर से दिए गए बयान पर सदस्यों द्वारा पूछे गए स्पष्टीकरणों के जवाब में बताया कि बैठक के दौरान उन्होंने जो भाषण दिया उसे वहां के संवाददाताओं ने कवर किया या नहीं, इस बारे में वह कुछ नहीं कह सकते। उन्होंने बताया ‘लेकिन भारत से गए दूरदर्शन, एएनआई और पीटीआई के संवाददाताओं को अंदर जाने की अनुमति नहीं दी गई।’ सिंह ने कहा ‘वहां मेरे साथ मर्यादित व्यवहार हुआ या नहीं, इस बारे में कहने में मुझे संकोच होता है। उन्हें जो करना था, वह किया। मुझे कोई शिकायत नहीं है। लेकिन जहां तक भारत का सवाल है तो मेहमाननवाजी में भारत की एक अलग, खास जगह है और हम उसे बनाए रखेंगे।’ सदस्यों ने वहां सिंह के साथ समुचित प्रोटोकॉल का पालन नहीं किए जाने का मुद्दा उठाया था। गृह मंत्री ने बताया ‘पाकिस्तान के गृह मंत्री ने सबको दोपहर के भोज पर आमंत्रित किया था। लेकिन इसके तत्काल बाद वह अपनी गाड़ी में बैठ कर चले गए थे। इसके बाद मैंने भी भारत की मर्यादा को ध्यान में रखते हुए वह किया जो मुझे करना चाहिए था।’ गौरतलब है कि दक्षेस देशों के गृह मंत्रियों की बैठक के बाद सिंह पाकिस्तानी गृह मंत्री द्वारा आयोजित दोपहर के भोज में शामिल हुए बिना स्वदेश लौट आए।

सिंह ने कहा ‘मैं वहां भोजन करने नहीं गया था।’ सिंह के पाकिस्तान दौरे के खिलाफ आतंकी गुट लश्कर ए तैयबा के प्रमुख हाफिज सईद और उसके समर्थकों के विरोध प्रदर्शन के बारे में गृह मंत्री ने कहा कि पहले तय किया गया था कि बुधवार को इस्लामाबाद में विमान से उतरने के बाद सड़क मार्ग से सेरेना होटल जाना होगा। लेकिन बाद में उन्हें हेलीकॉप्टर से वहां ले जाया गया। गृह मंत्री ने बताया ‘रास्ते में लोगों के कुछ समूह विरोध जताते हुए खड़े थे।’ सिंह ने कहा ‘अगर मुझे विरोध की चिंता होती तो मैं पाकिस्तान जाता ही नहीं।’ उन्होंने कहा कि उन्होंने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। ‘ऐसा कोई अवसर नहीं मिला कि मैं कुछ कहता। मैंने कोई विरोध नहीं जताया। ’ जदयू के शरद यादव ने कहा था कि विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि दक्षेस बैठक के मेजबान देश के संबोधन को मीडिया में प्रमुखता से कवर किये जाने की परंपरा है। इस बारे में सिंह ने कहा कि उन्हें इस परंपरा के बारे में विदेश मंत्रालय से पूछना होगा इसलिए अभी वह कुछ नहीं कह पाएंगे। सपा के राम गोपाल यादव के स्पष्टीकरण के जवाब में उन्होंने कहा कि सीमा पर तैनात सेना और बीएसएफ को स्पष्ट कहा गया है कि वह पूरे संयंम से काम लें और अपनी ओर से किसी भी कार्रवाई की पहल न करें लेकिन अगर दूसरी ओर से कोई कोशिश की जाती है तो वह सीधे कार्रवाई करें और इसके लिए उन्हें कोई अनुमति लेने की जरूरत नहीं है। सिंह ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के इस कथन को उद्धृत किया ‘दोस्त बदल जाते हैं पर पड़ोसी नहीं बदलता।’’ उन्होंने कहा कि चाहे वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हों या उनसे पहले के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह हों, सभी ने पड़ोसी देश के साथ रिश्ते बेहतर बनाने के लिए जो कर सकते थे, वह किया ‘पर यह पड़ोसी है कि मानता नहीं।’ गृह मंत्री ने कहा ‘सभी प्रधानमंत्रियों ने दरियादिली दिखाई और कहा कि पाकिस्तान भी आतंकवाद का शिकार है। लेकिन.. परमात्मा सबको सद्बुद्धि दे।’ पाकिस्तान के साथ भारत की नीति पर पुनर्विचार करने के बारे में कांग्रेस के सत्यव्रत चतुर्वेदी द्वारा पूछे गए स्पष्टीकरण पर सिंह ने कहा कि जो भी कदम उठाया जाएगा, वह सबको विश्वास में लेने के बाद ही उठाया जाएगा। इससे पहले विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने सिंह के बयान पर स्पष्टीकरण मांगते हुए कहा कि भले ही उनकी कांग्रेस पार्टी और सत्तारूढ़ भाजपा में दलगत एवं नीति आधारित मतभेद हों लेकिन जब प्रधानमंत्री या गृह मंत्री विदेश जाते हैं तो ‘हम सब एक होते हैं।’ उन्होंने जानना चाहा कि क्या स्थानीय टीवी चैनलों ने भारतीय गृह मंत्री को और उनके भाषण को कवर नहीं किया और क्या वहां इसे ‘ब्लैकआउट’ कर दिया गया था। सिंह ने कहा कि दक्षेस देशों के मध्य भारत की एक खास साख है जिसके अनुसार, क्या भारतीय गृह मंत्री के लिए प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया गया और क्या सिंह के वहां पहुंचने पर उनकी अगवानी के लिए मेजबान देश का प्रतिनिधित्व वहां मौजूद नहीं था। आजाद ने कहा कि अगर यह सच है तो यह अत्यंत भर्त्सनीय है। इसी पार्टी के आनंद शर्मा ने कहा कि गृह मंत्री ने दक्षेस गृह मंत्रियों की बैठक में कड़ा संदेश दिया। भारत चूंकि दक्षेस का अहम सदस्य है इसलिए भारत का यह संदेश मायने रखता है। उन्होंने जानना चाहा कि पड़ोसी देश से मादक पदार्थो की तस्करी और कारोबार पर क्या बात हुई। भाजपा के सुब्रमण्यम स्वामी ने जानना चाहा कि क्या गृह मंत्री ने अपने पाकिस्तानी समकक्ष के समक्ष वहां के प्रधानमंत्री द्वारा भारत तथा कश्मीर के विघटन किए जाने के बारे में आए दिन कही जाने वाली बातों का जिक्र किया। उन्होंने यह भी सवाल किया कि क्या सिंह ने पाकिस्तान को अपने ही प्रांतों में चल रही समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करने का सुझाव दिया। तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ’ब्रायन ने जाना चाहा कि क्या आधिकारिक मीडिया दूरदर्शन सहित भारतीय मीडिया को गृह मंत्री के भाषण से वंचित किया गया जिसे कि ‘ब्लैक आउट’ किया गया था। उन्होंने यह भी सवाल किया कि क्या यह ब्लैकआउट की पहली घटना थी? बसपा की मायावती ने कहा कि पड़ोसी देश और उसके मीडिया का भारत के साथ रवैया सही नहीं है। उन्होंने गृह मंत्री से प्रधानमंत्री के साथ बात करने और भारत की पाकिस्तान के प्रति नीति पर पुनर्विचार करने का सुझाव दिया। सपा के राम गोपाल यादव ने कहा कि गृह मंत्री ने वहां जिस दृढ़ता के साथ अपनी बात रखी वह प्रशंसनीय है क्योंकि पाकिस्तान विनम्रतापूर्वक कही गई बातों को सुनने का आदी नहीं है। ’’ उन्होंने कहा ‘‘जब गृह मंत्री दक्षेस देशों के गृह मंत्रियों की बैठक में बोल रहे थे तब कश्मीर में आतंकवादी देश के खिलाफ लोगों से समर्थन मांग रहे थे।’’ उन्होंने कहा कि सीमा पर तैनात सुरक्षा बलों को यह छूट दी जानी चाहिए कि पड़ोसी देश की ओर से कार्रवाई किए जाने पर वह इस बारे में अनुमति मांगने का इंतजार न करें कि उन्हें क्या कार्रवाई करनी है। जदयू के शरद यादव ने कहा कि कल मीडिया में खबर आई कि विदेश मंत्रालय का कहना है कि दक्षेस बैठक के मेजबान देश के भाषण को प्रमुखता देने की परंपरा है। उन्होंने कहा कि हम गृह मंत्री के बयान पर विश्वास करते हैं। ‘और इस तरह अलग अलग बातें नहीं होना चाहिए।’ बीजद के दिलीप तिर्की ने कहा कि भारतीय गृह मंत्री के संबोधन को वहां के समाचार पत्रों में प्रकाशित न करना और दुनिया को न दिखाना .. यह सोचने वाली बात है। राकांपा के मजीद मेनन ने कहा कि गृह मंत्री के खिलाफ इस्लामाबाद में किए गए विरोध प्रदर्शनों की वह निंदा करते हैं। उन्होंने कहा कि सिंह ने पड़ोसी देश द्वारा आयोजित दोपहर के भोज का बहिष्कार कर सही कदम उठाया। अन्नाद्रमुक के नवनीत कृष्णन, द्रमुक की कनिमोई और भाकपा के डी राजा ने भी अपने अपने स्पष्टीकरण पूछे। इससे पहले सिंह ने आतंकवाद के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए सदन के सभी सदस्यों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए विश्वास जताया कि इस वैश्विक खतरे को जड़ से उखाड़ने में सफलता मिलेगी। उन्होंने कहा कि देश का प्रधानमंत्री जो भी बना, आतंकवाद का जड़ सहित खात्मा उसकी प्राथमिकता रही है।

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